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वोटर कार्ड के लिए उम्र व पता का प्रमाण अनिवार्य
15 अगस्त के बाद बनेगा नया वोटर कार्ड, नये सॉफ्टवेयर का होगा एक ही सर्वर पटना : अब दो जगहों से वोटर आइ कार्ड को बनाने वाले की पहचान एक ही क्लिक में हो जायेगी और उनका वोटर कार्ड को रद्द कर दिया जायेगा. इसके लिए नये तरीके से काम शुरू हो गया है. अब […]
15 अगस्त के बाद बनेगा नया वोटर कार्ड, नये सॉफ्टवेयर का होगा एक ही सर्वर
पटना : अब दो जगहों से वोटर आइ कार्ड को बनाने वाले की पहचान एक ही क्लिक में हो जायेगी और उनका वोटर कार्ड को रद्द कर दिया जायेगा.
इसके लिए नये तरीके से काम शुरू हो गया है. अब एक ही व्यक्ति दो जगहों से वोटर आइ कार्ड नहीं बना पायेंगे. पूर्व के दिनों में वोटर कार्ड बनाने वाले फार्म भरने के साथ उम्र व पता का प्रमाण पत्र नहीं भी लगाते थे, तो उनके परिवार या संबंधी के नाम के नीचे उनका नाम जुड़ जाता था, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. कार्ड बनाने वालों को उम्र व पते का प्रमाण पत्र देना होगा, जिसे वेबसाइट पर लोड किया जायेगा. नये फार्म के साथ प्रमाण पत्र को अपलोड नहीं किया गया, तो कंप्यूटर उस फार्म को रिजेक्ट कर देगा और उस व्यक्ति का कार्ड नहीं बन पायेगा.
सबकुछ ऑनलाइन
15 अगस्त के बाद दोबारा से नये वोटर कार्ड बनाने की प्रकिया शुरू की जायेगी. इसके लिए अब एक ही सॉफ्टवेयर होगा, जिसकी मॉनीटरिंग एक ही सर्वर से की जायेगी. इसके लिए कर्मचारियोें व अधिकारियों को इस सॉफ्टवेयर के माध्यम से डॉक्यूमेंट को अपलोड कर सीधे कंप्यूटर में डाटा बेस तैयार कर लोड करो की ट्रेनिंग दी जा रही है, ताकि हर वोटर की एक यूनिक आइडी के माध्यम से पूरी जानकारी तुरंत मिल जाये.
अब मतदाता सूची में नाम जोड़ने, हटाने, फॉर्म लेने अथवा रिजेक्ट करने या किसी भी तरह की गलती को ठीक करने का काम सीधे नेशनल डाटा बेस पर ऑनलाइन प्रक्रिया के तहत होगा. निर्वाचन संबंधी सभी व्यवस्थाएं सहज की गयी है. जहां पर आवेदक से फार्म लिया जायेगा, वहीं उसे तुरंत लोड कर दिया जायेगा, ताकि काम आराम से तुरंत हो जाये.
किशोर कुणाल ने बाबरी मस्जिद के वाद में सुप्रीम कोर्ट में पेश की याचिका
पटना. महावीर मंदिर के प्रमुख आचार्य किशोर कुणाल ने बाबरी मस्जिद के वाद की सुनवाई के लिए उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित तीन न्यायाधीशों के समक्ष याचिका प्रस्तुत की. इनकी यह याचिका इंटरलेक्यूटरी एप्लीकेशन संख्या 70131/ 2017 के रूप में स्वीकृत कर ली गयी है.
11 अगस्त को इसकी सुनवाई हुई. आचार्य कुणाल की ओर से अधिवक्ता श्री लक्ष्मीनाराण सिंह ने यह याचिका 8 अगस्त को दायर की थी. न्यायमूर्ति एसएन झा, जम्मू कश्मीर और राजस्थान के पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने इस वाद में बहस की. तीन न्यायाधीशों के इस नव गठित बेंच में न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति अशोक भूषण एवं न्यामूर्ति अब्दुल नजीर हैं. सुनवाई के बाद इस बेंच ने आदेश पारित किया कि इसकी सुनवाई मुख्य वाद के साथ की जायेगी. इस वाद को 5 दिसम्बर तक के लिए स्थगित किया गया है.
मंदिर ध्वस्त करने में नहीं थी बाबर की भूमिका
इस वाद में श्री कुणाल का कहना है कि राम जन्मभूमि के मन्दिर को ध्वस्त करने में और मस्जिद बनाने में बाबर की कोई भूमिका नहीं थी. यह कार्य औरंगजेब के काल में उसके अवध का गवर्नर फिदायी खान ने किया था. उस स्थान पर सैकडों वर्षों से राम जन्मभूमि का चिह्न रहा है, जिसकी पुष्टि विदेशी यात्रियों के यात्रा वृतांत से होती है साथ ही इस बात का उल्लेख मुस्लिम धार्मिक व्यक्तियों द्वारा दिये गये शपथ-पत्रों में भी इस बात की पुष्टि की गयी है.
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