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कल्पनाओं को अब आकार दे सकेंगे हाइस्कूलों के बच्चे
पटना : राज्य की हाइस्कूलों में जल्द ही ‘अटल टिंकरिंग योजना’ शुरू होने जा रही है. इसके तहत कक्षा 6वीं से 12वीं तक के बच्चे अपनी किसी तरह की कल्पना को मूर्तरूप दे सकेंगे. इनके लिए सभी चुनिंदा हाइस्कूल में अटल टिंकरिंग लैब तैयार की जायेगी, जहां बच्चे अपनी कल्पना या किसी नयी आइडिया को […]
पटना : राज्य की हाइस्कूलों में जल्द ही ‘अटल टिंकरिंग योजना’ शुरू होने जा रही है. इसके तहत कक्षा 6वीं से 12वीं तक के बच्चे अपनी किसी तरह की कल्पना को मूर्तरूप दे सकेंगे. इनके लिए सभी चुनिंदा हाइस्कूल में अटल टिंकरिंग लैब तैयार की जायेगी, जहां बच्चे अपनी कल्पना या किसी नयी आइडिया को प्रयोग के माध्यम से धरातल पर उतारने की सार्थक कोशिश करेंगे.
इस विशेष किस्म के लैब का तमाम खर्च सरकार वहन करेगी. केंद्र सरकार की तरफ से पूरे देश में शुरू होने जा रही इस योजना के शुरुआती चरण वित्तीय वर्ष 2017-18 के दौरान देशभर में एक हजार स्कूलों का चयन किया जायेगा. केंद्र सरकार ने इससे संबंधित पत्र राज्य के योजना एवं विकास विभाग को लिखा है. इसके अनुसार, बिहार को कहा गया है कि वह अपने स्तर पर ऐसे बेहतरीन हाइस्कूलों के चयन करने की प्रक्रिया शुरू कर दें, जिनमें टिंकरिंग लैब का निर्माण किया जा सके. जल्द ही इस योजना के अंतर्गत आवेदन करने की प्रक्रिया शुरू होने जा रही है. केंद्र ने पहले से तैयार करके रखने के लिए राज्य सरकार को कहा है.
इसके मद्देनजर राज्य योजना एवं विकास विभाग ने शिक्षा विभाग को स्कूलों के चयन की कवायद शुरू करने के लिए कहा है. ताकि इस योजना में बिहार के ज्यादा से ज्यादा स्कूलों का चयन हो सके. जो हाई स्कूल अच्छी स्थिति में हैं और जिनमें पहले से तमाम मूलभूत सुविधाएं मौजूद हैं, ऐसे स्कूलों को इसमें प्राथमिकता दी जा रही है. विभाग अपने स्तर पर ऐसे स्कूलों की सूची तैयार करने की कवायद शुरू करने जा रहा है. इस योजना में जिन स्कूलों का चयन होगा, उनमें टिंकरिंग लैब स्थापित करने के लिए प्रति लैब 50 लाख रुपये और इन्हें संचालित करने के लिए अलग से 50 लाख रुपये दिये जायेंगे. यानी प्रति लैब कुल एक करोड़ रुपये चुनिंदा स्कूलों को मिलेंगे.
केंद्र सरकार की तरफ से लैब की स्थापना और इनके संचालन के लिए अलग-अलग राशि दी जायेगी. चुनिंदा सभी स्कूलों के लिए पूरी राशि केंद्र ही देगा.
ऐसा होता है टिंकरिंग लैब
टिंकरिंग लैब आधुनिक शिक्षा प्रणाली में विज्ञान के विषय को ज्यादा रोचक बनाने और छात्रों को शोध के प्रति लालायित या प्रेरित करना इसका मकसद है. इस लैब में वे तमाम संसाधन मौजूद होते हैं, जिसकी मदद से कोई भी छात्र अपनी किसी तरह की कल्पना को साकार कर सकता है या उसका प्रोटोटॉइप या मॉडल तैयार कर सकता है.
वर्तमान में हाइस्कूलों में मौजूद रसायन या भौतिकी विज्ञान की सामान्य प्रयोगशालाओं से बिल्कुल अलग होगा. इसमें वैज्ञानिक प्रयोग के स्तर पर तमाम संसाधन मौजूद होते हैं. मसलन, कोई छात्र रोबोट, मिसाइल, सैटेलाइट जैसा कोई भी नया प्रयोग करना चाहता है, तो वह यहां आसानी से इसे हकीकत में बदल सकता है.
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