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तीन माह में महज छह फीसदी राशि खर्च

पटना : चालू वित्तीय वर्ष 2017-18 में तीन महीने बीत गये, लेकिन आधा से अधिक विभागों ने योजनाओं को गति देने की कवायद तक शुरू नहीं की है. योजना मद की पहली किस्त सभी विभागों को मिल गयी है, फिर भी इन्हें खर्च करने में कोई विभाग दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं. योजना एवं विकास […]

पटना : चालू वित्तीय वर्ष 2017-18 में तीन महीने बीत गये, लेकिन आधा से अधिक विभागों ने योजनाओं को गति देने की कवायद तक शुरू नहीं की है. योजना मद की पहली किस्त सभी विभागों को मिल गयी है, फिर भी इन्हें खर्च करने में कोई विभाग दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं.
योजना एवं विकास विभाग के स्तर पर सभी विभागों के खर्च की हाल में समीक्षा की गयी, जिसमें अब तक महज 6.39 फीसदी रुपये ही खर्च हुए हैं. इसमें 20 विभाग ऐसे हैं, जिन्होंने अपना खाता तक नहीं खोला है. यानी इन विभागों ने अब तक एक रुपये भी खर्च नहीं किया है. छह-सात विभाग ही ऐसे हैं, जिन्होंने 10 फीसदी रुपये अब तक खर्च किये हैं. हालांकि पिछले वित्तीय वर्ष 2016-17 की तुलना में खर्च का यह प्रतिशत करीब एक फीसदी ज्यादा है. बीते वित्तीय वर्ष में शुरुआती तीन महीने में कुल योजना आकार का 5.76 प्रतिशत रुपये खर्च हो पाये थे.
गौरतलब है कि इस वित्तीय वर्ष से बजट के स्वरूप में थोड़ा बदलाव करते हुए योजना और गैर-योजना आकार के पैमाने को खत्म कर दिया गया है. इसके स्थान पर इस बार कैपिटल एक्सपेंडिजर और कमिटेड एक्सपेंडिजर का उपयोग किया जा रहा है. कैपिटल एक्सपेंडिजर के मद में ही योजनाओं के पूरे खर्च को शामिल किया गया है. योजना के रुपये खर्च करने में विभागों की रफ्तार धीमी रहने से कैपिटल मद में खर्च का प्रतिशत नहीं बढ़ रहा है. अब जिन विभागों खासकर निर्माण से जुड़े विभागों ने रुपये खर्च नहीं किये हैं, वे बरसात के बाद ही अपने खर्च का खाता खोल पायेंगे.
इन विभागों का नहीं खुला खाता : कृषि, पशु एवं मत्स्य संसाधन, पिछड़ा एवं अतिपिछड़ा कल्याण, सहकारिता, वित्त, खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण, उद्योग, सूचना एवं जन संपर्क, सूचना एवं प्रौद्योगिकी, खनन, लघु जल संसाधन, पंचायती राज, पीएचइडी, एससी-एसटी कल्याण, विज्ञान ए‌वं प्रावैधिकी, समाज कल्याण, गन्ना उद्योग, पर्यटन और परिवहन विभाग.
इनका खर्च 10 फीसदी या ज्यादा : जल संसाधन, नगर आवास एवं विकास, पथ निर्माण, उत्पाद एवं निबंधन, योजना एवं विकास, सामान्य प्रशासन, ऊर्जा, आपदा प्रबंधन और भवन निर्माण विभाग

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