पटना : राजस्थान में गैंगस्टर अनंतपाल के इनकाउंटर मुद्दे पर राजपूत करणी सेना अांदोलित है. आम तौर पर यहसंगठन अपनी जाति की अस्मिता, उससे जुड़े ऐतिहासिक पात्रों के फिल्मों में चित्रांकन व अन्य मुद्दों को लेकर आंदोलन करतारहा है, लेकिन पहली बार वह एक गैंगस्टर के इनकाउंटर पर सवाल उठा रहा है और राजस्थान के कई जिलों में इस मामले की सीबीआइ जांच की मांग को लेकर अांदोलन चला रहा है. उनके इस आंदोलन से एक बार फिर बिहार की जातीय सेनाओं की यादें ताजा हो गयीं, जिससे लंबे समय तक राज्य झुलसता रहा है.
जाति के खांचे में बंटे बिहार में विभिन्न जातियों ने समय-समय पर अपनी सेनाएं बनायीं और उसके जरिये अपने हितों व अधिकारों की रक्षा करने का तर्क दिया. आइए ऐसे ही कुछ सगठनों के बारे में जानें :
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लोरिका सेना
लोरिका सेना यादव जाति के लोगों का संगठन रहा है. इस संगठन की स्थापना सवर्ण और वामपंथी गिरोहों से लड़ने के लिए की गयी थी.
सनलाइट सेना
यह संगठन राजपूत जाति के लोगों ने बनाया. इसका उद्देश्य भूमि पर अपना कब्जा बरकरार रखना रहा है. राजपूत जाति के लोग परंपरागत रूप से भूमिपति रहे हैं.
भूमि सेना
भूमि सेना कुर्मी जाति के लोगों का संगठन है. कुर्मी जाति के लोगों के पास भी पर्याप्त भूमि है. ऐसे में यह संगठन उन्होंने अपने हितों की रक्षा के लिए बनायी थी.
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रणवीर सेना
रणवीर सेना भूमिहार जाति के लोगों का संगठन रहा है और इसका भी उद्देश्य जाति के लोगों द्वारा अपनी भूमि पर कब्जा बरकरार रखना रहा है. इसका गठन वामपंथी आंदोलनों के कारण दलितों के हिस्से भूमि जाने से रोकने के लिए किया गया था. इसके प्रमुख ब्रह्मेश्वर मुखिया थे और उन्हें शिव नारायण चौधरी से 1994 में रणवीर किसान संघर्ष समिति की कमान मिली थी.
इसके अलावा भी बिहार में आजाद सेना, श्रीकृष्ण सेना, कुंवर सेना, गंगा सेना जैसे संगठन रहे हैं. रामविलास पासवान की दलित सेना भी है, जो मूल रूप से उनकी राजनीतिक पार्टी का एक विंग मात्र है, जिसके माध्यम से वे अपने राजनीतिक हितों की पूर्ति के लिए दलितों को संगठित कर सकें.