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दे रहे प्रैक्टिकल परीक्षा, उपकरण भी नहीं पहचानते

पटना : बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की ओर से इंटरमीडिएट प्रैक्टिकल परीक्षा औपचारिकता में सिमट गयी है. प्रैक्टिकल करने पहुंचे परीक्षार्थी उपकरणों, रसायनों और वनस्पतियों की पहचान तक नहीं कर पाये. बावजूद इस औपचारिक परीक्षा को देकर निकले बच्चे बिना किसी तनाव के लैब से बाहर निकले. दरअसल उन्हें पता है कि नंबर अच्छे ही […]

पटना : बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की ओर से इंटरमीडिएट प्रैक्टिकल परीक्षा औपचारिकता में सिमट गयी है. प्रैक्टिकल करने पहुंचे परीक्षार्थी उपकरणों, रसायनों और वनस्पतियों की पहचान तक नहीं कर पाये. बावजूद इस औपचारिक परीक्षा को देकर निकले बच्चे बिना किसी तनाव के लैब से बाहर निकले. दरअसल उन्हें पता है कि नंबर अच्छे ही मिलेंगे. दरअसल स्कूलों में उन्हें कुछ केमिकल और उपकरणों के नाम रटाये गये थे, ताकि वह लैब में प्रैक्टिकल की रस्म अदायगी कर सकें. बायोलॉजी में बच्चों ने माइक्रोस्कोप को पहचाना पर इस्तेमाल करना कठिन लगा. अन्य उपकरणों के बारे में बच्चे परीक्षा हॉल में अनजान ही रहे.

लैब की लौटा दी गयी राशि : उच्च माध्यमिक विद्यालय पैनाल, दानापुर में बीते चार वर्ष से प्लस टू की पढ़ाई हो रही है. पर शिक्षक के अभाव में प्रैक्टिकल की पढ़ाई नहीं हो पा रही है. प्लस टू विद्यालय के भवन हेतु 56 लाख रुपये की राशि दी गयी थी. इसमें 13 लाख रुपये
पुस्तकालय और लैब पर खर्च किये जाने थे. पर लैब की राशि विभाग को लौटा दी गयी.
नहीं हैं शिक्षक, केमिकल के लिए नहीं मिलते पैसे
बिहार भर के 5,391 प्लस टू स्कूलों में साइंस के तीन हजार से भी अधिक पद खाली पड़े हैं. 2015-16 की रिक्ति के अनुसार पूरे बिहार में फिजिक्स के 1972 और केमिस्ट्री के 1939 पद रिक्त पड़े हैं. विद्यालयों की मानें, तो लैब के लिए विभाग से कोई फंड नहीं मिलता, जिससे वे केमिकल की खरीदारी कर सकें. विद्यालय कोष से ही खरीदी करनी पड़ती है. स्कूल पोटैशियम सल्फेट, मैग्नीशियम सल्फेट, नाइट्रिक एसिड जैसे कुछ सस्ते केमिकल खरीद लेते हैं. लेकिन, सिल्वर नाइट्रेट, पोटैशियम आयोडाइड, मरकरी कंपाउंड व आयोडिन जैसे महत्वपूर्ण केमिकल जिनकी कीमत 50 से 100 ग्राम की कीमत दो हजार से छह हजार तक की है, उनकी खरीद नहीं कर पाते हैं.
lजिस विद्यालय का सेंटर, उसी विद्यालय के शिक्षक ड्यूटी पर: प्रैक्टिकल परीक्षा में होने वाले फर्जीवाड़े पर लगाम कसने के उद्देश्य से इंटरमीडिएट परीक्षा 2018 के लिए प्रैक्टिकल परीक्षा के होम सेंटर का प्रावधान समाप्त कर दिया गया है. दरअसल विद्यालय के बच्चों का सेंटर दूसरे विद्यालय में तो कर दिया गया है, लेकिन यहां ड्यूटी उनके ही विद्यालय के शिक्षकों की लगा दी गयी. ऐसे में दूसरे सेंटर पर परीक्षा लेने के नाम पर बस खानापूर्ति की जा रही है.
हमारे पास बीते दो वर्षों से लैब के लिए कोई फंड नहीं मिला है. साथ ही केमिस्ट्री विषय के शिक्षक नहीं हैं. इससे बच्चियों को किसी तरह से से क्लास कराया गया है. केमिकल खरीदना मुश्किल है.
विजिया कुमारी, प्राचार्य राजकीय बालिका उच्च विद्यालय बांकीपुर
मौखिक प्रश्नों में ज्यादा परेशानी नहीं हुई, पर लैब में प्रयोग करने के दौरान कई केमिकल की सही जानकारी नहीं होने से परेशानी हुई.
अंशु कुमारी, छात्रा, एलपी शाही कॉलेज
परीक्षा में किसी तरह की परेशानी नहीं हुई. क्योंकि ज्यादातर ओरल प्रश्न पूछे गये. किसी प्रकार से प्रैक्टिकल करने का मौका नहीं मिला. प्रोजेक्ट के आधार पर परीक्षा ली.
आयुषी, एलपी शाही कॉलेज

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