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बिहार : 10% बढ़ेगा राज्य का बजट आकार

तैयारी. नये बजट का योजना आकार गैर-योजना आकार से हो सकता है छोटा पटना : चालू वित्तीय वर्ष 2017-18 की अंतिम तिमाही में नये वित्तीय वर्ष 2018-19 के बजट को तैयार करने की कवायद वित्त विभाग में निर्णायक चरण में चल रही है. इसके लिए सभी विभागों से नये बजट को तैयार करने से संबंधित […]

तैयारी. नये बजट का योजना आकार गैर-योजना आकार से हो सकता है छोटा
पटना : चालू वित्तीय वर्ष 2017-18 की अंतिम तिमाही में नये वित्तीय वर्ष 2018-19 के बजट को तैयार करने की कवायद वित्त विभाग में निर्णायक चरण में चल रही है. इसके लिए सभी विभागों से नये बजट को तैयार करने से संबंधित प्रस्ताव या बजट अनुमान अंतिम रूप से मांगा गया है. सभी विभागों से प्रस्ताव प्राप्त होने के बाद इसे अंतिम रूप दे दिया जायेगा. हालांकि अब तक के अनुमान और वित्तीय संसाधनों के आधार पर इस बात की पूरी संभावना है कि सूबे का आगामी बजट मौजूदा बजट आकार से कम से कम 10 फीसदी बड़ा होगा.
यानी इसके बढ़कर एक लाख 75 हजार करोड़ से ज्यादा का होने अनुमान है. शुरुआत में नये वित्तीय वर्ष 2018-19 के नये बजट का अनुमान एक लाख 85 हजार करोड़ से अधिक होने की संभावना व्यक्त की जा रही थी लेकिन नोटबंदी और जीएसटी बिल की वजह से केंद्र से लेकर राज्य स्तर तक टैक्स कलेक्शन में कमी होने की वजह से बजट आकार के 1.75 लाख
करोड़ तक ही सिमटने का अनुमान ज्यादा प्रमुखता से लगाया जा रहा है. नये बजट में सात निश्चय की योजनाओं, शिक्षा, बिजली, उद्योग और कृषि रोडमैप पर होगा खासतौर से फोकस किया जायेगा.
वेतन और पेंशन आकार बढ़ने का अनुमान
नये बजट में वेतन और पेंशन का आकार ज्यादा बढ़ने का अनुमान है. सातवां वेतनमान लागू होने की वजह से वेतन और पेंशन पर चार हजार 75 करोड़ का अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ने का अनुमान है. इसके अलावा नियोजित शिक्षकों को वेतन के अलावा बड़ी संख्या में पुलिस महकमा, कृषि समेत अन्य विभागों में अलग-अलग स्तर पर कर्मियों की बहाली भी होने जा रही है.
इस वजह से भी गैर-योजना आकार या कमिटेड एक्सपेंडिचर का आकार बढ़ने की संभावना है. वर्तमान में यह 80 हजार करोड़ का है, जिसके बढ़कर 90 हजार करोड़ तक पहुंचने का अनुमान लगाया जा रहा है. इस आधार पर इस बात की भी संभावना काफी है कि नये बजट का योजना आकार गैर-योजना आकार से छोटा हो सकता है. हालांकि नये बजट में योजना आकार के स्थान पर कैपिटल एक्सपेंडिचर और गैर-योजना आकार पर कमिटेड एक्सपेंडिचर शब्द का प्रयोग किया जायेगा.
सूबे का राजस्व संग्रह लक्ष्य से कम होने का अनुमान
बिहार का राजस्व संग्रह मौजूदा लक्ष्य 34 हजार 876 करोड़ के लक्ष्य से कम होने का अनुमान लगाया जा रहा है. अब तक करीब 17 हजार करोड़ रुपये ही राजस्व की वसूली हो पायी है.
वित्तीय वर्ष समाप्त होने में करीब तीन महीने बचे हैं और राजस्व संग्रह आधा से ज्यादा करना बड़ी चुनौती है. इसके 26 से 30 हजार करोड़ तक ही पहुंचने का अनुमान लगाया जा रहा है. इसका प्रभाव भी बजट आकार पर सीधे तौर पर पड़ेगा.
केंद्र से मिलेंगे इतने रुपये
केंद्र सरकार से मिलने वाले रुपये में इस बार बहुत बड़ी कटौती की संभावना नहीं है. अब तक केंद्रीय टैक्स पुल से निर्धारित लक्ष्य 65 हजार 326 करोड़ में 41 हजार 958 करोड़ आ चुके हैं.
इस मद में मार्च तक पूरी किस्त आ जायेगी. इसके अलावा इस बार जीएसटी से अनुग्रह या क्षतिपूर्ति अनुदान के रूप में तीन हजार 500 करोड़ रुपये अतिरिक्त मिलेंगे. केंद्र प्रायोजित योजनाओं में 31 हजार 500 करोड़ आने का लक्ष्य है, जिसमें अब तक 12 हजार करोड़ आ गये हैं. इसमें करीब सात-आठ हजार करोड़ रुपये कम आने का अनुमान लगाया जा रहा है. पिछले वित्तीय वर्ष में इस मद में करीब 16 हजार करोड़ रुपये आये थे.
इन रुपये का असर भी सीधे तौर पर नये बजट पर पड़ेगा.

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