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दीघा ग्रिड में 80 घंटे से बिजली संकट, और लगेंगे तीन दिन

पटना: खगौल से दीघा ग्रिड को जोड़ने वाली ट्रांसमिशन लाइन की सर्किट में आयी खराबी ने पश्चिमी पटना की लगभग 10 लाख आबादी को 80 घंटे से अधिक समय से परेशान कर रखा है. वैकल्पिक स्नेत से बिजली आपूर्ति बहाल किये जाने के बावजूद इनसे जुड़े मुहल्लों में पिछले 80 घंटे में से मात्र 18 […]

पटना: खगौल से दीघा ग्रिड को जोड़ने वाली ट्रांसमिशन लाइन की सर्किट में आयी खराबी ने पश्चिमी पटना की लगभग 10 लाख आबादी को 80 घंटे से अधिक समय से परेशान कर रखा है. वैकल्पिक स्नेत से बिजली आपूर्ति बहाल किये जाने के बावजूद इनसे जुड़े मुहल्लों में पिछले 80 घंटे में से मात्र 18 से 25 घंटे ही बिजली आपूर्ति की जा सकी है. गरमी में बिजली की इस कटौती ने इलाके में रहने वाले लोगों की पूरी दिनचर्या ही बिगाड़ दी है.

पेयजल संकट ने अलग परेशान कर रखा है. हालांकि, ज्वाइंट विशेषज्ञों के साथ कंपनी के वरीय अभियंता ट्रांसमिशन लाइन को दुरुस्त करने में दिन-रात लगे हुए हैं, लेकिन अभी दो से तीन दिनों का और वक्त लगने की उम्मीद है. हालांकि गुरुवार को खगौल फीडर व पटेल नगर पावर सब स्टेशन से वैकल्पिक व्यवस्था की जायेगी, तो लोड शेडिंग की अवधि को थोड़ा कम किया जा सकेगा. इससे प्रभावित इलाकों में रहनेवाले लोगों को थोड़ी राहत मिलने की संभावना है.

मरम्मत के बाद भी रहेगा खतरा : खगौल से दीघा ग्रिड को जोड़ने वाली ट्रांसमिशन लाइन का दोनों सर्किट खराब है. एक सर्किट चार माह पहले, जबकि दूसरा इस रविवार को क्षतिग्रस्त हुआ. दोनों सर्किट क्षतिग्रस्त होने से दीघा ग्रिड से संबंधित इलाकों में बिजली संकट पिछले चार दिनों से गहरा गया है. विद्युत कंपनी ने एक सर्किट का ज्वाइंट विदेश से मंगाया है, जिससे मरम्मत कार्य हो भी रहा है. लेकिन, एक सर्किट को ही दुरुस्त करने की फिलहाल व्यवस्था की जा रही है. यदि इससे बिजली आपूर्ति बहाल भी हो जाती है तो संकट का खतरा बना रहेगा.

चार पीएसएस को होती है आपूर्ति : दीघा ग्रिड से चार पावर सब स्टेशनों को बिजली आपूर्ति की जा रही है. इन चारों सब स्टेशनों के आपूर्ति क्षेत्र में बिजली संकट बना हुआ है. हालांकि बुधवार को खगौल-दो फीडर से पुराना व न्यू दीघा पावर सब स्टेशन को जबकि पटेल नगर पावर सब स्टेशन को एसके पुरी पावर सब स्टेशन से जोड़ कर वैकल्पिक व्यवस्था के तहत रोटेशन पर बिजली आपूर्ति देने का प्रयास किया गया. लेकिन, पेसू के वरीय अभियंता इसमें अधिक सफल नहीं हो सके.

क्यों नहीं की गयी पहले व्यवस्था : ट्रांसमिशन लाइन में दो सर्किट हैं, तो स्पेयर में एक क्यों नहीं रखा गया था. इतना ही नहीं, दिसंबर में एक सर्किट क्षतिग्रस्त हुआ, तो क्षतिग्रस्त को शीघ्र दुरुस्त करने का प्रयास क्यों नहीं किया गया? अब दूसरा सर्किट क्षतिग्रस्त हुआ, तो एक ज्वाइंट सर्किट विदेश से आ भी गया, यह कैसे संभव हो गया. दरअसल, बिहार स्टेट पावर(होल्डिंग) कंपनी दूसरा सर्किट को क्षतिग्रस्त होने का इंतजार रह रही थी. कंपनी समय रहते पहले क्षतिग्रस्त सर्किट को दुरुस्त कर लिया होता, तो आज 20 लाख की आबादी बिजली संकट से नहीं जूझती. कंपनी के अधिकारी बताते हैं कि एक सर्किट ज्वाइंट की कीमत लगभग 50 लाख रुपये है.

इन इलाकों में हो रही कटौती : राजीव नगर, कुर्जी, दीघा-आशियाना रोड, पाटलिपुत्र कॉलोनी, न्यू पाटलिपुत्र कॉलोनी, नेहरू नगर, इंद्रपुरी, मेश नगर, नार्थ एसके पुरी, मजिस्ट्रेट कॉलोनी, खाजपुरा, एक्साइज कॉलोनी, शिवपुरी, मैनपुरा, समनपुरा, एजी कॉलोनी, एसके पुरी, बोरिंग रोड, बोरिंग कैनाल रोड, पुनाईचक, आनंदपुरी, कौटिल्य नगर, जगदेव पथ, गोला रोड, बेली रोड का कुछ हिस्सा, दानापुर, बाटा फैक्ट्री के आसपास सहित कई मुहल्ला है, जहां दो से चार घंटे बिजली आपूर्ति की जा रही है.

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