मुख्यमंत्री सचिवालय स्थित संवाद कक्ष में सीएम नीतीश कुमार की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता कोष से 2.50 लाख रुपये से कम आय वाले लोगों को इलाज के लिए दी जाने वाली राशि में भी 20 फीसदी बढ़ोतरी की गयी. ऐसे लोगों को अब कैंसर के इलाज के लिए अधिकतम एक लाख की जगह 1.20 लाख रुपये और हर्ट के इलाज के लिए 1.50 लाख की जगह 1.80 लाख रुपये मिल सकेंगे.
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समीक्षा बैठक: हर माह वेतन के अलावा दी जायेगी यह राशि, ग्रामीण इलाकों में तैनात डॉक्टर को मिलेंगे अलग से 25 हजार
पटना : राज्य के सुदूर ग्रामीण और नक्सल प्रभावित इलाकों में तैनात होने वाले डॉक्टर को वेतन के अलावा अलग से प्रतिमाह 25 हजार रुपये दिये जायेंगे. राज्य सरकार ने यह फैसला प्रदेश में डॉक्टरों की कमी को दूर करने और ग्रामीण व नक्सल प्रभावित इलाकों में डॉक्टरों की तैनाती को लेकर लिया है. इस […]
पटना : राज्य के सुदूर ग्रामीण और नक्सल प्रभावित इलाकों में तैनात होने वाले डॉक्टर को वेतन के अलावा अलग से प्रतिमाह 25 हजार रुपये दिये जायेंगे. राज्य सरकार ने यह फैसला प्रदेश में डॉक्टरों की कमी को दूर करने और ग्रामीण व नक्सल प्रभावित इलाकों में डॉक्टरों की तैनाती को लेकर लिया है. इस पर शनिवार को स्वास्थ्य विभाग की समीक्षात्मक बैठक में निर्णय लिया गया.
स्वास्थ्य विभाग की समीक्षात्मक बैठक के बाद मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने बताया कि प्रदेश में डॉक्टरों की कमी है. सरकार इसे भरने के लिए प्रयास भी कर रही है. जो आते हैं वे शहरी या उसके अगल-बगल के क्षेत्रों में ही तैनात होना चाहते हैं. ऐसे में 25 हजार रुपये अतिरिक्त भत्ता देने से सुदूर ग्रामीण व नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में भी डॉक्टर की तैनाती हो सकेगी. उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता कोष में 20 प्रतिशत ज्यादा राशि इलाज के लिए दी जायेगी. इसमें अब बोन मैरो ट्रांसप्लांट, हेमोफेलिया और ट्रांजक्शन जेडर को भी इलाज के लिए जोड़ा गया है. इसके अलावा गरीबों को डायलिसिस कराना महंगा होता था. सरकार की ओर से गरीबों के लिए डायलिसिस की नि:शुल्क व्यवस्था की जा रही है. साथ ही प्रदेश में 84 फीसदी टीकाकरण है, उसे बढ़ाकर 90 फीसदी करना है. वहीं कालाजार को जड़ से समाप्त करना है और अस्पतालों में शव वाहन की संख्या बढ़ाने का भी निर्णय लिया गया. अंजनी कुमार सिंह ने बताया कि अस्पतालों में दवाओं की कमी आयी थी. मेडिकल कॉलेजों में दवाएं उपलब्ध करा दी गयी हैं, बाकी जगहों पर उपलब्ध करायी जा रही है.
मुख्य सचिव ने सभी पुराने भवनों की मजबूती के लिए रेट्रो फिटिंग की भी जानकारी दी. इस कड़ी में मेडिकल भवनों की रेट्रो फिटिंग की जायेगी. बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अलावा उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय, मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह, स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव आरके महाजन समेत अन्य पदाधिकारी मौजूद थे.
डॉक्टरों की कमी दूर करने के लिए सरकार ने लिया फैसला, गर्भवती महिलाओं व दो साल तक के बच्चों को मिलेगा पूरक आहार
मुख्य सचिव ने बताया कि प्रदेश में नाटेपन की समस्या है. इसे दूर करने लिए सरकार मुख्य रूप से बाल विवाह रोकने का काम करेगी और इसके लिए अभियान चलायेगी. इसके अलावा गर्भवती महिलाओं को पूरक आहार देगी. इसमें उन्हें आयरन, कैल्शियम के साथ आवश्यक अन्य चीचें दी जायेंगी, जिससे उनका व आने वाले बच्चे का स्वास्थ्य बेहतर हो सके. इसके अलावा दो साल से कम उम्र तक के बच्चे को पूरक आहार स्वास्थ्य विभाग व समाज कल्याण विभाग उपलब्ध करायेगा, ताकि बच्चा स्वस्थ रहे.
शिशु मृत्यु दर में कमी, आशा को 500 व माता को मिलेंगे 200 रुपये
मुख्य सचिव ने बताया कि प्रदेश में शिशु मृत्यु दर में कमी आयी है. प्रदेश में प्रति 1000 में शिशु लड़का की 36 और लड़की की 50 मृत्युदर है. लड़कियों की तुलना में लड़कों की ज्यादा मृत्युदर घटी है. शिशु लड़कियों के इलाज कराने के लिए समाज को प्रेरित करना है और सभी जिलों में न्यू बोर्न केयर यूनिट हैं. इसमें जो भी आशा कार्यकर्ता पांच साल तक की बच्चियों को इलाज के लिए अस्पताल लेकर आयेंगी उन्हें 500 रुपये और जो माता होंगी उन्हें 200 रुपये की राशि दी जायेगी.
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