राज्य में सालाना प्रति व्यक्ति अंडे की उपलब्धता 11 है जबकि राष्ट्रीय औसत 66 का है
दीपक कुमार मिश्रा
पटना : संडे हो या मंडे रोज खाये अंडे काफी पुराना स्लोगन है. यह स्लोगन बिहार में फेल है. बिहार प्रति व्यक्ति अंडे की उपलब्धता राष्ट्रीय औसत से काफी पीछे है और आइसीएमआर का अनुशंसा से कोसों दूर. संडे-मंडे वाला स्लोगन राष्ट्रीय स्तर पर भी फिट नहीं बैठता है. राज्य में प्रति व्यक्ति सालाना अंडे की उपलब्धता मात्र 11 है. जबकि खपत इससे अधिक है. राज्य में अंडे के मौजूदा उत्पादन के भरोसे रहा जायेगा तो साल में प्रति व्यक्ति 11 ही बैठेगा. राष्ट्रीय औसत 66 का है.
आइसीएमआर की अनुशंसा 180 अंडे का है. राज्य सरकार ने अंडे की उपलब्धता में राष्ट्रीय औसत के बराबर जाने की तैयारी शुरू कर दी है. कृषि रोडमैप में भी अंडा उत्पादन पर फोकस किया गया है. अंडा कम पैसे में सबसे अधिक पौष्टिक खाद्य पदार्थ है. अंडा में पर्याप्त प्रोटीन, फैट, विटामिन और मिनरल्स रहता है. राज्य में मौजूदा खपत के अनुसार भी अंडे का उत्पादन नहीं होता है अंडा के लिए बिहार अभी पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, पंजाब व अन्य राज्यों पर निर्भर है.
अभी राज्य का उत्पादन 111 करोड़ है. जबकि राष्ट्रीय औसत के अनुसार बिहार में 685 करोड़ सालाना अंडा चाहिए. 2022 तक खपत बढ़ कर 858 करोड़ हो जायेगा. कृषि रोडमैप के अनुसार 2022 तक राज्य में अपने संसाधनों से अंडे का उत्पादन आकलन 322 करोड़ रखा गया है. अंडा उत्पादन को बढ़ाने के लिए निजी क्षेत्र को बढ़ावा दिया जायेगा. सरकार लेयर पॉलेट्री फॉर्म पर 50 फीसदी का अनुदान देती है.
पिछले वित्तीय वर्ष में 29 लेयर पॉलेट्री फार्म का स्वीकृति दी गयी है. इन फार्म में उन्नत किस्म की मुर्गियां रहेंगी. देशी मुर्गियां 60 जबकि चेब्रो, बनराजा 180 अंडे देती है. सरकार बीपीएल परिवारों को भी लो इनपुट योजना के तहत 25 चूजा दे रही है. ताकि स्वरोजगार से जुड़कर अंडा उत्पादन में बढ़ोतरी हो सके. विभागीय सूत्रों के अनुसार अभी राज्य में 15 लाख मुर्गियां अंडा उत्पादन में लगी है.
355 हजार टन मांस उत्पादन का है लक्ष्य
तीसरे कृषि रोडमैप में मांस उत्पादन पर भी जोर दिया गया है. अंडा की तरह मांस की उपलब्धता भी अपने राज्य में कम है. अभी राज्य में सालाना 326 हजार टन मांस की उपलब्धता है. इसे 2022 तक बढ़ाकर 355 हजार टन करने की है. अंडे की तरह मांस उपलब्धता में भी बिहार राष्ट्रीय औसत के करीब नहीं है. मांस की उपलब्धता का राष्ट्रीय औसत 5.57 किलोग्राम सालाना है जबकि अपने यहां यह उपलब्धता 3.14 किलोग्राम है.
आइसीएमआर की अनुशंसा 10.95 किलोग्राम सालाना की है. राष्ट्रीय औसत के लिए 578 हजार टन मांस की जरूरत है. राज्य सरकार इसके लिए निजी क्षेत्र को मुर्गी पालन के लिए बढ़ावा देगी. इसके लिए सरकार मुर्गी पालन के साथ-साथ बकरी पालन पर भी जोर दे रही है. सरकार मुर्गी पालन विकास योजना शुरू की है.
पांच साल में राज्य में अंडे के उत्पादन बढ़ाया जायेगा. पांच साल में इसे राष्ट्रीय उपलब्धता के बराबर करने की योजना है. पिछले दिनों मुख्यमंत्री के यहां हुई समीक्षा बैठक में भी अंंडा उत्पादन पर जोर दिया गया है.
राधेश्याम साह, निदेशक, पशुपालन विभाग