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खाते में आ रहा पूरा पैसा पर अधूरा बनाया जा रहा शौचालय

पटना : स्वच्छता अभियान के तहत सरकार की ओर से लाभुकों के एकाउंट में 12, 500 रुपया जाता है, लेकिन शौचालय निर्माण के नाम पर जैसे-तैसे काम को पूरा कर अधिकारी पैसों का बंदरबांट कर रहे हैं. यही कारण है कि ओडीएफ घोषित होने के बाद भी गांव व उस पंचायत के अधिकांश लोग अब […]

पटना : स्वच्छता अभियान के तहत सरकार की ओर से लाभुकों के एकाउंट में 12, 500 रुपया जाता है, लेकिन शौचालय निर्माण के नाम पर जैसे-तैसे काम को पूरा कर अधिकारी पैसों का बंदरबांट कर रहे हैं. यही कारण है कि ओडीएफ घोषित होने के बाद भी गांव व उस पंचायत के अधिकांश लोग अब भी शौच के लिए बाहर निकल जाते हैं. पटना जिले की बात करें, तो अब तक 791 से अधिक वार्डों को ओडीएफ किया चुका है, पर शौचालय का निर्माण जिस तरह से किया गया है, उसमें छत व दरवाजा नहीं है. हालांकि उस व्यक्ति के नाम पर एकाउंट में पैसा आयेगा, तो उसके पैसे का बंदरबांट हो जायेगा. इस बंदरबांट में बीडीओ, मुखिया और अधिकारियों से लेकर वह व्यक्ति भी शामिल हो जाता है.
शौचालय निर्माण का तरीका : एक गड्ढा तीन फुट व दूसरा चार फुट गहरा होगा और इसमें एक परिवार के 5-6 सदस्य शौच के लिए जाते हैं. अगर एक गड्ढा भर जाये, तो उसे बंद कर देना हैं और दूसरे गड्ढे का उपयोग प्रारंभ कर देना है, क्योंकि एक से दो माह के बाद यह एक बढ़िया खाद बन जायेगा. इस खाद में न तो कोई दुर्गंध होगी और न ही कोई हानिकारक जीवाणु होंगे. तब पहले गड्ढे को खोला जाये और दूसरे गड्ढे को बंद कर दिया जाता है. इस प्रकार दो सोख्ता गड्ढे वाले शौचालयों को कई वर्षों तक उपयोग में लाया जा सकता है, लेकिन ओडीएफ घोषित गांव में इसमें भी धांधली होती है.
जिला प्रशासन के मुताबिक एक शौचालय बनाने में अनुमानित खर्च का ब्योरा, जो नहीं लगाया जाता
सामग्री मात्रा राशि
ईंट 845 4500
सीमेंट 5बोरी 1500
छरी 6सीएफटी 300
पैन सेट 1पीस 500
पाइप 10फुट 450
छड़ 8किलो 500
दरवाजा 1पीस 1000
छत एसबेस्टर 1पीस 500
नल 2पीस 100
रंग चूना 5किलो 100
बालू जितना लगे 500
कुल 9950
केंद्र सरकार का कोई ऐसा निर्देश नहीं है कि शौचालय निर्माण के बाद लाभुकों को पैसा दिया जाये, लेकिन पूर्व के दिनों में निर्माण के नाम पर पैसे की गड़बड़ी सामने आयी है. इसके बाद राज्य सरकार ने अपने स्तर पर राशि भुगतान का नियम बनाया है.
रामकृपाल यादव, केंद्रीय राज्यमंत्री
शौचालय निर्माण के लिए लाभुकों को जीविका व अन्य स्तर से पैसा भी दिया जाता है, जहां ऐसा निर्माण नजर में आता है, तो उसे ठीक कराया जाता है. अब पैसा लाभुकों के एकाउंट में आता है.
एसके अग्रवाल, डीएम

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