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50 रुपये बचाने के लिए गंभीर बीमारियों को न्योता

अनिकेत त्रिवेदी पटना : अगर आप का पालतू पशु मर गया हो, तो इसको खपाने के लिए राजधानी में सुविधा उपलब्ध है. पशु अगर छोटा है तो 50 रुपये, उससे बड़ा सौ रुपये व उससे भी बड़ा हो तो तीन सौ रुपये शवदाह गृह तक पहुंचाने का चार्ज है. राज्य में पहला विद्युत पशु शवदाह […]

अनिकेत त्रिवेदी
पटना : अगर आप का पालतू पशु मर गया हो, तो इसको खपाने के लिए राजधानी में सुविधा उपलब्ध है. पशु अगर छोटा है तो 50 रुपये, उससे बड़ा सौ रुपये व उससे भी बड़ा हो तो तीन सौ रुपये शवदाह गृह तक पहुंचाने का चार्ज है.
राज्य में पहला विद्युत पशु शवदाह गृह रामाचक बैरिया में बनाया गया है. एक वर्ष पहले इसका नगर विकास व आवास विभाग के मंत्री ने उद्घाटन किया था. पशु के पहुंचाने की जिम्मेदारी नगर निगम की है. लेकिन, प्रचार-प्रसार के अभाव व लोगों की लापरवाही के कारण इसका भरपूर उपयोग नहीं किया जा रहा है. लोग 50 से 300 रुपये बचाने के चक्कर में सड़क पर ही मृत पशुओं के शव फेंक देते रहे हैं. जो वायु प्रदूषण के साथ ही गंभीर बीमारियों को न्योता देने जैसा है.
एक वर्ष पहले साढ़े तीन करोड़ की लागत से बना है शवदाह गृह : एक वर्ष पहले नगर विकास व आवास विभाग के निर्देश पर बिहार राज्य जल पर्षद (बीआरजेपी) ने राज्य का पहला विद्युत शवदाह गृह तैयार किया था.
साढ़े तीन करोड़ रुपये इस पर खर्च किये गये थे. बीते वर्ष मार्च में ही मंत्री ने इसका उद्घाटन किया था. इसके बाद इसके चलाने व मरम्मत की जिम्मेदारी बीआरजेपी को ही दी गयी है. वहीं, पशुओं को शवदाह गृह तक पहुंचाने की जिम्मेदारी नगर निगम की है. इसके लिए निगम ने दो विशेष वाहन भी खरीदे हैं. अगर किसी को मित्र पशुओं के बारे में सूचना देनी है तो निगम मुख्यालय, निगम कंट्रोल रूम या स्थानीय सफाई निरीक्षक को देनी होगी.
भले ही एक वर्ष पहले विद्युत शवदाह गृह का निर्माण किया गया हो, लेकिन अधिकतर समय मशीन खराब ही रहती है. निगम के आला अधिकारी बताते हैं कि पशुओं के लिए जीतने तापमान की जरूरत होती है, मशीन उतनी चार्ज ही नहीं हो पाती. बीआरजेपी ने उसका निर्माण किया है.
अब बीअारजेपी निगम से लागत सहित नगर निगम को देना चाहती है, जो उचित नहीं है. वहीं बीआरजेपी के कार्यपालक अभियंता सुदर्शन प्रसाद सिंह कहते हैं कि बीआरजेपी को इसका निर्माण करना था, लेकिन बाद में इसको चलाने की जिम्मेदारी नगर निगम की थी. अब निगम अपनी जिम्मेदारी नहीं ले रहा है. पांच सौ मीटर का एप्रोच रास्ता भी खराब है.
क्या कहते हैं डॉक्टर
सड़कों पर पशुओं का मर कर सड़ना बेहद खतरनाक होता है. वहीं सड़न से निकलने वाले खतरनाक बैक्टीरिया मानव शरीर में कई प्रकार के रोगों के कारक बन सकते हैं. इससे न केवल आसपास के लोग, बल्कि वहां से गुजरने वाले लोग भी इससे प्रभावित हो सकते हैं.
– डॉ अभिजीत सिंह, पीएमसीएच

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