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इको फ्रेंडली पटाखों से जलेंगे रावण-कुंभकर्ण

पटना : इस बार दशहरे में बुराई के प्रतीक रावण-मेघनाथ-कुंभकर्णको जलाने में पर्यावरण का भी खास ख्याल रखा जायेगा. इसके तहत इको फ्रेंडली पटाखों का चयन किया गया है. इन पटाखों की खासियत यह होगी कि रावण धू-धू कर भले ही जलेगा, लेकिन धुआं नहीं होगा. इस पर तीन लाख रुपये खर्च किये जायेंगे. इकोफ्रेंडली […]

पटना : इस बार दशहरे में बुराई के प्रतीक रावण-मेघनाथ-कुंभकर्णको जलाने में पर्यावरण का भी खास ख्याल रखा जायेगा. इसके तहत इको फ्रेंडली पटाखों का चयन किया गया है. इन पटाखों की खासियत यह होगी कि रावण धू-धू कर भले ही जलेगा, लेकिन धुआं नहीं होगा. इस पर तीन लाख रुपये खर्च किये जायेंगे.
इकोफ्रेंडली पटाखों में आग होगी, चमक होगी लेकिन धुआं नहीं होगा. दशहरा कमेटी ट्रस्ट की ओर से गांधी मैदान में शाम 4 बजे से रावण वध समारोह शुरू होगा. रामलीला के विविध प्रसंगों के साथ लंका दहन और आखिर में रावण समेत तीनों पुतलों को बारी-बारी से जलाया जायेगा.
दशहरा कमेटी ट्रस्ट के अध्यक्ष कमल नोपानी ने बताया कि रावण दहन में इस बार इको फ्रेंडली पटाखों का ही प्रयोग होगा. भारत स्काउट एंड गाइड भवन के कैंपस में 30 अगस्त से पुतलों को बनाने का काम युद्धस्तर पर जारी है. इस बार गया मानपुर के मो. जफर आलम निर्माण कार्य में लगे हैं. उनके साथ आठ लोग दिन-रात मेहनत कर रहे हैं.
पिछले साल से पांच फुट बढ़ गया रावण का साइज :
इस बार रावण के पुतले की ऊंचाई बढ़ गयी है. एक साल में पांच फुट की बढ़ोतरी हुई है. 30 सितंबर को दशहरा के दिन गांधी मैदान में 70 फुट का रावण जलेगा. पिछले साल रावण के पुतले की लंबाई 65 फुट थी. रावण के साथ कुंभकर्ण मेघनाथ के पुतलों की ऊंचाई भी बढ़ी है.
मेघनाथ 65 फुट और कुंभकर्ण का पुतला 60 फुट का रहेगा.
इन तीनों पुतलों के निर्माण में करीब तीन लाख रुपये खर्च आया है. इस बार रावण ब्लू, कुंभकर्ण बैंगनी और मेघनाथ फिरोजी कलर के राजस्थानी लिबास व पगड़ी में रहेंगे. इसके लिए खास तौर से राजस्थान से कपड़े मंगाये जा रहे हैं. तीनों पुतलों केनिर्माण के लिए 250 बांस मंगाये गये हैं.
नवरात्र में महावीर मंदिर में मिलेगा बतासा
पटना : इस साल नवरात्र के पहले दिन यानी 21 सितंबर से महावीर मंदिर की ओर से सभी श्रद्धालुओं को प्रसाद में एक बड़ा बतासा दिया जायेगा. वैसे सभी श्रद्धालु जो मंदिर में हनुमानजी का दर्शन करने पहुंचेंगे उन्हें बतासा मिलेगा.
वे चाहे नैवेद्यम प्रसाद चढ़ाएं या नहीं, इसका विचार किये बिना समान रूप से सभी श्रद्धालुओं को प्रसाद दिया जायेगा. अभी उन्हें केवल एक तुलसी दल व चरणामृत दिया जाता है, जिसमें शोधित गंगाजल, इलायची, जायफल, जावित्री, लौंग, एवं खानेवाला कपूर मिश्रित रहता है. इस चरणामृत का निर्माण तिरुपति मंदिर के तर्ज पर होता है.

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