पटना : सरकार ने वित्त वर्ष 2012-13 से 2015-16 तक तीन साल के दौरान 8,17,000 अधूरे इंदिरा आवास को हर हाल में मार्च 2018 तक पूरा करने का हर जिले को सख्त निर्देश जारी किया है. इसके तहत प्रत्येक प्रखंड के बीडीओ के लिए जिम्मेदारी तय की गयी है. यह जिम्मेदारी पूरा नहीं कर पाने […]
पटना : सरकार ने वित्त वर्ष 2012-13 से 2015-16 तक तीन साल के दौरान 8,17,000 अधूरे इंदिरा आवास को हर हाल में मार्च 2018 तक पूरा करने का हर जिले को सख्त निर्देश जारी किया है. इसके तहत प्रत्येक प्रखंड के बीडीओ के लिए जिम्मेदारी तय की गयी है. यह जिम्मेदारी पूरा नहीं कर पाने की स्थिति में संबंधित बीडीओ पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जायेगी. वहीं तय सीमा के बाद भी आर्थिक कमी के कारण अधूरा रहने वाले आवासों के बारे में संबंधित जिले के उपविकास आयुक्त को जवाब देना होगा.
बिहार सरकार के ग्रामीण विकास विभाग ने वित्त वर्ष 2012-13 से 2015-16 तक स्वीकृत 8,17,000 इंदिरा आवास पूरा करने के लिए समय सीमा इस साल 31 मार्च तक कर दी है. विभाग के आधिकारिक सूत्रों की मानें तो इनमें से अधिकांश ऐसे आवास हैं जिनका निर्माण कार्य करीब 90 फीसदी तक पूरा हो चुका है. इसलिये इन्हें पूरा करने के लिए सरकार ने तीन महीने का समय दिया है. 22 दिसंबर 2017 को विभाग ने सभी जिले के उप विकास आयुक्त को पत्र भेजकर जिले में निर्माणाधीन इंदिरा आवासों को पूरा करने के लिए मासिक लक्ष्य निर्धारित करने का निर्देश दिया था.
आवास सॉफ्ट पर देनी होगी जानकारी
विभाग के आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि आवासों के निर्माण कार्यों की समीक्षा के लिए हर सप्ताह उप विकास आयुक्त और बीडीओ को समीक्षा करने का निर्देश दिया गया था. साथ ही निर्माण कार्य पूरा होते ही तीन दिन में इसकी जानकारी आवास सॉफ्ट पर उपलब्ध करवाने की जिम्मेदारी कार्यपालक सहायक को दी गयी थी. इससे निर्धारित लक्ष्य के अनुसार इंदिरा आवास के निर्माण की जानकारी सही समय पर मिल सकती और इसकी मॉनिटरिंग भी हो सकती. अब इस पूरे काम में लापरवाही की शिकायत आने के बाद विभाग ने कड़ा निर्देश जारी किया है.
क्या कहते हैं अधिकारी : ग्रामीण विकास विभाग के सचिव अरविंद कुमार चौधरी ने कहा कि सर्वेक्षण के बाद यह पाया गया है कि वित्त वर्ष 2012-13 से 2015-16 तक में तय किये गये लक्ष्य में से अधिकांश का 90 फीसदी तक निर्माण हो चुका है. प्रत्येक पंचायत में करीब 55-60 की संख्या में ऐसे आवास हैं जिनका करीब 10 फीसदी निर्माण कार्य ही बचा है. इसलिए इन्हें पूरा करने के लिए तीन महीने का समय पर्याप्त है. इसकी जिम्मेदारी मुख्य रूप से संबंधित बीडीओ को दी गयी है. यदि वे लक्ष्य प्राप्ति में असफल रहते हैं, तो उन पर कार्रवाई होगी.