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बिहार में सीसीटीएन योजना को मिली गति जारी किये 74.20 करोड़

पटना : राज्य में सीसीटीएन (क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क) को गति देने के लिए दूसरे चरण की किस्त जारी कर दी गयी है. इसमें केंद्र सरकार ने 59 करोड़ 66 लाख व राज्य की तरफ से 14 करोड़ 54 लाख रुपये जारी किये गये हैं. इस तरह इस योजना के दूसरे व निर्णायक चरण […]

पटना : राज्य में सीसीटीएन (क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क) को गति देने के लिए दूसरे चरण की किस्त जारी कर दी गयी है. इसमें केंद्र सरकार ने 59 करोड़ 66 लाख व राज्य की तरफ से 14 करोड़ 54 लाख रुपये जारी किये गये हैं. इस तरह इस योजना के दूसरे व निर्णायक चरण में 74 करोड़ 20 लाख रुपये जारी किये गये हैं.
इस योजना को तैयार करने में 258 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है. केंद्र सरकार की इस योजना में कुल लागत का राज्यांश के रूप में 30 फीसदी हिस्सेदारी दी जा रही है. इस योजना से जुड़े आधारभूत कार्य तकरीबन पूरे हो चुके हैं. सॉफ्टवेयर समेत अन्य प्रोग्राम को इंस्टॉल कर इस योजना को पूरी तरह से चालू करने में करीब छह महीने का वक्त लगेगा.
पूरे देश में बिहार एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां सीसीटीएन अभी तक पूरा नहीं हुआ है. इस योजना के अभी तक पूरी तरह से कार्य नहीं करने के कारण अपराधियों और अपराध का डाटाबेस पूरी तरह से तैयार नहीं हो पा रहा है.
न ही इसका उपयोग अपराधियों की शिनाख्त करने या पकड़ने में ही किया जा रहा है. पहले इसका कार्य बेल्ट्रॉन के जरिये होना था, लेकिन बाद में कई तरह की समस्याएं आने पर इसे पुलिस मुख्यालय अपने स्तर पर ही पूरा कराने में लगा हुआ है. कई कारणों से यह योजना पिछले तीन-चार वर्षों से पूरी ही नहीं हो पायी है. हाल में इसके तहत पहले चरण का काम हुआ है, जिसमें कई महत्वपूर्ण थानों में ऑनलाइन एफआइआर देखने या डॉउनलोड करने की सुविधा शुरू की गयी है. परंतु अभी तक इसका मुख्य हिस्सा शुरू ही नहीं हुआ है, जिसमें सभी स्तर के अपराधियों का वॉयोमैट्रिक रिकॉर्ड जमा करके रखना और सभी थानों को आपस में तथा पुलिस मुख्यालय के साथ सीधा जोड़ना है.
एफआइआर ऑनलाइन करने की सुविधा भी इसमें आम लोगों को मिलेगी. प्राप्त सूचना के अनुसार, इसका काम अंतिम चरण में चल रहा है. सीसीटीएनएस में सबसे अहम है अपराधियों का ऑनलाइन रिकॉर्ड रखना. ताकि किसी राज्य या इलाके के अपराधी की पहचान कहीं से आसानी से की जा सके. अपराधियों का पूरा ब्योरा कहीं से कोई थाना आसानी से निकाल सके. किसी अपराधी की पहचान में दिक्कत नहीं हो.

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