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क्या नयी सरकार गलत कागजात देकर नियुक्त हुए 13 एमवीआई को हटाएगी, पढ़ें

पटना : बिहार में नयी सरकार विकास कार्यों को लेकर एक्शन मोड में है. सभी मंत्रियों और विभागों को भ्रष्टाचार से जीरो टॉलरेंस के साथ अपने विभागों के पेंडिग पड़े कार्यों को निबटाने के निर्देश मिल चुका है. इसी क्रम में परिवहन विभाग में हुई मोटर यान निरीक्षकों की बहाली में धांधली का मामला भी […]

पटना : बिहार में नयी सरकार विकास कार्यों को लेकर एक्शन मोड में है. सभी मंत्रियों और विभागों को भ्रष्टाचार से जीरो टॉलरेंस के साथ अपने विभागों के पेंडिग पड़े कार्यों को निबटाने के निर्देश मिल चुका है. इसी क्रम में परिवहन विभाग में हुई मोटर यान निरीक्षकों की बहाली में धांधली का मामला भी उठने लगा है. जानकारी के मुताबिक, अभी भी बिहार के तेरह जिलों में गलत कागजात और जानकारी देकर नियुक्त हुए 13 मोटर यान निरीक्षक आराम से अपनी ड्यूटी बजा रहे हैं. इसका खुलासा हुआ था, मई 2017 में जब सूचना के अधिकार के तहत इसके बारे में जानकारी मांगी गयी थी. आरटीआइ से मिली जानकारी के मुताबिक कई अभ्यर्थी फर्जी कागजात बनाकर भी बहाल हुए हैं. इनमें से कई अधिकारी विभिन्न जिलों में कानून को ताक पर रखकर ड्यूटी कर रहे हैं. उधर, बीएसएससी प्रश्न पत्र लीक मामले की जांच कर रही एसआईटी को भी इस बात के प्रमाण मिले थे,जब पूर्व सचिव परमेश्वर राम के घर में छापेमारी के दौरान इससे संबंधित कागजात मिला.

बीएसएससी पेपर लीक मामले को लेकर हुए बवाल के बाद एसएसपी मनु महाराज ने कहा था कि एमवीआई बहाली से संबंधित कागजात मिले हैं. कुछ कैंडीडेट भी कागजात मुहैया कराए हैं. मनु महाराज ने यह भी कहा था कि यह कागज मिलने के बाद राज्य सरकार और परिवहन विभाग को जांच के लिए लिखा जायेगा. जानकारी के मुताबिक एवीआई की बहाली साक्षात्कार के आधार पर ली गयी थी. नियमावली के अनुसार सामान्य श्रेणी के लिए 40 प्रतिशत, पिछड़ा वर्ग के लिए 36.5 प्रतिशत, पिछड़ा वर्ग (1) के लिए 34प्रतिशत और अनुसूचित जाति व जनजाति एवं महिला के लिए 32प्रतिशत का कट ऑफ तय किया गया था. इस परीक्षा के लिए 25 अंक पर कट ऑफ निकला. बावजूद इसके कट ऑफ से भी कम अंक प्राप्त होने वाले अभ्यर्थियों को एमवीआई की कुर्सी मिल गयी. आरटीआइ से मिले कागजात से खुलासा हुआ है कि सामान्य कैटेगरी में ऐसे कैंडिडेट जिन्हें साक्षात्कार में आठ अंक आये, उसे भी मेरिट लिस्ट में शामिल कर लिया गया. जबकि सामान्य श्रेणी के कैंडिडेट के लिए 25 में से 10 अंक लाना अनिवार्य था. ऐसे तकरीबन सात कैंडिडेट को गलत तरीके से बहाल किया गया था. वहीं कई कैंडिडेट जन्म प्रमाण पत्र और अनुभव प्रमाण पत्र के नाम पर भी आयोग को गलत जानकारी दी थी.

मिली जानकारी के मुताबिक पूर्व में जून 2011 में 20 लोगों की नियुक्ति हुई, जिसमें से 13 अभ्यर्थी जालसाजी कर बहाल कराए गये. इसके बाद वर्ष 2012-13 में 12 अभ्यर्थियों की नियुक्ति हुई. वर्तमान में इन 13 में से कई लोग विभिन्न जिलों में तैनात हैं. इस नियुक्ति में गड़बड़ी के संबंध में एक आरटीआइ कार्यकर्ता ने एसआइटी के एक वरीय अधिकारी को कुछ कागजात सौंपा था. इसमें यह जानकारी दी गयी है कि 2011-16 के बीच 33 पदों पर बहाली हुई थी और उसमें एक ही परिवार के चार सदस्य एमवीआई बने थे. उक्त चारों एक ही परिवार के एमवीआई एक नेता के परिवार से जुड़ा होना बताते है. इसमें 13 परीक्षार्थियों को फर्जी तरीके से नौकरी दी गयी. उक्त कार्यकर्ता ने यह जानकारी दी थी कि हाइकोर्ट के आदेश पर 163 परीक्षार्थियों की उत्तर पुस्तिका का पुनर्मूल्यांकन कराया गया था. लेकिन तत्कालीन अध्यक्ष व सचिव ने सूची में सात नये नाम जोड़ कर हाइकोर्ट भेज दिया था. इसके साथ ही उनके पुराने अंक की जानकारी नहीं दी. गौरतलब हो कि बीएसएससी के माध्यम से परिवहन विभाग में एमवीआई के 59 पदों पर नियुक्ति के लिए 2007 में विज्ञापन प्रकाशित हुआ था. अब, सवाल उठता है कि क्या नयी सरकार और नये परिवहन मंत्री इस मामले की जांच कराते हैं कि नहीं.

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