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ओवरब्रिज पर टेंपो स्टैंड और जाम पर सरकार दे जवाब
पटना : पटना उच्च न्यायालय ने पटना के ओवरब्रिजों पर अवैध रूप से टेंपो स्टैंड बना दिये जाने और आये दिन सड़क पर अतिक्रमण के कारण जाम की समस्या पर गंभीर रुख अख्तियार किया है. कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार को जवाब देने का निर्देश दिया. चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन एवं जस्टिस डाॅ […]
पटना : पटना उच्च न्यायालय ने पटना के ओवरब्रिजों पर अवैध रूप से टेंपो स्टैंड बना दिये जाने और आये दिन सड़क पर अतिक्रमण के कारण जाम की समस्या पर गंभीर रुख अख्तियार किया है. कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार को जवाब देने का निर्देश दिया.
चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन एवं जस्टिस डाॅ अनिल कुमार उपाध्याय की खंडपीठ ने पीआइएल फोरम की ओर से दायर लोकहित याचिका पर सोमवार को सुनवाई करते हुए उक्त निर्देश दिया. गौरतलब है कि याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया था कि राजधानी पटना की ट्रैफिक व्यवस्था दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है. हर जगह जाम का नजारा आम है और इसका एकमात्र कारण सरकार के विभागों में आपसी सामंजस्य का अभाव है. अदालत को बताया गया कि ओवरब्रिजों पर अवैध रूप से टेंपो स्टैंड संचालित किये जाने से उस पर भी जाम का नजारा आम हो गया है. पर सरकार का ध्यान इस ओर नहीं है.
फसल मुआवजे पर राज्य सरकार से जवाब तलब, पूछा – किसानों के हिस्से की राशि कब तक जमा होगी
पटना उच्च न्यायालय ने फसल बीमा योजना के तहत किसानों को प्राकृतिक आपदा से हुए फसलों का मुआवजा अब तक नहीं दिये जाने के मामले में राज्य सरकार से जवाब तलब किया है. किसानों के हिस्से की राशि कब तक जमा होगी इस संबंध में जवाब देने का निर्देश दिया है.
चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन एवं जस्टिस डॉ अनिल कुमार उपाध्याय की खंडपीठ ने जयनारायण एवं अन्य कइयों की ओर से दायर लोकहित याचिका पर सोमवार को सुनवाई करते हुए उक्त निर्देश दिया. याचिकाकर्ता की ओर से पूर्व में अदालत को बताया गया था की प्राकृतिक आपदा से होनेवाली क्षति पर किसानों को फसल बीमा योजना के तहत मुआवजा देने का प्रावधान है. इसके लिए किसानों को अपनी फसल का बीमा कराना होता है.
इसमें दी जानेवाली प्रीमियम की राशि किसानों के अलावा राज्य व केंद्र सरकार द्वारा वहन की जाती है. परंतु सीतामढ़ी जिले के शिवहर में मक्के की फसल को शीत के कारण काफी नुकसान होने के बावजूद किसानों को अभी तक फसल का मुआवजा नहीं दिया गया है.
टेंडर के बाद भी निर्माण कार्य शुरू क्यों नहीं हुआ
पटना उच्च न्यायालय ने मुख्यमंत्री नाली-सड़क योजना के तहत सड़क निर्माण के लिए टेंडर जारी किये जाने के बाद भी कार्य शुरू नहीं होने पर राज्य सरकार से स्थिति स्पष्ट करते हुए जवाब देने का निर्देश दिया है. चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन एवं जस्टिस डॉ अनिल कुमार उपाध्याय की खंडपीठ ने प्रशांत कुमार सिन्हा की ओर से दायर लोकहित याचिका पर सोमवार को सुनवाई करते हुए उक्त निर्देश दिया.
पटना उच्च न्यायालय ने मूल पद से निम्न पद पर पद अवनति कर वेतनमान घटाने और इस प्रकार के मामले में पूर्व में हाइकोर्ट द्वारा दिये गये निर्णय पर उंगली उठाने पर नाराजगी जाहिर की है. कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार पर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाते हुए उक्त राशि को बिहार लीगल सर्विस आॅथिरिटी में जमा करने का निर्देश दिया.
यह भी निर्देश दिया की वह जुर्माने की रकम दोषी पदाधिकारियों से वसूल करे. जस्टिस ज्योतिशरण की एकलपीठ ने बिनीत कुमार एवं अन्य की ओर से दायर रिट याचिका पर सुनवाई पूरी करते हुए उक्त निर्देश दिया. याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया था कि बहाली 4000-6000 के वेतनमान पर निम्नवर्गीय लेखा लिपिक के पद पर हुई. विभाग द्वारा अवनति कर वेतनमान घटाते हुए 3050-4550 कर निम्नवर्गीय लिपिक के पद पर कर दिया गया.
एचआइवी पीड़ितों के लिए केंद्र ने क्या किये उपाय
एचआइवी मरीजों को समाज में सम्मानजनक और बगैर भेदभाव के जीवन निर्वहन का मौका मिले व उन्हें बेहतर चिकित्सकीय सुविधा मिल सके. हाइकोर्ट ने इस संबंध में केंद्र सरकार द्वारा कि जा रही कार्रवाइयों का ब्योरा दो सप्ताह के भीतर अदालत में प्रस्तुत करने का निर्देश केंद्र सरकार को दिया है. चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन एवं जस्टिस डॉ अनिल कुमार उपाध्याय की खंडपीठ ने उक्त निर्देश दिया.
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