विशाल कुमार
नवादा : लड़कियों (आधी आबादी) के शिक्षित हुए बगैर समाज का सर्वागीण विकास नहीं हो सकता. आधी आबादी की शिक्षा के लिए जिले में संस्थानों की भी कमी है. लड़कियों के लिए सरकारी कॉलेज के नाम पर सिर्फ एक राजेंद्र मेमोरियल वीमेंस (आरएमडब्ल्यू) कॉलेज ही है. जिले में लड़कियों को इंटर के बाद उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए काफी सोचना पड़ता है.
जिले भर में हाइ स्कूलों को इंटर स्तर तक की मान्यता देकर पढ़ाई की व्यवस्था की गयी है. लेकिन, इन प्लस टू स्कूलों में संसाधनों व शिक्षकों की कमी के कारण पढ़ाई सिर्फ डिग्री पाने का साधन बन कर रह गया है. सह शिक्षा के तहत सरकारी व प्राइवेट कॉलेजों में भी लड़कियां अध्ययन कर रही हैं, लेकिन लड़कों के मुकाबले में इनकी संख्या काफी कम है.
चुनिंदा विषयों की होती है पढ़ाई
जिले में लड़कियों के लिये उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए एक मात्र आरएमडब्ल्यू कॉलेज है. यहां स्नातक तक आर्ट्स व साइंस के चुनिंदा विषयों में ही पढ़ाई की व्यवस्था है. यहां भी शिक्षकों व संसाधनों की कमी के कारण नियमित कक्षाएं नहीं चल पाती हैं. फिलहाल सिर्फ 11 प्राध्यापकों के भरोसे लगभग साढ़े तीन हजार लड़कियों की शिक्षा की व्यवस्था इस कॉलेज में है. जिले में सह शिक्षा के तहत अन्य तीन सरकारी कॉलेज हैं, इनमें कन्हाई लाला साहू (केएलएस) कॉलेज नवादा, त्रिवेणी सत्यभामा (टीएस) कॉलेज हिसुआ व एसएन सिन्हा कॉलेज वारिसलीगंज. इसके अलावा जिले में दो निजी महिला कॉलेज भी है, जिनमें से एक महिला कॉलेज वारिसलीगंज व दिलीप दशरथ महिला कॉलेज हिसुआ शामिल है.
साथ ही जिले के अन्य प्राइवेट कॉलेज जो मगध विश्वविद्यालय से मान्यताप्राप्त है, उनमें भी लड़कों व लड़कियों की एक साथ पढ़ाई की व्यवस्था है. इसमें नवादा में सीताराम साहू व एसकेएम कॉलेज तथा कृषक कॉलेज धेवधा पकड़ीबरांवा शामिल है. इसके बावजूद जिले में काफी संख्या में लड़कियां उच्च शिक्षा प्राप्त करने से वंचित रह जाती हैं.