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जमीन नहीं मिलने से परेशानी, दो सालों में मात्र तीन स्कूल खुले, 2860 पंचायतों में नहीं हैं हाईस्कूल

पटना : राज्य के 2860 पंचायतों में अब भी हाईस्कूल नहीं हैं. इन पंचायतों के बच्चों को हाई और प्लस टू की पढ़ाई के लिए दूसरे पंचायतों के हाईस्कूलों में जाना पड़ता है. जमीन नहीं मिलने के कारण इन पंचायतों में नये हाईस्कूलों के खुलने और मिडिल स्कूल को अपग्रेड करने में परेशानी हो रही […]

पटना : राज्य के 2860 पंचायतों में अब भी हाईस्कूल नहीं हैं. इन पंचायतों के बच्चों को हाई और प्लस टू की पढ़ाई के लिए दूसरे पंचायतों के हाईस्कूलों में जाना पड़ता है. जमीन नहीं मिलने के कारण इन पंचायतों में नये हाईस्कूलों के खुलने और मिडिल स्कूल को अपग्रेड करने में परेशानी हो रही है. पिछले दो सालों में इस समस्या के कारण मात्र तीन मिडिल स्कूल ही अपग्रेड होकर हाईस्कूल बन सके हैं.

किसी हाईस्कूल के लिए एक एकड़ जमीन की आवश्यकता होती है लेकिन राज्य सरकार इस बाध्यता को खत्म कर 75 डिसमिल (पौन एकड़) जमीन करने की तैयारी कर रही है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ही हर पंचायतों में एक हाई सह प्लस टू स्कूल खोलने की घोषणा की थी.

मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद ही नये हाईस्कूल खोलने के साथ-साथ वैसे मिडिल स्कूल जिनके पास एक एकड़ की जमीन मौजूद थी, उसे अपग्रेड कर हाईस्कूल बनाया जा रहा था. 2014-15 में जहां 1,300, वहीं 2015-16 में 896 मिडिल स्कूलों को अपग्रेड कर हाई सह प्लस टू स्कूल बनाया गया. अपग्रेड होने के बाद इन स्कूलों में पहले साल नौवीं की और उसके बाद अगले साल दसवीं की पढ़ाई शुरू की गयी. राज्य में नया हाईस्कूल खोलने के लिए पंचायतों में एक जगह एक एकड़ जमीन नहीं मिल रही है. ऐसे पंचायतों में जो मिडिल स्कूल हैं उनके पास भी एक एकड़ की जमीन नहीं है.

बिहार के 64%
स्कूलों में नहीं है बिजली
राजेश कुमार सिंह4पटना
बिहार सरकार ने बच्चों की सेहत, शिक्षा से लेकर उनके सर्वांगीण विकास को लेकर तमाम विभागों के स्तर से खाका खींच रही है. इन्हीं विभागों के माध्यम से विभिन्न स्तरों पर विकास के काम भी हो रहे हैं. इसी क्रम में सरकार ने विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं के साथ मिलकर वर्ष 2017-22 तक का ‘बिहार स्टेट ड्राफ्ट प्लान ऑफ एक्शन फॉर चिल्ड्रेन 2017’ जारी किया है. इसमें कुछ ऐसे बिंदुओं को फोकस किया गया है, जो बच्चों से संबंधित है. बच्चों की शिक्षा, विकास, स्वास्थ्य आदि को लेकर सामने आयी हकीकत को इंगित करते हुए अगले कुछ सालों में बेहतर काम करने की योजना बनायी गयी है. इसी में यू-डाइज (यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इनफॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजूकेशन) 2015-16 की रिपोर्ट का हवाला दिया गया है. इसके अनुसार बिहार के मात्र 34.9 प्रतिशत विद्यालयों में बिजली है. साफ है, 64 प्रतिशत स्कूलों में बिजली नहीं है. हालांकि, तमाम स्कूलों में सुविधाएं बढ़ायी भी गयी हैं.
एक नजर में
स्कूलों में रसाई घर : 62.5
कंप्यूटर से लैस स्कूल : 7.6
बिजली कनेक्शन वाले
स्कूल : 34.9
एमडीएम वाले स्कूल : 96.5
स्कूलों में पेयजल
सुविधा : 94.2
स्कूलों में छात्रों के लिये शौचालय : 89
स्कूलों में छात्राओं के लिए शौचालय : 89.9
चहारदीवारी वाले
स्कूल : 52.5
खेल मैदान वाले स्कूल : 35.3
सड़क मार्ग से सीधे जुड़े
स्कूल : 86.3
एक शिक्षक वाले स्कूल : 4.2
एकल कक्षा वाले स्कूल : 1.9
(यू-डाइज 2015-16 के अनुसार, सभी आंकड़े % में)
प्रदेश में हैं 80166 स्कूल
यू-डाइज (2015-16) की रिपोर्ट के अनुसार सरकार ने बताया है कि प्रदेश में 80166 स्कूल हैं. इसमें से 54.14 प्रतिशत स्कूल प्राइमरी और 41.05 प्रतिशत स्कूल प्राइमरी और इससे ऊपर के हैं. मात्र पांच फीसदी स्कूल सेकेंडरी और हायर सेकेंडरी स्तर के हैं. इसके अलावा यह भी साफ किया गया है कि प्रशिक्षित शिक्षकों की कमी है, जो नियमों को पूरा करते हों.

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