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बिहार : औषधीय पौधे संवारेंगे प्रदेश के किसानों की जिंदगी, खेती में नब्बे फीसदी तक अनुदान
पटना : प्रदेश सरकार औषधीय पौधे लगाने के लिए बड़े पैमाने पर अनुदान दे रही है. इनकी अलग-अलग श्रेणियों के अनुसार 90 प्रतिशत तक अनुदान मिलता है.29 अगस्त, 2017 को बिहार कैबिनेट में बिहार बागवानी विकास सोसाइटी को साल 2017-18 के लिए 3740.55 लाख रुपये की निकासी और खर्च की स्वीकृति दी गयी. किसान इसका […]
पटना : प्रदेश सरकार औषधीय पौधे लगाने के लिए बड़े पैमाने पर अनुदान दे रही है. इनकी अलग-अलग श्रेणियों के अनुसार 90 प्रतिशत तक अनुदान मिलता है.29 अगस्त, 2017 को बिहार कैबिनेट में बिहार बागवानी विकास सोसाइटी को साल 2017-18 के लिए 3740.55 लाख रुपये की निकासी और खर्च की स्वीकृति दी गयी. किसान इसका लाभ उठाकर खेती से अपनी तंगहाली दूर कर सकते हैं.
औषधीय पौधे नकदी फसल में आते हैं. इन्हें लगाकर साल में प्रति एकड़ एक लाख रुपये तक का फायदा हो सकता है. इस पर लागत करीब 50 से 80 हजार रुपये सालाना आती है. इसलिए इस पेशे से लाभ के लिए जरूरत है लगन, मेहनत और पक्के इरादे की.
औषधीय और सुगंधित खेती को बढ़ावा देने के लिए राज्य के सभी 38 जिलोंमें बागवानी मिशन के जरिये कार्यक्रम तय हैं. शत-प्रतिशत अनुदान पर 10 नर्सरी तैयार हैं.
औषधीय पौधों के उत्पादन में वृद्धि के साथ-साथ इसकी मांग और कीमतें भी बढ़ रही हैं. औषधीय पौधों के एक जानकार बताते हैं कि बिहार के दियारा इलाके में खस की खेती की जा रही है. खस रस की कीमत 25 हजार रुपये प्रति किलोग्राम मिल सकती है, जिससे अच्छी किस्म की इत्र बनायी जा सकती है.
खेती में नब्बे फीसदी तक अनुदान, प्रति एकड़ कमा सकते हैं साल में एक लाख रुपये
प्रसंस्करण उद्योग लगायेगी सरकार : बागवानी मिशन के सूत्रों की मानें तो सरकार खस, स्टीविया, एलोवेरा, पचौली और गुडची जैसे औषधीय पौधों पर विशेष जोर दे रही है. स्टीविया के पौधों के बीच पपीते के पौधे लगाकर भी किसान लाभ कमा सकते हैं. एलोवेरा, स्टीविया और खस से जुड़े प्रसंस्करण उद्योग के लिए भी सरकार द्वारा प्रयास किये जा रहे हैं.
किस फसल पर कितना अनुदान
गुग्गल की खेती करने पर सरकार लागत का 75 % अनुदान के रूप में देती है. गुग्गल की लागत लगभग 160 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर के करीब आती है.
बेल, कलिहारी, सर्पगंधा और चित्रक जैसे पौधों की खेती के लिए 50 फीसदी का अनुदान दिया जाता है. बेल की खेती के लिए प्रति हेक्टेयर 40 हजार रुपये, चित्रक की खेती के लिए 26 हजार रुपये, सर्पगंधा की खेती के लिए 62,500 रुपये और कलिहारी की खेती के लिए 1,30,500 रुपये प्रति एकड़ की लागत को स्वीकृत किया गया है.
आयुष उद्योग की मांग और निर्यात वाले पौधों की खेती के लिए 20% का अनुदान दिया जाता है. पिप्पली, बच और सतवार की खेती के लिए लागत 62,500 रुपये प्रति हेक्टेयर मानी गयी है.
घृत कुमारी के लिए 42,500, सफेद मुसली के लिए 3,12,500 रुपये, कालमेघ, गुड़मोर, अश्वगंधा के लिए 25 हजार, ब्राह्मी के लिए 40 हजार रुपये, आर्टिमिशिया के लिए 32 हजार, स्टीविया के लिए 3,12,500 रुपये, आंवला के लिए 65 हजार, तुलसी के लिए 30 हजार, पत्थरचूर के लिए 43 हजार रुपये, तेजपात और दालचीनी की खेती करने के लिए 77,500 रुपये प्रति हेक्टेयर की लागत की स्वीकृति है.
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