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मजदूरी में भेदभाव से बढ़ेगा मजदूरों का पलायन : श्रवण

मनरेगा मजदूरी निर्धारण में बिहार के साथ केंद्र का सौतेला व्यवहार पटना : केंद्र प्रायोजित मनरेगा योजना में बिहार के मजदूरों की दैनिक मजदूरी अन्य राज्यों की तुलना में कम निर्धारित की गयी है. इसे प्रदेश के मजदूरों का पलायन बढ़ेगा. केंद्र सरकार द्वारा राज्य में निर्धारित न्यूनतम मजदूरी भी मनरेगा योजना में निर्धारित नहीं […]

मनरेगा मजदूरी निर्धारण में बिहार के साथ केंद्र का सौतेला व्यवहार
पटना : केंद्र प्रायोजित मनरेगा योजना में बिहार के मजदूरों की दैनिक मजदूरी अन्य राज्यों की तुलना में कम निर्धारित की गयी है. इसे प्रदेश के मजदूरों का पलायन बढ़ेगा. केंद्र सरकार द्वारा राज्य में निर्धारित न्यूनतम मजदूरी भी मनरेगा योजना में निर्धारित नहीं की गयी है. इसके कारण राज्य सरकार को मनरेगा के लिए केंद्र द्वारा निर्धारित मजदूरी में अपने खजाने से राशि शामिल करनी होती है.
बिहार के साथ मनरेगा मजदूरी में हो रहे भेदभाव के खिलाफ ग्रामीण विकास एवं संसदीय कार्य मंत्री श्रवण कुमार ने केंद्र सरकार को पत्र भेजा है. साथ ही राज्य के साथ हो रहे इस भेदभाव को समाप्त करने की मांग की है. मंत्री श्रवण ने बताया है कि भारत सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष 2017–18 में बिहार के मनरेगा मजदूरों के लिए मजदूरी में मात्र एक रुपये की वृद्धि कर 168 रुपये निर्धारित की गयी है.
उन्होंने बताया कि दूसरे राज्यों के लिए केंद्र द्वारा निर्धारित मजदूरी का बिहार की मजदूरी से अंतर लगभग 100 रुपये का है. भारत सरकार ने मनरेगा की मजदूरी हरियाणा में 277 प्रतिदिन, चंडीगढ़ में 265 रुपये प्रतिदिन, केरल में 258 रुपये प्रतिदिन, गोवा में 240 रुपये प्रतिदिन, कर्नाटक में 236 रुपये प्रतिदिन और पंजाब में 233 रुपये प्रतिदिन निर्धारित की है. बिहार जैसे कृषि प्रधान, जनसंख्या बहुल, मैदानी राज्य जहां बेरोजगारों की बड़ी संख्या हैं, उसके लिए मात्र मनरेगा मजदूरी के लिए दैनिक 168 रुपये निर्धारित की गयी है, जो अनुचित है.
उन्होंने बताया कि बिहार सरकार द्वारा न्यूनतम मजदूरी अधिनियम 1948 के तहत पहली अप्रैल 2017 से अकुशल कृषि श्रमिकों के लिए न्यूनतम दैनिक मजदूरी 232 रुपये निर्धारित की गयी है. राज्य में निर्धारित मजदूरी एवं केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित मजदूरी में भी 64 रुपये का अंतर है. यह निर्धारित मजदूरी के एक तिहाई से भी अधिक है. राज्य सरकार द्वारा बिहार के मजदूरों को विगत वर्षों से अपने संसाधन से इस योजना में अतिरिक्त राशि उपलब्ध कराते हुए 177 रुपये प्रति मजदूरी मजदूरी दी जाती है. इसका असर राज्य के अन्य विकास कार्यों पर पड़ता है.
साथ ही राज्य द्वारा बिहार के मजदूरों के लिए निर्धारित मजदूरी 232 रुपये से कम मजदूरी के कारण मजदूरों के पलायन की संभावना बनी रहती है. केंद्र सरकार भाजपा शासित राज्यों में मनरेगा मजदूरी गोवा में 240 रुपये , कर्नाटक में 236 रुपये , महाराष्ट्र में 201 रुपये, उत्तर प्रदेश एवं उतराखंड में– 175 रुपये और मध्यप्रदेश में 172 रुपये दी जाती है. यह बिहार के साथ केंद्र का सौतेलापन साफ दिखता है.
उन्होंने बताया कि मई, 2017 में प्रधानमंत्री को तथ्यों से अवगत कराते हुए बिहार में मनरेगा मजदूरों के लिए हरियाणा की तरह 277 रुपये अथवा बिहार सरकार द्वारा न्यूनतम मजदूरी न्यूनतम मजदूरी 232 निर्धारित करने का आग्रह किया. पिछले वर्ष गुवाहाटी में आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में भी अन्य बिन्दुओं के साथ मनरेगा मजदूरों के लिए समान मजदूरी अथवा राज्य में निर्धारित न्यूनतम मजदूरी के अनुरूप मजदूरी निर्धारण करने का सुझाव दिया था.

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