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पटना का विस्तार अटका, योजना नहीं हो सकी पूरी

अनदेखी. महज एक बैठक छोड़ कर कुछ नहीं कर पायी है पटना महानगर योजना समिति पटना : बढ़ते पटना नगर को व्यवस्थित ढंग से बसाने के लिए राज्य सरकार ने वर्ष 2016 में पटना महानगर योजना समिति की परिकल्पना की. इस समिति को दो वर्ष के भीतर महानगर क्षेत्र में पड़ने वाली नगरपालिका और पंचायत […]

अनदेखी. महज एक बैठक छोड़ कर कुछ नहीं कर पायी है पटना महानगर योजना समिति

पटना : बढ़ते पटना नगर को व्यवस्थित ढंग से बसाने के लिए राज्य सरकार ने वर्ष 2016 में पटना महानगर योजना समिति की परिकल्पना की. इस समिति को दो वर्ष के भीतर महानगर क्षेत्र में पड़ने वाली नगरपालिका और पंचायत की अगले 20-25 वर्षों के लिए विकास के लक्ष्य, उद्देश्य, नीतियां, प्राथमिकताएं व योजनाएं तय करनी थी. लेकिन, इस अवधि में महज एक बैठक छोड़ कर यह समिति कुछ नहीं कर पायी है. यह बैठक भी इसलिए हुई, ताकि पटना के मास्टर प्लान को लागू कर एनजीटी की आपत्तियों को दूर किया जा सके. सरकार के इस रवैये के चलते निकाय व पंचायतों से चुने गये समिति के 30 सदस्य खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं.
न कार्यालय मिला, न वाहन: राज्य सरकार की नियमवाली के मुताबिक योजना समिति के पदेन अध्यक्ष नगर विकास एवं आवास विभाग के मंत्री होते हैं. उपाध्यक्ष सहित 30 सदस्यों का चुनाव जिले की विभिन्न निकायों से होता है. समिति में राज्य सरकार के कई विभागों के सचिव से लेकर पटना के डीएम, नगर आयुक्त सहित कई अधिकारी इसके पदेन सदस्य होते हैं. बावजूद समिति को न तो अपना कार्यालय है और न ही इतने बड़े क्षेत्र के लिए कोई वाहन की व्यवस्था ही की गयी है.
नियम के मुताबिक हर तीन माह पर कम से कम एक बैठक अनिवार्य है, लेकिन अब तक महज एक ही बैठक हुई है. इतनी बड़ी योजना समिति के लिए महज 28 लाख रुपये का सालाना बजट तय किया गया है. वह भी सिर्फ उनके कार्यालय व्यय और सदस्यों के यात्रा भत्ते के एवज के लिए.
1. न कार्यालय मिला, न हो रही बैठकें, कैसे जमीन पर उतरे योजनाएं
2. गठन के दो साल बाद भी हुई महज एक बैठक, सदस्यों को समिति के उद्देश्य भी पता नहीं
3. मंत्री होते हैं समिति के अध्यक्ष, जिले के तमाम नगर निकायों के चयनित सदस्य होते हैं शामिल
ये हैं योजना समिति के कार्य
-महानगर क्षेत्र में पड़ने वाले नगर निकायों एवं पंचायत तथा नगरपालिका निकाय द्वारा तय की गयी योजना को ध्यान में रख कर विकास के लक्ष्य, उद्देश्य, नीतियां व प्राथमिकताएं तय करना.
-अपने गठन की तारीख से दो वर्षों के भीतर नगरपालिका और पंचायत के लिए 20 से 25 वर्षों के समयावधि की भावी योजना तैयार करना.
-महानगर क्षेत्र विकास योजना के भीतर महानगर क्षेत्र वार्षिकी योजना तैयार करना
-महानगर योजनाओं को तैयार करने में व्यावसायिक निकायों सहित वाणिज्य एवं उद्योग मंडल तथा गैर सरकारी संस्थाओं व संगठनों से सलाह लेना
-विभिन्न योजना एवं विकास प्राधिकारों द्वारा किये गये निवेशों की भौतिक उपलब्ध का वार्षिक अनुश्रवण कर उससे संबंधित रिपोर्ट बोर्ड को देना
-नगरपालिका निकायों एवं पंचायतों की स्थिति के उन्नयन और सीमा के परिवर्तन पर उन्हें परामर्श देना
-जल तथा अन्य भौतिक एवं प्राकृतिक संसाधनों की हिस्सेदारी से संबद्ध मामलों को हल करना
-महानगर क्षेत्रीय आधारभूत संरचना के एकीकृत विकास हेतु नीति तैयार करना और परियोजनाओं की पहचान कर सार्वजनिक या निजी अभिकरणों के माध्यम से उनके कार्यान्यवन को सुगम बनाना.
एक उपाध्यक्ष गये, दूसरे अब भी चल रहे पैदल : समिति में पदेन अध्यक्ष के बाद उपाध्यक्ष को अधिकार प्राप्त है. बीते दो वर्ष की अवधि में दो उपाध्यक्ष बदले गये. एक उपाध्यक्ष संजय कुमार सिंह कार्यालय-वाहन की गुहार लगाते लगाते चले गये, जबकि सितंबर 2017 में चुने गये दूसरे उपाध्यक्ष सतीश कुमार तीन महीने बाद भी पैदल हैं. उन्होंने इसको लेकर मुख्यमंत्री से लेकर विभागीय मंत्री व नगर आयुक्त से गुहार लगायी, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ.
सदस्यों से बातचीत
समिति अब तक अपने आशा के अनुरूप काम नहीं कर पायी है. जिस उद्देश्य व नियमों के साथ इसका गठन हुआ, उसको लागू करने के लिए शासन-प्रशासन को कार्रवाई करनी चाहिए.-आफताब आलम, सदस्य महानगर योजना समिति सह अध्यक्ष, फुलवारी नगर परिषद
ये हैं महानगर कमेटी के सदस्य
पटना नगर निगम क्षेत्र से छठिया देवी, रीता रानी, सतीश कुमार, जय प्रकाश सिंह, कुमार संजीत, प्रभा देवी, मीरा देवी, सुचित्रा सिंह, श्वेता राय, माला सिन्हा हैं. नगर निकाय क्षेत्र से मो. अफताब आलम, इंद्र प्रसाद, गोपाल प्रसाद, दीपक कुमार, कुमार पिंटू अविनाश, केशर प्रसाद, विभा देवी, प्यारे लाल हैं. ग्रामीण क्षेत्र से सतीश कुमार, शंकर प्रसाद यादव, मनीष कुमार, नवलेश कुमार सिंह, पूनम देवी, वंदना कुमारी, शोभा कुमारी, आभा देवी, कमलेश कुमार, आशा देवी, जयप्रकाश पासवान, मीना देवी हैं.
चुनाव के बाद कोई खोज-खबर ही नहीं ली गयी. सदस्यों की क्या जिम्मेवारी है, इसके बारे में भी नहीं बताया गया है. कम से कम मीटिंग तो होनी चाहिए ताकि सदस्य परिचित हों. माला सिन्हा, सदस्य, महानगर योजना समिति सह वार्ड पार्षद 44
योजना समिति के उचित कार्यान्यवन को लेकर मुख्यमंत्री से लेकर नगर विकास मंत्री और नगर आयुक्त से मुलाकात की. मुख्यमंत्री ने सकारात्मक आश्वासन दिया, लेकिन असर नहीं दिख रहा. न तो समिति के लिए कार्यालय की व्यवस्था हुई है, न लंबी अवधि से बैठक ही हो सकी है.
सतीश कुमार, उपाध्यक्ष, पटना महानगर योजना समिति.
पाटलिपुत्र में 469 निबंधन
इसके अलावा शहर के प्रमुख इलाकों में रजिस्ट्री के आंकड़ों को देखा जाये, तो पाटलिपुत्र, मैनपुरा और खाजपुरा में भी जमीन, मकान, फ्लैट वगैरह खरीदने-बेचनेवालों की संख्या दीघा की अपेक्षा कुछ कम रही. पाटलिपुत्र में 469, खाजपुरा में 400 व मैनपुरा में 172 रजिस्ट्री हुई है. इसमें पाटलिपुत्र व मैनपुरा को मिला कर बोरिंग रोड क्षेत्र से संबंधित आंकड़ों के अनुसार कुल 645 रजिस्ट्री हुई है.
पटना सदर में पिछले एक वर्ष के दौरान जितने जमीन, मकान व फ्लैट आदि की रजिस्ट्री करायी गयी है, उसमें सबसे अधिक रजिस्ट्री दीघा मौजे में हुई है. उसके बाद पाटलिपुत्र-मैनपुरा व खाजपुरा का स्थान है.
एसएन चौधरी, अवर जिला निबंधक, पटना सदर

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