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पिता से मिली बीमारी, पति ने छोड़ा, बच्चों ने भी मुंह मोड़ा

ऐसी हालत क्यों : हिमाेफिलिया पीड़िता हो रहीं घरेलू हिंसा की शिकार पटना : जिसके लिए दोषी नहीं, महिलाएं उसकी भी सजा भुगत रही हैं. पिता ने बीमारी मिली, पति को पता चला तो तलाक दे दिया, जब बच्चे बड़े हुए तो बच्चों को भी लगा कि उसकी बीमारी की वजह उनकी मां है. हर […]

ऐसी हालत क्यों : हिमाेफिलिया पीड़िता हो रहीं घरेलू हिंसा की शिकार
पटना : जिसके लिए दोषी नहीं, महिलाएं उसकी भी सजा भुगत रही हैं. पिता ने बीमारी मिली, पति को पता चला तो तलाक दे दिया, जब बच्चे बड़े हुए तो बच्चों को भी लगा कि उसकी बीमारी की वजह उनकी मां है. हर जगह से पीड़ित महिलाएं अंत में अकेली पड़ जाती हैं.
उन्हें न कोई देखने वाला है और न ही कोई साथ ही देता है. घरेलू हिंसा की शिकार ये महिलाएं अपनी अधिकार की मांग करने न तो महिला थाना जाती है और न ही महिला हेल्प लाइन ही जाती हैं. इनकम टैक्स, पटना स्थिति हिमोफिलिया सेंटर पर महिलाओं का यह दर्द आये दिन दिखता है. जब तक पति साथ होते हैं, इलाज करवाने आती भी है, लेकिन पति के साथ छोड़ने के बाद वो गुमनाम हो जाती है.
11 हजार को बीमारी, चिह्नित है केवल 1093 : डब्ल्यूएचओ की मानें, तो हर 10 हजार लोगों को एक को हिमोफिलिया बीमारी होती है. ऐसे में अगर बिहार की देखें तो 11 करोड़ की आबादी पर 11 हजार को यह बीमारी है. इसको लेकर राज्य सरकार की ओर से जागरूकता कार्यक्रम भी चलाया जाता है.,लेकिन अभी तक केवल 1093 लोगों को इस बीमारी से चिह्नित किया जा सका है.
लोगों में यह बीमारी है इसका पता पीएमसीएच के माध्यम से पता चलता है. हिमोफिलिया सेंटर की मानें, तो लोग इसके बारे में कुछ जानते ही नहीं हैं. जब किसी और बीमारी का इलाज करने पहुंचते हैं, तो इस बीमारी का पता चलता है. खासकर गर्भवती महिलाएं जब पीएमसीएच आती हैं, तो इलाज या बच्चे के जन्म के बाद इसकी जानकारी मिलती है. इसके बाद पीएमसीएच से महिला को रेफर कर हिमोफिलिया सेंटर पर भेज दिया जाता है.
केस वन : कुम्हरार की रहने वाली मालती सिंह (बदला हुआ नाम) की शादी हुई. शादी के बाद बच्चे हुए ताे जन्म के बाद पता चला कि बच्चे को हिमोफिलिया है. इसके बाद ससुराल वालों ने मालती को ताना देना शुरू किया. इतना ही नहीं, बच्चे के परवरिश के लिए मालती के मायके वालों से मोटी रकम वसूलता रहा. मालती के पति के अनुसार यह बीमारी मालती से ही उनके बच्चे में आया है. इसके बाद पति ने तलाक दे दिया. मालती अब कहां है किसी को पता नहीं.
केस टू : राजाबाजार में रहने वाले राेहित मिश्रा (बदला हुआ नाम) अपनी पत्नी को लेकर इनकम टैक्स स्थित हिमोफिलिया सेंटर पर दिखाने को पहुंचे. रोहित मिश्रा को पता चला कि उनकी पत्नी ही इस बीमारी की वाहक है. पता चलते ही हॉस्पीटल में ही पत्नी को मारना शुरू कर दिया. कुछ दिनों के बाद पत्नी को तलाक दे दिया. कुछ दिनों तक तो महिला इलाज के लिए आती रही, लेकिन अब पता नहीं कहां है.
जांच हो तो 70 फीसदी रोकी जा सकती है यह बीमारी : हिमोफिलिया की अगर जांच हो, तो 70 फीसदी तक बीमारी को रोकी जा सकती है. यह 70 फीसदी में जेनेटिक होता है और 30 फीसदी में जीन परिवर्तन के कारण होता है. गर्भधारण करने के बाद कैरियर या वाहक डिटेक्शन टेस्ट होता है.
टेस्ट के दौरान हिमोफिलिया की बात सामने आने के बाद महिला को गर्भपात करने की सलाह दी जाती है. हिमोफिलिया से ग्रसित महिला अगर दो बार ऐसे गर्भपात करवा लेती है, तो तीसरे बार जन्म लेने वाला बच्चा नार्मल होता है. हिमोफिलिया पर रोक लगायी जा सकती है अगर इसका समय से टेस्ट हो जाये, लेकिन पटना में इसके टेस्ट की कोई व्यवस्था नहीं है. इसके टेस्ट पर एक हजार खर्च होते हैं.

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