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बिहार राज्य आवास बोर्ड : कब्जा रोकने खुला थाना, पुलिसकर्मियों ने ही खरीद ली जमीन, होगी कार्रवाई

अनिकेत त्रिवेदी दीघा का 1024.25 एकड़ अधिग्रहण विवाद. बिहार राज्य आवास बोर्ड ऐसे लोगों का तैयार कर रहा डाटा पटना : यह मामला वैसे ही है जैसे दूध की रखवाली किसी बिल्ली को दे दी गयी हो. राजधानी के इस भूखंड के अधिग्रहण को लेकर लगभग चार दशक से मामला विवादित चल रहा है. दीघा […]

अनिकेत त्रिवेदी
दीघा का 1024.25 एकड़ अधिग्रहण विवाद. बिहार राज्य आवास बोर्ड ऐसे लोगों का तैयार कर रहा डाटा
पटना : यह मामला वैसे ही है जैसे दूध की रखवाली किसी बिल्ली को दे दी गयी हो. राजधानी के इस भूखंड के अधिग्रहण को लेकर लगभग चार दशक से मामला विवादित चल रहा है. दीघा के 1024.25 एकड़ पर आवास बोर्ड की ओर से अधिग्रहण का दावा किया जाता रहा और स्थानीय लोग इसका विरोध करते रहे हैं.
इस भूखंड की रखवाली और अधिग्रहित जमीन पर किसी तरह के निर्माण पर रोक लगाये रखने को लेकर बाकायदा राजीव नगर में थाना खोला गया, लेकिन अब मामला ऐसा आ रहा है कि तो उसी थाने में रहे कई थाना प्रभारी व पुलिसकर्मियों ने अधिग्रहण में जमीन खरीद ली है.
मतलब जिनके भरोसे जमीन पर कब्जा रोकने की जिम्मेदारी थी, उन्होंने ही राजीव नगर, नेपाली नगर व आसपास के इलाकों में जमीन खरीद कर सरकारी सिस्टम का माखौल उड़ा दिया है. वहीं, आवास बोर्ड के अधिकारी फिलहाल नाम सार्वजनिक नहीं कर रहे हैं. लेकिन, ऐसे सात लोगों की लिस्ट बनायी गयी है.
आवास बोर्ड ऐसे और सरकारी कर्मियों व अधिकारियों की सूची तैयार कर रहा है. जानकारी के अनुसार ऐसे 50 लोग सामने आ सकते हैं, जो सरकारी सेवा में रहते अधिग्रहित जमीन की खरीदारी की है. आवास बोर्ड के अधिकारी बताते हैं कि ऐसे पुलिसकर्मियों या अन्य सेवाओं में रहे कर्मियों के खिलाफ आवास बोर्ड उनके संबंधित विभाग को लिखेगा. इन पर विभागीय कार्रवाई करने की अनुशंसा की जायेगी.
पुलिसकर्मी से लेकर सीआरपीएफ के अफसर तक
फिलहाल जिन पुलिसकर्मियों का नाम सामने आ रहा है. उसमें राजीव नगर थाने में कांस्टेबल रहे अरुण कुमार सिन्हा ने अपनी पत्नी आशा सिन्हा के नाम से जमीन खरीदी है. इसके अलावा राजीव नगर थाने के पुलिसकर्मी प्रभात कुमार की सास सुनीता सिंह, राजीव नगर के थाना प्रभारी रहे रमाकांत तिवारी ने ससुर मंकेश्वर पांडेय के नाम पर जमीन खरीदी है.
वहीं, राजीव नगर में तैनात सीआरपीएफ कांस्टेबल विपिन कुमार ने तीन जगहों पर जमीन खरीदी है. इसके अलावा एजी ऑफिस में कार्यरत चंद्रभूषण सिंह व राजीव नगर के सीआरपीएफ कमांडिंग अॉफिसर दिलीप कुमार चौधरी ने भी जमीन खरीदी है.
आवास बोर्ड कार्रवाई कर रहा है. विभिन्न एजेंसियों को जमीन देने का काम किया जा रहा है. साथ ही जिन लोगों ने नवंबर, 2013 के बाद से जमीन खरीदी है. उन को अधिग्रहण का लाभ नहीं मिलेगा.
अमरेंद्र प्रसाद सिंह, एमडी, आवास बोर्ड
राजधानी में मिली सस्ती जमीन, तो खरीद ली
दीघा के अधिग्रहण वाले क्षेत्रों में जमीन खरीदने का मामला सस्ती जमीन को लेकर है. राज्य सरकार ने पटना जिले में अधिग्रहण को लेकर बहुत पहले से ही रोक लगा दी है. लोग देश के दूसरे राज्यों के महानगर में जमीन की पावर ऑफ एटार्नी लेकर जमीन खरीद रहे हैं. अधिग्रहण के कारण लोग या किसानों ने राजधानी के अन्य क्षेत्रों की तुलना में चौथाई कीमत पर बिक्री की है. इसके अलावा लोगों का रजिस्ट्री शुल्क भी बच गया है.
अधिग्रहण को लेकर धरना-प्रदर्शन
अखिल भारतीय बाढ़-सुखाड़ व कटाव पीड़ित संघर्ष मोर्चा की ओर से सोमवार को दीघा के 1024 एकड़ अधिग्रहण के खिलाफ धरना-प्रदर्शन व अनशन किया गया. कार्यक्रम का आयोजन घोड़दौड़ रोड पर महिलाओं ने क्रमिक रूप से किया. मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राम भजन सिंह यादव ने कहा कि जब तक सरकार हमारी मांगों को पूरा नहीं करती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा.

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