पटना : पशुपालन से गरीबी दूर करने की योजना राज्य में दम तोड़ रही है. लोग चाह कर भी सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं उठा पाते हैं. नाबार्ड के माध्यम से पशुपालन के लिए मिलने वाली मदद में 25 प्रतिशत तक सब्सिडी का प्रावधान है. अनुसूचित जाति के मामले में यह सब्सिडी 33.33 प्रतिशत है. पशुपालन के लिए बैंकों को सब्सिडी की भरपाई नाबार्ड द्वारा की जाती है.
समीक्षा में मिली चौंकानेवाली जानकारी : हाल ही में पशुपालन विभाग ने मुरगी पालन, सूअर पालन और बकरी पालन के प्रोजेक्ट के लिए कर्ज के लिए बैंकों को सौंपे आवेदनों की स्थिति की समीक्षा की. समीक्षा में चौंकाने वाली जानकारी मिली. राज्य में सूअर पालन के लिए बैंकों को सौंपे एक भी आवेदनकर्ताओं को बैंक ने कर्ज नहीं दिया. पशुपालन विभाग में समीक्षा के दौरान एक प्रजेंटेंशन में बताया गया कि पशुपालन विभाग ने सूअर पालन के लिए हर तरह से जांच-परख के बाद बैंक को 36 प्रोजेक्ट सौंपा था. मांस की आपूर्ति को बेहतर बनाने और गरीबी दूर करने के लिए राज्य सरकार ने राज्य में व्यापक स्तर पर सूअर पालन शुरू कराने की तैयारी की थी. मुरगी पालन की योजना का भी यही हाल है.
761 में से महज 27 प्रोजेक्ट स्वीकृत : पशुपालन विभाग ने राज्य भर से मिले आवेदनों की जांच कर बैंक को कुल 761 प्रोजेक्ट बैंक को सौंपा. बैंक ने सिर्फ 27 प्रोजेक्ट के लिए ही ऋण मुहैया कराया. इसके लिए नाबार्ड ने बैंक को सब्सिडी मद की राशि के रूप में 42 लाख 67 हजार रुपये निर्गत भी कर दिया. इसी प्रकार बकरी पालन के लिए विभाग ने कुल 374 प्रोजेक्ट बैंक को सौंपा, पर बैंक ने सिर्फ दो प्रोजेक्ट को ही स्वीकृत किया.
जमीन पर नहीं उतर पा रही योजना : विभाग ने समीक्षा में कहा है कि बैंक पशुपालन से संबंधित प्रोजेक्ट को गंभीरता से नहीं ले रही है. प्रोजेक्ट के लिए जमीन संबंधी दस्तावेज, संयुक्त रूप से प्रोजेक्ट के लिए संयुक्त बैंक खाता नहीं होने और बैंक द्वारा निर्धारित अवधि में बैंक द्वारा आवेदन को स्वीकृत नहीं करना बड़ी समस्या है. मुरगी पालन के लिए बीमा नहीं होना, प्रोजेक्ट के बारे में लोगों के बीच प्रचार-प्रसार की कमी के कारण भी राज्य में गरीबों की इस योजना को जमीन पर नहीं उतारा जा रहा है.