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अगमकुआं के निजी नर्सिंग होम में मां बंधक, बेटा गांव-गांव मांग रहा भीख

पटना/मधेपुरा : पैसे की खातिर एक मां पटना के एक निजी नर्सिंग होम में बंधक बनी है और उसे छुड़ाने के लिए सात साल का एक बेटा गांव-गांव भीख मांग रहा है. मां का कसूर इतना है कि उसके पास नर्सिंग होम का बिल जमा करने लायक पैसे नहीं हैं. उसका मासूम बेटा मधेपुरा स्थित […]

पटना/मधेपुरा : पैसे की खातिर एक मां पटना के एक निजी नर्सिंग होम में बंधक बनी है और उसे छुड़ाने के लिए सात साल का एक बेटा गांव-गांव भीख मांग रहा है. मां का कसूर इतना है कि उसके पास नर्सिंग होम का बिल जमा करने लायक पैसे नहीं हैं. उसका मासूम बेटा मधेपुरा स्थित अपने गांव आकर भीख मांग रहा है ताकि वह पैसा जमा कर अपनी मां को नर्सिंग होम से छुड़ा सके. लेकिन भीख मांग कर रहे जब पैसे पूरे नहीं हो रहे है, तो बच्चा किसी के यहां गिरवी रहने को भी तैयार है.

वह हर हाल में अपनी मां को छुड़ा लाना चाहता है. मधेपुरा सदर प्रखंड के महेशुवा पंचायत अंतर्गत हनुमान नगर चौड़ा वार्ड नंबर 20 का बालक कुंदन शनिवार को आसपास के गांव में भीख मांग रहा था. भीख मांगने की वजह जान कर हर कोई उसकी हिम्मत की दाद देते हुए किसी भी प्रकार से मदद करना चाहता था. एक-एक लोग से 10, 20, 50 रुपया भीख मांग करके 13 हजार जमा कर चुके कुंदन को अब भी एक लाख रुपये की दरकार है. हालांकि अब स्थानीय जनप्रतिनिधि उसके दुख: दर्द को देख मदद के लिए आगे आ रहे है.

निर्धन राम की पत्नी ललिता देवी को 15 दिन पूर्व पेट दर्द की शिकायत हुई, वह गर्भवती थी. पहले उसे सिंहेश्वर में डॉक्टर ने सदर अस्पताल ले जाने की सलाह दी, लेकिन सदर अस्पताल में बिना कोई जांच किये ही डॉक्टर ने स्थिति गंभीर होने की बात कह मरीज को टरका दिया. आर्थिक तंगहाली झेल रही ललिता को सहरसा के डाॅ विपिन कुमार यादव के यहां भर्ती कराया गया. वहां भी डॉक्टर ने उसकी गरीबी का मजाक उड़ाते हुए कहा कि बच्चा पेट में मर गया है, मरीज कोमा में चली गयी है, लेकिन अगर पटना नहीं ले जाया गया तो मरीज की मौत हो जायेगी. तत्काल मरीज से पांच हजार रुपये का डिमांड कर कहा गया कि 30 हजार तक पटना में सारा इलाज हो जायेगा. पड़ोसी की मदद से मरीज ने पांच हजार जमा कराया तो उसे एंबुलेंस से डॉक्टर पटना लेकर गये. पटना के अगमकुआं स्थित मां शीतला इमरजेंसी हॉस्पिटल में मरीज को भर्ती करा सहरसा के डॉक्टर निकल गये. हालांकि वहां ललिता का आॅपरेशन कर पेट से मरा हुआ बच्चा निकाला गया. इसके बाद कुंदन पर सवा लाख रुपया जमा कराने का दबाव बनाये जाने लगा.

गाय बेच कर मिला 10 हजार, भीख मांग कर जमा किया 13 हजार

गांव के सरकारी जमीन पर फूसनुमा घर बना कर जीवन यापन करने वाले निर्धन व ललिता के जीविका का साधन एक गाय थी. पटना में इलाज के दौरान गाय को दस हजार में बेच कर डॉक्टर के खाते में जमा किया गया है. इसके अलावा आसपास के गांव में भीख मांग कर कुंदन ने 13 हजार रुपये इकट्ठा किया और वह राशि भी मनोज कुमार के नाम से बैंक ऑफ बड़ौदा में जमा करायी है, लेकिन पहले ही दलाल के चक्कर में फंस चुके कुंदन के माता पिता निर्धन राम व ललिता से पटना स्थित नर्सिंग होम में एक लाख रुपये का डिमांड किया जा रहा है. डॉक्टर द्वारा पूरा पैसा जमा करने के बाद ही मरीज को छोड़ने की बात कही गयी है. दो दिन पूर्व ही ललिता का कांटा कट चुका है,लेकिन पैसा जमा नहीं होने के कारण शनिवार शाम तक उसे नर्सिंग होम से रिहा नहीं किया गया है. यही नहीं मरीज को दो दिनों से खाने के लिए भी नहीं दिया जा रहा है.

ससुराल की तरह रह रहे हैं

-डॉ निशा भारती

मां शीतला इमरजेंसी हॉस्पिटल के नंबर 7654600595 पर शाम के 07:21 बजे जब फोन लगाया गया तो उधर से डॉ निशा भारती ने मोबाइल उठाया. डाॅ निशा ने कहा कि अगर कम से कम पच्चीस हजार रुपये दे दिया जायेगा, तो उन्हें छोड़ देंगे. खाना पीना बंद करने के सवाल पर डॉ निशा ने कहा कि उन्हें ससुराल की तरह रख रहे हैं.

डाॅ निशा के नंबर पर ही नर्सिंग होम में भर्ती ललिता से नर्सिंग होम के कंपाउंडर ने बात करायी, तो ललिता ने कहा- अब तक पैसा का इंतजार कर रहे हैं. पैसा जमा नहीं होने के कारण यहां से छोड़ा नहीं जा रहा है. पहले तो दोनों टाइम खाना मिलता था, लेकिन अब सुबह में एक समय हल्का खाना ही दिया जाता है, रात को भूखे पेट सोते हैं.
सिर्फ एक समय सुबह मिलता है हल्का खाना -ललिता, पीड़िता

अगमकुआं के प्रभारी थानाध्यक्ष धीरेंद्र कुमार ने कहा कि अभी इसकी सूचना नहीं मिली है. शिकायत मिलने पर कड़ी कार्रवाई की जायेगी. परिजन आकर थाने में सूचना दें.

तहकीकात कर होगी कार्रवाई -थानाध्यक्ष

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