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खासमहाल नीति को नहीं मान रहे हैं लीजधारक
खासमहाल जमीन का हो रहा व्यावसायिक उपयोग पटना : राज्य में खास महाल जमीन का प्रबंधन सही तरीके से नहीं होने से सरकार पसोपेश में है. सरकार ने खासमहाल की अधिकांश जमीन आवासीय उपयोग के लिए दी है, लेकिन वर्तमान में इसका व्यावसायिक उपयोग खूब होने लगा है. अभी तक खासमहाल की वास्तविक जमीन के […]
खासमहाल जमीन का हो रहा व्यावसायिक उपयोग
पटना : राज्य में खास महाल जमीन का प्रबंधन सही तरीके से नहीं होने से सरकार पसोपेश में है. सरकार ने खासमहाल की अधिकांश जमीन आवासीय उपयोग के लिए दी है, लेकिन वर्तमान में इसका व्यावसायिक उपयोग खूब होने लगा है. अभी तक खासमहाल की वास्तविक जमीन के बारे में सही तथ्य नहीं मिलने से सरकार को राजस्व हानि हो रही है.
जमीन का व्यावसायिक उपयोग कर लीजधारक मालामाल हो रहे हैं, जबकि सरकार को लगान के रूप में औने-पौने राशि मिल रही है. पटना, मुंगेर, भागलपुर, कैमूर, रोहतास सहित 20 जिले में खासमहाल की जमीन है. लगभग 150 एकड़ जमीन की अभी भी बंदोबस्ती नहीं हुई है. केवल पटना जिले में लगभग पांच सौ एकड़ जमीन की बंदोबस्ती कर लीजधारकों को दी गयी. सरकार ने सम्मानित व्यक्तियों को आवासीय उपयोग के लिए लीज पर जमीन दी.
जमीन का वास्तविक ब्योरा नहीं है उपलब्ध
जिले में खास महाल की जमीन का ब्योरा तैयार नहीं होने से सही आंकड़े नहीं मिल रहे हैं. जबकि जमीन के प्रबंधन की जिम्मेवारी जिला प्रशासन की है. राजस्व व भूमि सुधार विभाग ने पाया है कि जिले में खासमहाल की भूमि का संधारण व अप टू डेट के काम की उपेक्षा होती है.
लीज पर दी गयी जमीन का नवीकरण कब होना है इसकी जानकारी नहीं होती है. यहां तक कि लीजधारक को नोटिस भी नहीं दी जाती है. लीजधारी के यहां कई साल का लगान बकाया रहता है. सरकार को समय पर राजस्व प्राप्त नहीं होता है. इसे लेकर राजस्व व भूमि सुधार विभाग जिले में डीएम से खास महाल की जमीन के बारे में अद्यतन रिपोर्ट की मांग करती है.
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