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बिहार : अब एक्सपर्ट पुलिस अफसर ही संभालेंगे साइबर सेल की कमान
कवायद. साइंस विषय में ग्रेजुएट को मिलेगी प्राथमिकता पटना : राज्य में दिन-ब-दिन साइबर क्राइम के मामले बढ़ते जा रहे हैं और इसे लेकर चुनौतियां भी बढ़ती जा रही हैं. इन चुनौतियों को देखते हुए सभी जिलों में पहले से कार्यरत एक-एक साइबर सेल को ज्यादा मजबूत करने पर ध्यान दिया जा रहा है. साथ […]
कवायद. साइंस विषय में ग्रेजुएट को मिलेगी प्राथमिकता
पटना : राज्य में दिन-ब-दिन साइबर क्राइम के मामले बढ़ते जा रहे हैं और इसे लेकर चुनौतियां भी बढ़ती जा रही हैं. इन चुनौतियों को देखते हुए सभी जिलों में पहले से कार्यरत एक-एक साइबर सेल को ज्यादा मजबूत करने पर ध्यान दिया जा रहा है. साथ ही सभी छोटे जिलों में एक-एक और बड़े जिलों में चार विशेष साइबर यूनिट का गठन जल्द ही होने जा रहा है.
प्रत्येक यूनिट में साइबर एक्सपर्ट समेत 10-10 पुलिस के लोगों की भर्ती की जायेगी. पर अब सभी साइबर यूनिट में सिर्फ चुनिंदा पुलिस वालों की ही बहाली की जायेगी. इनमें बहाली के लिए अधिकारी से लेकर सिपाही तक के पुलिसकर्मी का चयन खासतौर से किया जायेगा. इनमें जाने वाले पुलिसकर्मियों से उनकी इच्छा पूछी जायेगी. अनिच्छा या इसमें किसी तरह की रुचि नहीं रखने वालों को इन साइबर यूनिट में नहीं भेजा जायेगा.
इसके अलावा अब प्रत्येक दो महीने में साइबर यूनिट के सभी कर्मियों को ट्रेनिंग दी जायेगी. इस ट्रेनिंग में इन्हें रोजाना हो रहे नये बदलाव और साइबर अपराध के बदलते आयामों की भी विस्तृत जानकारी दी जायेगी. नये तरह के केस स्टडीज से रूबरू कराया जायेगा. इसके लिए बाहर से एक्सपर्ट भी बुलाये जायेंगे.
ट्रेनिंग सेंटर से ही होगा चयन: पुलिस महकमा इस मामले पर भी विचार कर रहा है कि सिपाही और दारोगा की बहाली में जो नये अभ्यर्थी चुनकर ट्रेनिंग के लिए आते हैं उनका चयन भी प्रशिक्षण के दौरान ट्रेनिंग सेंटर से ही साइबर सेल के लिए कर लिया जायेगा. इसके लिए पहले उनसे इच्छा भी पूछी जायेगी. यह भी देखा जायेगा कि वे साइंस ग्रेजुएट हैं या नहीं.
नन-ग्रेजुएट वालों को यह देखा जायेगा कि उनका विज्ञान का बैकग्राउंड रहा है या नहीं. उनकी साइबर साइंस को लेकर जानकारी का स्तर कैसा है. इन तमाम बातों पर खरा उतरने वाले पुलिस कर्मियों को ही साइबर सेल में बहाल किया जायेगा. इन्हें निरंतर ट्रेनिंग देकर साइबर क्राइम से जुड़े मामलों का अनुसंधान करने का एक्सपर्ट बना दिया जायेगा.
वर्तमान में यह समस्या
वर्तमान में बिना मानक के पुलिस वालों की तैनाती साइबर सेल में कर दी जाती है. कई जिलों में इसे मुख्य धारा की पुलिसिंग से हटाकर साइड लाइन या शंटिंग पोस्टिंग के तौर पर भी उपयोग किया जाता है. ऐसी स्थिति में साइबर क्राइम से जुड़ मामलों में कोई अनुसंधान जिला स्तर पर नहीं हो पाता है. मामले लंबित रह जाते या राज्य स्तर पर इसके लिए नामित नोडल एजेंसी ईओयू (आर्थिक अपराध इकाई) को ट्रांसफर कर दिये जाते हैं. इस तरह की समस्या से निजात पाने और साइबर क्राइम के मामलों का निबटारा गंभीरता से करने के लिए यह पहल की जा रही है.
सेल के लिए चयन की प्रक्रिया जल्द शुरू की जायेगी
साइबर क्राइम के मामलों का निबटारा समय और प्रभावी ढंग से करने के लिए पुलिस कर्मियों को सक्षम बनाया जा रहा है और सक्षम और इच्छुक पुलिस वालों का चयन इस सेल में करने की प्रक्रिया जल्द शुरू की जायेगी. जल्द ही राज्य में साइबर यूनिट का गठन नये रूप में होने जा रहा है.
-जेएस गंगवार , एडीजी, ईओयू
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