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बिहार चारा घोटाला : 55वें गवाह डॉ शशि कुमार ने कहा, लालू व अफसरों को ब्रीफकेस में पहुंचाये जाते थे नोट

पटना : चारा घोटाले के एक मामले में शुक्रवार को सीबीआई ने वायदा माफ अथवा सरकारी गवाह डॉ शशि कुमार सिंह की गवाही करायी. इसके बाद फर्जी बिल के आधार पर नौकरशाहों से लेकर राजनेताओं तक के बीच करोड़ों रुपयों की बंदरबांट सामने आयी है. गवाही में डॉ शशि कुमार ने बताया है कि तत्कालीन […]

पटना : चारा घोटाले के एक मामले में शुक्रवार को सीबीआई ने वायदा माफ अथवा सरकारी गवाह डॉ शशि कुमार सिंह की गवाही करायी. इसके बाद फर्जी बिल के आधार पर नौकरशाहों से लेकर राजनेताओं तक के बीच करोड़ों रुपयों की बंदरबांट सामने आयी है.
गवाही में डॉ शशि कुमार ने बताया है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव समेत कई नेताओं व उच्चाधिकारियों के यहां ब्रीफकेस में भर कर रुपये पहुंचाये जाते थे. रुपये पहुंचाने, ट्रांसफर-पोस्टिंग व फर्जी बिल के आधार पर आवंटन कराने में पशुपालन विभाग के तत्कालीन क्षेत्रीय निदेशक श्याम बिहारी सिन्हा की बड़ी भूमिका थी.
फर्जी एलॉटमेंट लेटर लेने पटना आते थे श्याम बिहारी सिन्हा : डॉ शशि कुमार इस मामले में अभियुक्त थे.बाद में सीबीआई ने उन्हें सरकारी गवाह बनाते हुए कोर्ट में गवाही करायी. डॉ कुमार ने बयान में बताया कि उस समय पशुपालन विभाग के क्षेत्रीय निदेशक श्याम बिहारी सिन्हा पटना जब भी आते, तो वह (डॉ शशि कुमार) भी साथ आते थे. फर्जी एलॉटमेंट लेटर लेने के लिए वह नौकरशाह व राजनीतिज्ञों से मिलते थे. उसी एलॉटमेंट के आधार पर रांची के आय-व्यय पदाधिकारी शशि भूषण के हस्ताक्षर से आवंटन किया जाता था.
पहले 20 से 50 हजार दिये जाते थे, फिर होने लगी लाखों की बंदरबांट
पटना. श्याम बिहारी सिन्हा नौकरशाह व राजनीतिज्ञों से मिल कर ट्रांसफर-पोस्टिंग कराते थे. वहीं राजनीतिज्ञ व नौकरशाहों के बीच पैसे भी बांटते थे. गवाह डॉ कुमार ने बताया कि श्याम बिहारी सिन्हा लालू प्रसाद यादव, राधानंद झा, जगदीश शर्मा, राम जतन सिन्हा, भोला राम तूफानी, विद्या सागर निषाद और डॉ आरके राणा से भी बराबर मिलते रहते थे. वह श्याम बिहारी सिन्हा के साथ लालू प्रसाद के आवास पर भी गये, जहां श्याम बिहारी सिन्हा शुरू में 20 हजार और 50 हजार रुपये लालू प्रसाद को दिया करते थे. बाद में रकम बढ़ जाने के कारण ब्रिफकेस में दिया जाने लगा. विद्या सागर निषाद, भोला राम तूफानी को भी 30 से 50 हजार रुपये तक दिये जाते थे. जगदीश शर्मा को भी तीन-चार बार उनके आवास पर जाकर दिया गया. तत्कालीन पशुपालन मंत्री चंद्रदेव प्रसाद वर्मा, अधिकारी बेग जूरियस को भी कई बार पैसे दिये गये. गवाह ने बताया कि जो पैसा राजनीतिज्ञ व नौकरशाहों को दिया जाता था, वह फर्जी बिल के आधार पर दवा आपूर्तिकर्ताओं को दिये गये पैसे से ही दिया जाता था. यहां तक कि 1984 से 1994 के बीच पशुपालन विभाग में थर्ड और फोर्थ ग्रेड कर्मचारियों की नियुक्ति हुई थी, उसमें श्याम बिहारी सिन्हा ने आरके राणा व लालू प्रसाद के कहने पर ही अधिकतर नियुक्ति की थी.
बिहार भवन में लालू को दिये गये थे 10 लाख
अपने बयान में गवाह डॉ शशि कुमार ने बताया कि 1992 में जब वह श्याम बिहारी सिन्हा के साथ दिल्ली गये थे, तब दिनेश चांडक के साथ वह होटल हयात में रुके थे. वहां डॉ राणा की मौजूदगी में दिल्ली स्थित बिहार भवन में लालू प्रसाद को ब्रीफकेस में भर कर 10 लाख रुपये दिये गये थे. लालू प्रसाद के एक रिश्तेदार मुकुल ने भी श्याम बिहारी सिन्हा से दो-तीन बार मिल कर पैसे लिये थे. गवाह का क्रॉस एग्जामिनेशन जारी है.
क्या है मामला
यह मामला फर्जी बिल के माध्यम से लगभग 45 करोड़ रुपयो की निकासी से संबंधित है. इसमें लालू प्रसाद, डॉ जगन्नाथ मिश्रा, आरके राणा समेत कुल 28 अभियुक्तों के खिलाफ सुनवाई चल रही है.

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