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यहां 30 फीसदी घरों में नहीं हैं शौचालय
रियलिटी चेक : दो दिन बाद सकरैंचा को ओडीएफ घोषित करने की तैयारी प्रहलाद कुमार पटना : पटना जिले के फुलवारीशरीफ ब्लॉक के सकरैंचा पंचायत को 28 जुलाई को ओडीएफ (खुले में शौच मुक्त) घोषित किया जाना है. इस टोले में बड़ी संख्या में महादलितों की आबादी है. ओडीएफ को लेकर तैयार इस पंचायत की […]
रियलिटी चेक : दो दिन बाद सकरैंचा को ओडीएफ घोषित करने की तैयारी
प्रहलाद कुमार
पटना : पटना जिले के फुलवारीशरीफ ब्लॉक के सकरैंचा पंचायत को 28 जुलाई को ओडीएफ (खुले में शौच मुक्त) घोषित किया जाना है. इस टोले में बड़ी संख्या में महादलितों की आबादी है. ओडीएफ को लेकर तैयार इस पंचायत की वास्तविक स्थिति कुछ अलग ही है.
जब प्रभात खबर टीम ने सकरैंचा गांव का जायजा लिया, तो पता लगा कि पंचायत के 30 फीसदी से अधिक घरों में शौचालय नहीं हैं. करीब 50 फीसदी लोग अब भी खुले में शौच के लिए जाते हैं. सकरैंचा पंचायत में 14 वार्ड हैं, जिनमें लगभग 13 हजार वोटर हैं. इनमें से बीपीएल परिवारों की संख्या अधिक है. ये लोग अब भी खुले में शौच के लिए जाते हैं. बीपीएल परिवारों का यही कहना था कि शौचालय कहां से बनवायेंगे. खाने को पैसा नहीं है और हम शौचालय बना कर पैसा फंसाएं.
इस पंचायत में अन्य ओडीएफ घोषित किये जा चुके पंचायतों से भी अधिक प्रचार किया गया है. इस पंचायत के वार्डाें में हर जगह दीवारों पर स्लोगन लिखे गये हैं कि खुले में शौच नहीं करें. इसके बाद भी लोग खुले में शौच कर रहे हैं.
मुखिया ने दिखाया रौब : पहले उप मुखिया से जानकारी ली कि इस पंचायत को ओडीएफ घोषित होना है, तो उनका जबाव था कि हमें नहीं मालूम.
इसके बाद बीपीएल परिवार एकजुट होकर हंगामा करने लगे. थोड़ी देर में मुखिया जी पहुंचे. गांव के लोग अपनी परेशानी बता रहे थे, तो मुखिया जी जोर-जोर से चिल्लाने लगे. शौचालय बनवाने के लिए कई बार बोला गया, तब सुनाई नहीं देता है. जहां तक पैसे की बात है, तो नियम मालूम नहीं है और हल्ला करने चले आते हो. इसके बाद भी मुखिया जी रौब दिखाते रहे. कुछ देर बाद बीडीओ ने पहुंच कर मामले को शांत कराया.
सकरैंचा में शौचालय का काम लगभग पूरा हो गया है. कुछ एक वार्ड में काम अभी अधूरा है. इसे भी पूरा कर लिया जायेगा. शौचालय बनाने के बाद भी जब तक लोगों की मानसिकता नहीं बदलेगी, बाहर जाने से रोकना मुश्किल है.
शमशीर मल्लिक, बीडीओ, फुलवारी
यहां कहने के लिए स्वास्थ्य केंद्र, बैंक, स्कूल और शौचालय हैं, लेकिन सच्चाई यही है कि सभी लोगों को अब भी खुले में जाना पड़ता है. हरिजन टोला में शौचालय के नाम पर कुछ नहीं है और हम बाहर ही शौच के लिए जाते हैं.
छोटन पंडित, सकरैंचा
रहने के लिए घर है ही नहीं, तो शौचालय कहां से बनवाएं. जो लोग पैसा कर्ज लेकर शौचालय बना भी लिए, तो उनको पैसा नहीं मिला है. हमलोग अभी खुले में ही शौच के लिए जाते हैं.
क्रांति देवी, सकरैंचा
शौचालय के नाम पर कुछ नहीं है. एक-दो शौचालय बनवाया गया है. बारिश में बाहर जाने पर परेेशानी होती है और खेत वाले बोलते हैं कि खेत में शीशा गाड़ देंगे तब मजा आयेगा. अब बताइये कहां जाएं.
फूला देवी, सकरैंचा
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