पटना : 37 वार्डों के साथ वर्ष 1952 में नगर निगम बोर्ड का गठन किया गया, वार्डों की संख्या बढ़ कर अब 75 हो गयी है. खास बात यह है कि पिछले 65 वर्षों में निगम क्षेत्र में नगरीय सुविधाओं का नहीं सिर्फ क्षेत्र का विस्तार किया गया. निगम क्षेत्र में दर्जनों ऐसी कॉलोनियां हैं, जहां पीने के पानी, सीवरेज, ड्रेनेज और सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है. इसकी वजह यह है कि आज भी निगम क्षेत्र का विकास 1982 के मास्टर प्लान के अनुसार ही किया जा रहा है. मास्टर प्लान 2031 को अभी तक स्वीकृति नहीं मिल सकी है. इसके चलते लगातार बिना किसी ठोस प्लान के आबादी का विस्तार होता जा रहा है.
अपार्टमेंट कल्चर बढ़ रहा है. वर्ष 2007 के निगम चुनाव के समय 24 गांवों को निगम क्षेत्र में शामिल करते हुए वार्ड संख्या तीन में शामिल किया गया.
नयी कॉलोनियों में नहीं हैं सुविधाएं: वार्ड संख्या तीन क्षेत्र का महुआ बाग, जो कभी ग्रामीण इलाका था, अब यहां दर्जनों अपार्टमेंट बन गये हैं, जिनमें लोग रह रहे हैं. वहीं, दर्जनों अपार्टमेंट निर्माणाधीन हैं. स्थिति यह है कि महुआ बाग की मुख्य सड़क पर स्थित अपार्टमेंट में लोग रह रहे हैं. लेकिन, अपार्टमेंट किसी सीवरेज लाइन से जुड़े नहीं हैं. इनके वेस्टेज पानी के लिए बिल्डर ने ग्राउंड फ्लोर में सोख्ता बनाया है. अपार्टमेंट से पानी निकासी के लिए सड़क पर ही पाइप निकाल दिया गया है.
बिना प्लान के सीवरेज व ड्रेनेज का किया जा रहा निर्माण
40-50 वर्ष पहले निगम क्षेत्र में जलापूर्ति पाइप के साथ-साथ ड्रेनेज व सीवरेज लाइन का विस्तार किया गया.
इसके बाद से समग्र निगम क्षेत्र में ड्रेनेज व सीवरेज के विस्तार को लेकर योजना नहीं बनायी गयी. स्थिति यह है कि वार्ड स्तर पर जरूरत के अनुसार योजना तैयार की गयी. विशेष रूप से नगर आवास विकास विभाग ने बुडको के सहयोग से 1800 किलोमीटर सीवरेज लाइन बिछाने की योजना तैयार की, जिसको अब तक पूरा हो जाना चाहिए था. लेकिन अब तक योजना फाइलों में ही दौड़ रही है.