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बिहार : शराबबंदी के छह माह में ही लौटा दिया कर्ज, बेटे भी करने लगे धंधा, बेटियां जाने लगीं स्कूल

मोकामा के पारस ने शराब के चक्कर में बेच दिया था ढाबा, आज ठेले पर चाट-पकौड़ा बेच कर रोज कमा रहा चार-पांच सौ रुपये बंटी कुमार मोकामा : मोकामा नगर पर्षद के पंचमहला निवासी पारस राम (50 वर्ष) के जीवन में अब बहार है. वह शराब से तोबा कर ठेले पर चाट-पकौड़े की दुकान चलाता […]

मोकामा के पारस ने शराब के चक्कर में बेच दिया था ढाबा, आज ठेले पर चाट-पकौड़ा बेच कर रोज कमा रहा चार-पांच सौ रुपये
बंटी कुमार
मोकामा : मोकामा नगर पर्षद के पंचमहला निवासी पारस राम (50 वर्ष) के जीवन में अब बहार है. वह शराब से तोबा कर ठेले पर चाट-पकौड़े की दुकान चलाता है. उसके परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत हो रही है.
इससे मोहल्ले के लोगों को आत्मनिर्भर बनने का सबक मिल रहा है. पारस की पत्नी नगीना देवी अपने पति के व्यवहार में बदलाव से फूले नहीं समा रही है. शराब के चक्कर में उसके परिवार की खुशियां छिन गयी थीं. पारस ने करीब 10 वर्ष पहले एक ढाबा खोला था. इससे उसकी अच्छी आमदनी हो जाती थी, लेकिन थोड़े ही दिनों में उसे शराब की लत लग गयी.
इससे उसके घर की आर्थिक स्थिति दिन-प्रतिदिन बदतर होती गयी. उधार चुकाने के लिए उसने ढाबा भी बेच डाला. शराब के नशे में घर और मोहल्ले में झगड़ा–झंझट करने लगा. लोगों की शिकायत पर कई बार उसे थाने का चक्कर भी लगाना पड़ा था.
शराब का उधार नहीं चुकाने पर महाजन अक्सर उसके साथ दुर्व्यवहार करते थे. इसके बावजूद वह अपनी गलत आदत से मजबूर था. वह मेहनत-मजदूरी छोड़ कर सुबह से ही शराब पीने लग जाता था. शराब की खातिर वह घर का सामान तक बेच डालता था. उसका जीवन अभिशाप बन चुका था, लेकिन शराबबंदी के बाद उसने शराब छोड़ना ही उचित समझा.
फिर पत्नी के कहने पर उसने व्यवसाय दोबारा शुरू करने की ठानी, लेकिन पर्याप्त पैसे नहीं रहने पर उसने ठेले पर चाट-पकौड़ा बेचना शुरू किया. पारस ने बताया कि इससे प्र्रतिदिन चार-पांच सौ रुपये की आमदनी हो जाती है. व्यवसाय को आगे बढ़ाने में उसकी पत्नी और पुत्र भरपूर मदद कर रहे हैं. महाजन से लिये 25-30 हजार रुपये के उधार को छह महीने पहले ही चुका दिया है. उसके जीवनयापन का तरीका पूरी तरह बदल चुका है. जिस घर में खाने के लाले पड़ते थे, वहां दोनों शाम दाल-रोटी, सब्जी, चावल, दूध-दही नसीब होने लगी.
बेटे भी करने लगे धंधा, बेटियां जाने लगीं स्कूल
पारस के शराब में डूबे रहने पर उसके बच्चे रास्ता भटकने लगे थे. उसकी पत्नी नगीना देवी ने बताया कि छह बच्चों में बड़ा लड़का संतोष पढ़ाई छोड़ कर बेरोजगार बैठा था, लेकिन अब वह पिता के व्यवसाय में हाथ बंटा रहा है.
सुबोध, लालू व पुस्तम का भी यही हाल था. सुबोध तो असामाजिक तत्वों की संगत में आकर जेल भी चला गया, लेकिन अब सभी पुत्र डेकोरेशन व अन्य कार्य में जुट गये हैं. लालू नया ऑटो खरीदने की योजना बना रहा है. वहीं, रतन कुमारी और प्रिया दोनों बच्चियां स्कूल जा रही हैं. प्राइवेट टीजर घर पर ट्यूशन पढ़ाने आते हैं. पारस का ध्यान बच्चों को लायक बनाने पर केंद्रित है.

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