पटना : अमरनाथ बस हादसे में नाले में बस गिरने से ज्यादातर तीर्थ यात्रियों की मौत नहीं हुई बल्कि दम घुटने से ज्यादातर श्रद्धालु मरे. दुर्घटना में अपनी पत्नी को खो चुके विजय कुमार चौरसिया ने मंगलवार को पटना एयरपोर्ट पर बताया कि गाड़ी ड्राइवर की गलती के कारण नहीं, बल्कि ब्रेक फेल होने के कारण 150 फीट नीचे गहरे नाले में गिरी.
ड्राइवर ने पहले बस को रोकने का प्रयास किया. जब ब्रेक लगाने पर भी बस नहीं रुकी तो उसने किनारे में बैठे यात्रियों को देखने के लिए कहा कि क्या टायर पंचर हो गया है. किनारे पर बैठे दो-तीन युवकों ने नीचे झांक कर कहा कि ऐसा नही है और अनियंत्रित बस को ढाल दार सड़क से धीरे धीरे खाई की ओर जाता देख प्राण बचाने के लिए किनारे में कूद पड़े. विजय ने यह भी बताया कि कुछ लोग कह रहे थे कि ड्राइवर ने भी बस से कूद कर खुद को बचाने की कोशिश की लेकिन उसमें सफल नहीं हो सका. अखबारों में छपी खबर के अनुसार वह भी अन्य लोगों के साथ नाले में मरा पाया गया.
हादसे में 17 तीर्थयात्रियों के मौत पर एक नयी रोशनी डालते हुए विजय ने बताया कि इतनी बड़ी संख्या में तीर्थयात्रियों की मौत की वजह न तो 150 फीट गहरे खाई में बस का गिरना रहा और न ही नाले में अधिक पानी का होना. सबसे बड़ी वजह दुर्घटना के बाद मची आपाधापी बनी. बस के नाले में गिरने पर आदमी के ऊपर आदमी गिरा. नाले में पानी कमर से छाती के बीच थी, जिसमें कोई डूब कर मर नहीं सकता था, लेकिन आदमी के ऊपर आदमी के गिरने से नीचे वाला आदमी कम पानी में भी डूब गया और उसके लिए सांस लेना मुश्किल हो गया. रही-सही कसर कुछ बस यात्रियों के हड़बड़ाकर बाहर निकलने के प्रयास से हुई. इस क्रम में उन्होंने नीचे गिरे आदमी की जरा भी परवाह नहीं करते हुए उसके पेट, पीठ, छाती और सिर पर पैर रखकर बाहर निकलने का प्रयास किया, जिससे नीचे गिरे आदमी की सांस पूरी तरह घुट गयी. पुत्र और पत्नी के साथ अमरनाथ की यात्रा पर निकले विजय की पत्नी छाया देवी का निधन हादसे में हो गया जबकि विजय को भी सिर में चोट आई. पुत्र रजत के रीढ़ की हड्डी टूट गयी, जिसका जम्मू के अस्पताल में इलाज चल रहा है.
केंद्र द्वारा घोषित मुआवजा मिलेगा एक सप्ताह में : प्रधानमंत्री राहत कोष से हादसा पीड़ितों को दी जाने वाली मुआवजा राशि मिलने में अभी कम से कम एक सप्ताह लगेगा. जिला आपदा प्रबंधन के एडीएम शशांक शेखर ने बताया कि इसके लिए जिला प्रशासन की तरफ से हादसा पीड़ितों की सूची बना कर प्रधानमंत्री कार्यालय भेजी जायेगी. वहां से स्वीकृति मिलने के बाद प्रधानमंत्री राहत कोष से दो-दो लाख रुपये की सहायता राशि दी जायेगी.