पटना: कुहासा मतलब रेलवे के लिए आफत. इस आफत से लड़ने को लेकर रेलवे ने तरह-तरह की कवायद की, लेकिन अब तक कोई सफलता नहीं मिली है. अब कुहासा छाना शुरू हो गया है और अगले दो माह तक घना कुहासा छाया रहेगा. इस दौरान एक्सप्रेस व सुपरफास्ट ट्रेनों की रफ्तार पर ब्रेक लगने के […]
पटना: कुहासा मतलब रेलवे के लिए आफत. इस आफत से लड़ने को लेकर रेलवे ने तरह-तरह की कवायद की, लेकिन अब तक कोई सफलता नहीं मिली है. अब कुहासा छाना शुरू हो गया है और अगले दो माह तक घना कुहासा छाया रहेगा. इस दौरान एक्सप्रेस व सुपरफास्ट ट्रेनों की रफ्तार पर ब्रेक लगने के साथ-साथ पांच से 20 घंटे तक विलंब होनी शुरू हो जायेगी.
इसमें रेल यात्रियों को काफी फजीहत उठानी पड़ती है. ट्रेनें घंटों विलंब होने से पेंट्रीकार का खाना भी खत्म हो जाता है और यात्रियों को अवैध वेंडरों से औने-पौने कीमत पर खान-पान के समान खरीदने को मजबूर होना पड़ता है. लेकिन, रेलवे अब तक कुहासा जैसे आफत से लड़ने को लेकर कारगर कदम नहीं उठा सका है.
कुहासे के दिनों में पटना-चेन्नई-पटना और पटना-मुंबई-पटना रूट की ट्रेनों पर भी कुहासे का प्रभाव पड़ता है, लेकिन इन रूटों की ट्रेनें तीन से पांच घंटे तक विलंब होती है. वहीं, पटना-दिल्ली-पटना, पटना-कोटा-पटना, पटना-इंदौर-पटना रूट की ट्रेनें 20-20 घंटों तक विलंब हो जाती है. आलम यह रहता है कि प्रीमियम ट्रेनें, राजधानी व संपूर्ण क्रांति एक्सप्रेस भी 12 से 15 घंटे विलंब रहती है और लगातार रि-शेड्यल किया जाता है. इससे दिल्ली से पटना आने या फिर पटना से दिल्ली जानेवाले यात्रियों को काफी परेशानी होती है.
यात्रियों का बढ़ जाता है खर्च
पटना-दिल्ली-पटना के बीच चलनेवाली ट्रेनों की रनिंग टाइम 12 से 14 घंटे निर्धारित हैं. लेकिन, कुहासे के दिनों में ट्रेनें 24 से 30 घंटे में दिल्ली से पटना पहुंचती है. 14 घंटे का सफर जब 30 घंटे में पूरा होता है, तो यात्रियों के खर्च में भी इजाफा हो जाता है. स्टेशन पर ट्रेन के इंतजार में बैठने से लेकर रनिंग ट्रेनें में खान-पान पर खर्च बढ़ जाता है और बेहतर खाना भी नहीं मिलता है. स्थिति यह रहती है कि आउटर पर ट्रेन रुकती है, तो अवैध वेंडर खान-पान के समान बेचना शुरू कर देते हैं. ये वेंडर पांच रुपये के बदले 25 रुपये में समान बेचते हैं और भूखे यात्रियों को मजबूरी में सामान खरीदना पड़ता है.