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मुख्य सचिव तय करें अंतिम संस्कार के कर्मकांडों की दर : उच्च न्यायालय
निर्देश. अंतिम संस्कार के समय मनमाने तरीके से वसूल की जाती है राशि पटना : पटना उच्च न्यायालय ने कहा है कि राज्य के मुख्य सचिव को अंतिम संस्कार के कर्मकांडों की दर तय करनी चाहिए. साथ ही इस संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश भी जारी किया जाना चाहिए. कोर्ट ने सूबे के विभिन्न श्मशान घाटों […]
निर्देश. अंतिम संस्कार के समय मनमाने तरीके से वसूल की जाती है राशि
पटना : पटना उच्च न्यायालय ने कहा है कि राज्य के मुख्य सचिव को अंतिम संस्कार के कर्मकांडों की दर तय करनी चाहिए. साथ ही इस संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश भी जारी किया जाना चाहिए.
कोर्ट ने सूबे के विभिन्न श्मशान घाटों पर अंतिम संस्कार के समय मृत व्यक्ति के परिजनों से मनमाने तरीके से धार्मिक अनुष्ठान के समय शोषण किये जाने के मामले में विकासचंद्र उर्फ गुड्डू बाबा की ओर से दायर लोकहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह निर्देश दिया. याचिकाकर्ता द्वारा अदालत को बताया गया कि राजधानी पटना सहित सूबे के सभी श्मशान घाटों पर अंतिम संस्कार के लिये आये मृत व्यक्ति के परिजनों से मुखाग्नि, अंत्येष्टी हेतु लकड़ी एवं अन्य सामग्रियों की मनमाने तरीके से राशि वसूल की जाती है.
अदालत को याचिकाकर्ता द्वारा यह भी बताया गया कि बिहार जैसे गरीब प्रदेश में जहां गरीबों के पास इलाज के लिए पैसे का अभाव होता है, वहांमरने के उपरांत भी कम पैसों के कारण उनके साथ बदसलूकी एवं मानवता को शर्मसार करने की घटना घटित होती है. याचिकाकर्ता द्वारा अदालत को यह भी बताया गया कि इस मामले को लेकर उन्होंने सूबे के मुख्य सचिव को आवेदन दिया था. परंतु अभी तक इस मामले को लेकर कोईकार्रवाई नहीं की गयी है. इसी कारण से इस याचिका को दायरकिया गया है
तल्ख टिप्पणी
अजब है बिहार, परीक्षा हो तो याचिका, न हो तो याचिका: हाइकोर्ट
पटना. पटना उच्च न्यायालय ने बुधवार को राज्य की परीक्षाओं के आयोजन को लेकर दायर मुकदमों पर तल्ख टिप्पणी की. मुख्य न्यायाधीश जस्टिस राजेंद्र मेनन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि बिहार में अजब बात देखने को मिल रही है. परीक्षा होती है, तो याचिका दायर की जा जाती है. नहीं होती है तो याचिका दायर की जाती है. ऐसा कब तक चलेगा.
कोर्ट ने यह टिप्पणी सूबे के विभिन्न विद्यालयों में वर्ष 2008 के बाद से शारीरिक शिक्षकों, शारीरिक इंस्ट्रक्टरों की बहाली नहीं किये जाने के मामले को लेकर दायर लोकहित याचिका पर सुनवाई के बाद की. कोर्ट ने इस मामले में किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया. मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन एवं जस्टिस अनिल कुमार उपाध्याय की खंडपीठ ने राजेश कुमार की ओर से दायर लोकहित याचिका पर सुनवाई के बाद यह निर्देश दिया. याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि विभिन्न विद्यालयों में 2008 से ही शारीरिक शिक्षकों की बहाली नहीं की गयी है, जिससे विद्यालयों में अध्ययनरत छात्रों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
पटना. आमदनी अठन्नी और खरचा रुपया की तर्ज पर पटना-दीघा रूट में चल रही पैसेंजर ट्रेन को लेकर पटना उच्च न्यायालय ने रेल मंत्रालय से स्थिति स्पष्ट करते हुए जवाब तलब किया है.
अदालत ने यात्रियों की संख्या नगण्य रहने के बावजूद इस रूट पर ट्रेन चलाने से आमजनों को आये दिन रेलवे क्राॅसिंग बंद रहने से अनावश्यक परेशानी पर सख्त ऐतराज जताया. जस्टिस डाॅ रविरंजन ने इस मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए रेलवे से जवाब-तलब किया है. गौरतलब है कि पटना उच्च न्यायालय के जस्टिस डाॅ रविरंजन को बुधवार को प्रातः 10 बजे हाइकोर्ट आने के क्रम में बेली रोड स्थित रेलवे क्राॅसिंग के बंद रहने के कारण दिक्कत का सामना करना पड़ा था, जिस पर अदालत ने राज्य सरकार के प्रधान अपर महाधिवक्ता ललित किशोर और रेलवे के अधिवक्ता को अदालत में उपस्थित होकर जवाब देने का निर्देश दिया था.
राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता ने अदालत के समक्ष कहा कि इस मामले को लोकहित याचिका में परिवर्तित कर दिया जाये. वहीं रेलवे के अधिवक्ता द्वारा इस मामले में विभाग से जानकारी लेकर जवाब देने की बात कही. अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा कि पटना-दीघा रूट पर चलायी जा रही पैसेंजर ट्रेन में दो-चार पैसेंजर ही यात्रा करते हैं और उनमें कितने टिकटधारी होते हैं यह जगजाहिर है. आये दिन रेलवे क्राॅसिंग का गेट बंद रहने से आमजनों को अनावश्यक ही परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
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