महीनों से सड़क पर खड़े वाहनों को नहीं हटा रहे प्रशासनिक अधिकारी
नवादा, सदर : शहर से जाम की समस्या को हटाने को लेकर प्रशासन की ओर से चलाये जा रहे अभियान के बाद भी सफलता नहीं मिल रही है. पहले की तरह ही रोज जाम सड़क जाम की समस्या से लोगों को दो-चार होना पड़ रहा है. मेन रोड हो या इंदिरा चौक सभी जगह पहले की तरह जाम लग रहा है. प्रशासन के द्वारा किये गये कुछ मार्गों को वन वे का लाभ जरूर मिल रहा है़
शहर के कई स्थानों पर सड़क पर ही मकान बनाने का सामान गिराये जाने के कारण भी लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इंदिरा चौक से पोस्टमार्टम रोड में सुमंगलम कम्युनिटी हाल के पास पिछले छह माह से भी अधिक समय से सड़क पर जेसीबी और हाइवा खड़ा कर दिये जाने से लोगों को परेशानी हो रही है़ रात को अक्सर ही लोग इससे टकराकर जख्मी हो रहे हैं. स्थानीय लोगों द्वारा इस संबंध में प्रशासन को कई बार सूचना देने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं होने पर इसे नियति मान बैठा है़ इसी को देखकर दुकानदार भी सड़क पर अतिक्रमण किये हुए हैं.आधे से अधिक सड़क पर वाहन व जेसीबी खड़ा रहने से वाहनों को पार करने में भी परेशानी होती है. स्कूली वाहन भी फंस जाते हैं.
पुरानी बाजार व गोला रोड की स्थिति बदतर
प्रशासन की ओर से शहर के कई मार्गों से अतिक्रमण हटाने जा प्रयास किया गया, परंतु गोला रोड और पुरानी बाजार से कभी भी अतिक्रमण के खिलाफ अभियान नहीं चलाये जाने से स्थिति बदतर बनी हुई है. साइकिल तो दूर पुरानी बाजार में पैदल चलना भी जंग जीतने के समान है़ सड़क पर भी दुकान का सामान, बाइक लगी होती है़
प्रशासन की ओर से शहर को अतिक्रमण मुक्त करने का प्रयास किया जा रहा है.लोगों से भी सहयोग लिया जा रहा है. पुरानी बाजार व गोला रोड में भी अतिक्रमण के खिलाफ अभियान चलेगा.
राजेश कुमार, सदर अनुमंडल पदाधिकारी
लोगों में जागरूकता की कमी मुख्य वजह
प्रशासन की ओर से किये जा रहे प्रयास का अतिक्रमणकारियों द्वारा सहयोग नहीं किया जा रहा है. इधर हटाया जा रहा है तो कुछ समय बाद फिर से अतिक्रमणकारी पांव पसार रहे हैं.
प्रजातंत्र चौक से लेकर खुरी नदी पुल पार तक यही स्थिति कायम है. सबसे ज्यादा समस्या यह है कि अतिक्रमण कारी के खिलाफ कोई बोलता है तो सारे अतिक्रमणकारी उसी से उलझ जाते हैं.15 महीने पहले लाल चौक पर अतिक्रमण हटाने गयी पुलिस और अंचलाधिकारी को अतिक्रमणकारियों ने खदेड़ दिया था. इस मामले में प्रशासन का कोई भी कारगर पहल नहीं होने से कुछ दिनों तक इसके खिलाफ अभियान ही नहीं चला.