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भिखारी भी नहीं ले रहे सिक्के, तो हो सकती है सात साल तक की जेल
अब दस रुपये अधिक देने पर भी नहीं बदल रहे सिक्के नोटबंदी से पहले सिक्कों की खूब डिमांड थी. आलम यह था कि 100 रुपये के नोट देने पर 90 रुपये का सिक्का ही मुहैया कराया जाता था. लेकिन, नोटबंदी के बाद बाजार में सिक्कों की सप्लाइ बढ़ने से इसकी डिमांड काफी घट गयी है. […]
अब दस रुपये अधिक देने पर भी नहीं बदल रहे सिक्के
नोटबंदी से पहले सिक्कों की खूब डिमांड थी. आलम यह था कि 100 रुपये के नोट देने पर 90 रुपये का सिक्का ही मुहैया कराया जाता था. लेकिन, नोटबंदी के बाद बाजार में सिक्कों की सप्लाइ बढ़ने से इसकी डिमांड काफी घट गयी है. बोरिंग रोड सब्जी मंडी के विक्रेता संजीत कुमार ने बताया कि गुरुवार को उनके बगल के दुकान में दो संपेरे काफी सिक्के लेकर आये थे. उन्होंने सब्जी विक्रेता को 100 रुपये के नोट के लिए पहले 105 रुपये और फिर 110 रुपये तक का सिक्का देने का ऑफर किया, लेकिन विक्रेता ने सिक्के लेने से इंकार कर दिया.
नया टोला के प्रभात कुमार, शुक्रवार को मछुआटोली के सुधा के एक स्टॉल पर गये. दही के 25 रुपये के लिए उन्होंने बीस रुपये के नोट और पांच रुपये एक-एक का सिक्का दिया. लेकिन, दुकानदार ने एक का सिक्का लेने से इंकार कर दिया. इसको लेकर काफी देर तक नोंक-झोक हुई. इसके बाद प्रभात ने पुलिस कंट्रोल रूम के नंबर पर फोन किया. कंट्रोल रुम से उनको लोकल थाने में एप्लीकेशन देने की बात कही गयी. आखिर विवाद में नहीं पड़ते हुए घर वापस गये और पांच का सिक्का लाकर दुकानदार को दिया.
सिक्के लेने से मना नहीं कर सकते बैंक
भारतीय रिजर्व बैंक के क्षेत्रीय निदेशक पैट्रिक बारला ने कहा कि कोई भी सरकारी करेंसी (नोट या सिक्का) लेने से कोई मना नहीं कर सकता है. आरबीआइ का नियम कहता है कि अगर कोई बैंक में भी सिक्के जमा कराना चाहता है, तो बैंक भी उसे लेने से इनकार नहीं कर सकता है.
अगर आप ज्यादा मात्रा में सिक्के जमा कराना चाहते हैं, तो उन्हें अलग-अलग सिक्के एक, दो, पांच या 10 रुपये के सिक्कों को बैंक तौलकर या मशीन से गिनकर लेंगे. इन सिक्कों को नोट में बदलना चाहते हैं, तो बैंक उसे भी मना नहीं कर सकते हैं. इसमें आप कितने भी रकम के सिक्के बैंक को दे सकते हैं.
भारतीय रिजर्व बैंक के क्षेत्रीय निदेशक पैट्रिक बारला ने कहा कि कोई भी सरकारी करेंसी (नोट या सिक्का) लेने से कोई मना नहीं कर सकता है. आरबीआइ का नियम कहता है कि अगर कोई बैंक में भी सिक्के जमा कराना चाहता है, तो बैंक भी उसे लेने से इनकार नहीं कर सकता है.
अगर आप ज्यादा मात्रा में सिक्के जमा कराना चाहते हैं, तो उन्हें अलग-अलग सिक्के एक, दो, पांच या 10 रुपये के सिक्कों को बैंक तौलकर या मशीन से गिनकर लेंगे.
डॉ आलोक कुमार सिन्हा, अधिवक्ता, पटना हाइकोर्ट
क्या करें
आरबीआइ का कहना है कि बैंक यदि सिक्का नहीं लेते हैं, तो बैंक के कंट्रोलिंग ऑफिसर को इसकी शिकायत करें. अगर यहां आपकी शिकायत नहीं सुनी जाती है, तो आप आरबीआइ के पास इसकी शिकायत कर सकते हैं.
नहीं लेते भीख मांगने वाले
नवयुवक विकास सेवा समिति के अध्यक्ष प्रभात कुमार जायसवाल का कहना है कि एक रुपये का सिक्का जब भीख मांगने आये लोगों को देते हैं, तो वे सिक्का लेने से इनकार कर देते हैं.
ऐसे में आवश्यक है कि सरकार ठोस कदम उठाये और बैंक को सिक्का जमा करने का निदेश दे ताकि चलन में कायम सिक्कों का बाजार में आसानी से लेन-देन हो सके. इस मामले में अध्यक्ष का कहना है कि सिक्का लेन-देन के चलन में रहे, इसके लिए व्यापारिक संगठनों को एकजुट किया जा रहा है ताकि मिल कर समस्या का समाधान निकाल सके.
सौंप चुके हैं ज्ञापन
पूर्व पार्षद बलराम चौधरी, विजय कुमार सिंह, देव रत्न प्रसाद, नरेश कुमार, गौरी शंकर व प्रमोद सिंह समेत बैंक व व्यापारियों की ओर से सिक्का नहीं लेने से संबंधित एक ज्ञापन एसडीओ योगेंद्र सिंह को को सौंपा था. अगस्त में सौंपे गये ज्ञापन में सिक्का नहीं लेने से हो रही परेशानी से अवगत कराते हुए कार्रवाई का आग्रह किया था.
सिक्के नहीं ले रहे बैंक
हॉकरों और दुकानदारों की परेशानी बढ़ी
शहर में इन दिनों दस, पांच, दो और एक रुपये के सिक्के बैंकों द्वारा जमा नहीं लेने के कारण अखबार के हॉकरों, पान, नाश्ता, फल, सब्जी, चूड़ी, मिठाई, दवा आदि दुकानदारों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. हॉकरों और दुकानदारों ने बताया कि हजारों के सिक्के जमा हो गये हैं. जब बैंक में जाते हैं, तो नहीं लेते हैं. जबकि, ग्राहक छोटी-मोटी खरीदारी पर अधिकतर सिक्के ही देते हैं.
एक व दो रुपये के सिक्के से परहेज कर रहे दुकानदार
पिछले दो से तीन महीने से कई गांवों में ग्राहकों से दुकानदारों ने एक और दो रुपये के सिक्के लेने बंद कर दिये हैं. इसे लेकर आये दिन ग्राहकों और दुकानदारों के बीच नोक-झोंक होते रहती है. पूछने पर सीधा-सा जवाब देते है कि ये दोनों सिक्के बंद हो गये हैं. अब बाजार में दोनों सिक्के नहीं चलेंगे. कहीं-कहीं मारपीट तक की नौबत आ जाती है. लोगों का कहना है कि इसकी शिकायत कहां करें, इसका पता ही नहीं चलता है.
नहीं ले रहे सिक्के, हो रही परेशानी
बैंक, व्यापारिक प्रतिष्ठानों व बड़े कारोबारियों की ओर से एक दो, पांच व दस रुपये का सिक्का नहीं लिया जा रहा है. इस कारण आम लोगों को परेशानी हो रही है. स्थिति यह है कि बड़े व्यापारियों की ओर से सिक्का नहीं लेने की स्थिति में छोटे व मध्यम वर्ग के व्यापारियों के पास सिक्का जमा है. व्यापारी समझ नहीं पा रहे हैं कि क्या करे, क्योंकि सिक्का के रूप में अच्छा-खासा पूंजी जमा है.
गैंस वेंडर परेशान
कुछ इसी तरह की स्थिति रसोई गैंस वेंडर को भी झेलनी पड़ रही है. वेंडरों की पीड़ा यह है कि अगर सिक्का देता है, तो एजेंसी मालिक के निर्देश पर वह नहीं लेता है, इस वजह से हर दिन वेंडर को ग्राहकों से बकझक होती है. वेंडर का तर्क है कि मालिक ने सिक्का लेने से मना किया है. ऐसे में जब वह गैस का हिसाब करने कार्यालय आते हैं, तो वहां नहीं लिया जाता है. ऐसे में जब ग्राहक को मना करते हैं, तो बकझक पर उतर आते हैं.
सिक्के लेने में मना कर रहे बैंक और दुकानदार, परेशानी
थाना क्षेत्र में इन दिनों सिक्का को लेकर आमजनों में ऊहापोह की स्थिति बनी हुईहै. एक, दो, पांच और दस रुपये के सिक्कों का चलन बंद होने की अफवाह फैलने से क्षेत्र में दुकानदारों द्वारा सिक्का नहीं ले रहे हैं.
ग्राहक और दुकानदार एक और दो रुपये के सिक्के लेने में आनाकानी कर रहे हैं. छोटे दुकानदारों की माने तो ये सिक्का बाजार में नहीं चल रहा है. एक रुपये और दो रुपये का सिक्का नहीं चलने पर आमजनों को काफी दिक्कतें हो रही है.
ग्राहक एक दिन में 1 से 10 रुपये का एक हजार रुपये मूल्य तक का सिक्का जमा कर सकते हैं. दुकानदारों के द्वारा सिक्के नहीं लिये जाने की वजह से अफवाह फैल रही है कि एक रुपये के सिक्के बंद हो रहे हैं. बैंक ग्राहकों को उनकी आवश्यकतानुसार ही सिक्का देती है, जबरन नहीं.
संजय कुमार, मुख्य प्रबंधक, सेंट्रल बैंक
बैंक के अफसरों ने कहा
बैंक तो सिक्के ले रहे हैं, पर ग्राहक ही सिक्के नहीं लेना चाहते, इस कारण यह परेशानी हो रही है. अगर सब लोग सिक्के का समान रुपये से उपयोग करें तो इसके चलन में दिक्कत नहीं होगी.
त्रिपुरारी सिंह, मुख्य प्रबंधक, केनरा बैंक
मेरे यहां सिक्का गिनने की कोई मशीन नहीं है. फिर भी हाथ से एक-एक सिक्का गिन कर जितना स्टॉक में जगह था. मैंने सिक्का लिया, लेकिन इस सिक्का को न कोई ग्राहक ले रहा है, नहीं आरबीआइ. आरबीआइ का सख्त निर्देश है कि सिक्कों को मार्केट में चलवायें, लेकिन ग्राहक लेने में आना कानी कर रहे हैं.
रोहित चंद्रा, मैनेजर, यूको बैंक, बिहटा
हर कोई है परेशान
एक रुपये के छोटे सिक्के को लेकर ज्यादा चिक-चिक होती है. होलसेलर भी नहीं लेते और ग्राहक भी नहीं लेते. ऐसे में परेशानी होती है. हमारी कमाई का तो 80 फीसदी सिक्के में ही मिलता है, इसलिए हम लोग अधिक परेशान होते हैं.
जितेंद्र,, पान दुकानदार
बाजार में सिक्के अधिक हो जाने की वजह से दिक्कत हो रही है. थोक विक्रेताओं के पास सिक्के का भंडार है, इसलिए वे सिक्के लेना नहीं चाहते. ग्राहक भी सिक्का ही थमाते हैं. बैंक में जाने पर सिक्कों की छंटाई कर जमा कराने को कहा जाता है.
-दिलीप कुमार, किराना सामग्री विक्रेता
ग्रामीण क्षेत्र में अधिक समस्या है. एक व दो के छोटे सिक्के ग्राहक नहीं लेना चाहते. होलसेलर वाला दिखाता है कि बोरा का बोरा पड़ा हुआ है, इसलिए वे लोग सिक्के नहीं लेते. ग्राहकों के जिद करने पर हमें सिक्के लेने की मजबूरी होती है.
संजीत कुमार, सब्जी-फल विक्रेता
हमलोग सभी तरह के सिक्के लेते हैं. कभी-कभी ग्राहक लेने में आनाकानी करते हैं तो उनको थोड़ा समझाना पड़ता है. एक-दो रुपये के सिक्कों लेकर अधिक परेशानी है.
कामेश्वर, चाय विक्रेता
हमारे पास भारी मात्रा में सिक्का जमा हो गया है. हम तो ग्राहक से लेते हैं, लेकिन बड़े व्यापारी हमसे नहीं लेते हैं, जिससे हमारे यहां हजारों का सिक्का जमा हो गया है.
अमित कुमार, पान दुकानदार
हम सब्जी का व्यापार करते हैं और खुदरा दुकानदारी में भारी मात्रा में सिक्के आते हैं. जबकि, हम उसी सिक्के को गद्दी में देने जाते हैं, तो बड़े व्यापारी नहीं लेते हैं. उनका कहना है कि सिक्का बैंक नहीं ले रहा है.
अनवर मियां, सब्जी दुकानदार
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