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बिहार : प्राइमरी स्कूलों में एडमिशन लिये आधे बच्चे ही आते हैं पढ़ने

पटना : राज्य के प्रारंभिक स्कूलों में एडमिशन लिये बच्चों में आधे से कम बच्चे ही नियमित रूप से स्कूल आते हैं. कोई बच्चा दो-तीन दिन नियमित रूप से आ गया तो अगले एक-दो दिन वे स्कूल से गायब हो जाता है. इसका खुलासा प्रारंभिक स्कूलों में बांटी जाने वाली पोशाक योजना की राशि के […]

पटना : राज्य के प्रारंभिक स्कूलों में एडमिशन लिये बच्चों में आधे से कम बच्चे ही नियमित रूप से स्कूल आते हैं. कोई बच्चा दो-तीन दिन नियमित रूप से आ गया तो अगले एक-दो दिन वे स्कूल से गायब हो जाता है.
इसका खुलासा प्रारंभिक स्कूलों में बांटी जाने वाली पोशाक योजना की राशि के लिए छात्रों के नामों की लिस्टिंग से हुई है. प्रारंभिक स्कूलों में नामांकित 2.14 करोड़ बच्चों में से इस साल मात्र 1.02 करोड़ बच्चों को इस योजना का लाभ मिल सकेगा. ये वे बच्चे हैं जो नियमित रूप से स्कूल आते हैं और उनकी उपस्थिति 75 फीसदी से अधिक है.
राज्य के साढ़े 72 हजार प्रारंभिक स्कूलों में करीब 2.14 करोड़ बच्चे नामांकित हैं. इनमें से नियमित रूप से करीब 1.25 करोड़ बच्चे ही स्कूल आ पाते हैं. बच्चों की अनुपस्थिति के अलग-अलग कारण भी होते हैं. कुछ बच्चे ऐसे होते हैं जो एडमिशन तो ले लेते हैं, लेकिन स्कूल नहीं आते हैं.
ये बच्चे प्राइवेट स्कूलों में पढ़ते हैं. राज्य सरकार ऐसे बच्चों को सरकारी योजना का लाभ नहीं देने का निर्देश पहले ही दे चुकी है. साथ ही एक-दो मूल्यांकन में अनुपस्थित रहने पर स्कूल के शिक्षक संबंधित बच्चों के अभिभावकों को तलब करते हैं और उनके गैर हाजिर होने का कारण पूछते हैं.
ऐसे बच्चों को फाइनल मूल्यांकन में बैठने नहीं दिया जाता है. वहीं, अधिकतर बच्चे जो नियमित रूप से स्कूल नहीं आते हैं वे पर्व त्योहार, शादी समारोह से लेकर निजी कारणों से स्कूल नहीं आते हैं. राज्य सरकार बच्चों को नियमित रूप से स्कूल लाने के लिए जिलों को निर्देश देने की तैयारी कर रही है. जो बच्चे नियमित रूप से स्कूल नहीं आते हैं अौर लगातार अनुपस्थित हो जाते हैं, उनके अभिभावकों को स्कूल में बुलाया जायेगा और बच्चे के नहीं आने का कारण पूछा जायेगा. कारण संतोष जनक होने पर बच्चे को मौका दिया जायेगा. नहीं तो उसका नाम भी काटा जा सकेगा.
सरकारी स्कूलों में नामांकित सभी बच्चे नियमित रूप से स्कूल नहीं आते हैं. करीब 50-60 फीसदी बच्चे ही स्कूलों में नियमित रूप से आते हैं. सरकार स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति बढ़ाने का प्रयास कर रही है, जिसका फायदा आने वाले समय में दिखेगा.
राजीव रंजन, कार्यक्रम
पदाधिकारी, बिहार शिक्षा परियोजना

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