डैम में बरसात का पानी भरने से रास्ता हुआ बंद
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जंगली क्षेत्र के लोगों का रजौली से टूटा संपर्क
डैम में बरसात का पानी भरने से रास्ता हुआ बंद नाव से डैम पार कर पहुंचते हैं मुख्य सड़क पर नाव डूबने से दो बार हो चुकें हैं हादसे रजौली : रुक-रुक कर हो रही बारिश से हरदिया डैम में जलस्तर बढ़ जाने से जंगली क्षेत्र के लोगों की समस्या बढ़ गयी है. अनुमंडल के […]
नाव से डैम पार कर पहुंचते हैं मुख्य सड़क पर
नाव डूबने से दो बार हो चुकें हैं हादसे
रजौली : रुक-रुक कर हो रही बारिश से हरदिया डैम में जलस्तर बढ़ जाने से जंगली क्षेत्र के लोगों की समस्या बढ़ गयी है. अनुमंडल के जंगली क्षेत्र में लगभग दो दर्जन से अधिक गांवों में लोग रहते हैं. जंगली क्षेत्र के लोग अपनी दैनिक उपयोग की चीजें लेने के साथ डॉक्टरी उपचार के लिए रजौली आते हैं. गरमी के दिनों में डैम का पानी सूख जाने से आवागमन में सुविधा होती है. लेकिन, बरसात में इन गांवों का संपर्क रजौली बाजार से टूट जाता है.
नाव का लगता है 60 रुपये किराया : अचानक डैम में पानी भरने से रास्ता का संपर्क टूट गया है. इससे ग्रामीणों के समक्ष विकट समस्या उत्पन्न हो गयी है. जंगली क्षेत्र में रह रहे जनजातियों के दैनिक उपयोग का सामान लाने में बहुत परेशानी हो रही है. रजौली आने के लिए इनको नाव का सहारा लेना पड़ता है, इसका किराया प्रति व्यक्ति 60 रुपये होता है. ग्रामीण बताते हैं कि उनकी प्रति दिन की कमाई दो सौ से ढ़ाई सौ रुपये होती हैं. इसमें 60 रुपये नाव का भाड़ा देना बहुत बड़ी परेशानी है. अचानक किसी की तबीयत खराब होने पर जान जाने का खतरा बढ़ जाता है. प्रसव कराने या बीमार लोगों को मुख्यालय तक जाने के लिए पहले से व्यवस्था करनी पड़ती है.
बाजार पर भी पड़ता है इसका असर : फुलवरिया डैम में पानी भरने पर बाजार के व्यवसाय पर भी असर पड़ता है. 10 हजार की आबादी वाले गांवों के लोगों का आना-जाना कम हो जाता है. इससे बाजार में सामान की होनेवाली खरीदारी काफी कम जातीहै. बाजार में मंदी का दौर बन जाता है. बाजार की रौनक घट जाती है. व्यापार पर बुरा असर पड़ता है. खास कर रजौली हाट पर काफी बुरा असर देखने को मिलता है. लोग सप्ताह में एक दिन आकर अपने आवश्यकताअनुसार रजौली हाट पर खाने का सामान या कपड़ा आदि की खरीदारी करते हैं. लेकिन, डैम में पानी भरने से सब बंद हो गया है.
बीमार होने पर होती है परेशानी : बरसात के मौसम में लोगों के बीमार पड़ने पर भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है. खास कर इमरजेंसी होने पर इनको जान तक गंवानी पड़ती है. लोग बरसात के मौसम में बीमारी से जूझते हैं. इस दौरान झोला छाप डॉक्टर से लोग इलाज कराने को मजबूर होते हैं. किसी महिला को इमरजेंसी होने पर पहाड़ी के रास्ते किसी प्रकार रास्ता बनाकर मरीज को खाट पर लेटा कर लोग डॉक्टर के पास ले जाते हैं. इसके लिए लोगों को चार से पांच घंटे पैदल चलना पड़ता है. इससे कई बार मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देता है. डैम के पार बसे गांवों में लोग आज भी आदि मानव की तरह जीवन जी रहे हैं. रास्ते की कमी से हर साल बरसात के मौसम में महिला, पुरुष और बच्चे की मौत बीमारियों की चपेट में आने से हो जाती है.
सरकारी सूचना का भी है अभाव : बरसात के मौसम में सरकार की तरफ से किसी प्रकार की सूचना उपलब्ध नहीं करायी जाती है. डैम में पानी भरने के पहले भी लोगों का अलर्ट नहीं किया जाता है. सरकारी सूचना के अभाव में लोग पहले से खाने पीने या जरूरी सामान को भंडारित करके नहीं रख पाते हैं.
नाव की सवारी है जानलेवा
ग्रामीण बताते हैं कि लोग जान जोखिम में डाल कर नाव से डैम को पार करते हैं. कई बार डैम में नाव पलट जाने से कई लोगों की जान चली गयी है. लोग कामचलाऊ नाव बना कर अपने रोजमर्रे की जरूरतों के लिए शहर जाते हैं, ऐसे में नाव की सवारी भगवान भरोसे होती है. नाव पलटने पर किसी प्रकार की जीवन रक्षक सुविधा भी ग्रामीणों के पास उपलब्ध नहीं है. इस दिशा में किसी प्रकार की प्रशासनिक पहल भी नहीं की गयी है.
इससे क्षेत्र के लोगों में काफी रोष हैं.फुलवरिया डैम के पार 10 छोटे-बड़े गांवों का संपर्क टूट जाता है. भानेखाप, सिंगर, मरमो, कुंभियातरी, विशनपुर, सुअरलेटी, परतैनिया, पीपरा पिछली, जमुनदाहा और कशतरी गांवों की कुल आबादी 10 हजार है. पूरी आबादी फुलवरिया डैम में पानी आने के बाद रजौली बाजार से अलग पड़ जाती है. पानी कम रहने पर लोग डैम के किनारे बनी पगडंडी के सहारे आते-जाते हैं. लेकिन, पानी आ जाने के बाद नाव का सहारा लेते है.
सड़क बन जाने से दूर हो जाती परेशानी
रास्ता नहीं होने से परेशानियों का सामना करना पड़ता है. 10 गांवों के लोगों को बरसात के दिनों में बाकी दुनिया से कट जाना पड़ता है. सरकारी पहल करके कम से कम रास्ता बन जाता तो दिक्कत नहीं होती.
जीतन राजवंशी, ग्रामीण
हमलोग गरीब परिवार से हैं. हमलोग के पास उतना रुपया नहीं है कि हम उच्च शिक्षा के लिए कहीं भी जा कर डेरा लेकर पढ़ सकें. उच्च शिक्षा के लिए स्कूल जाना भी चाहते हैं. लेकिन, बरसात के मौसम में फुलवरिया डैम में पानी भर जाने के कारण रास्ता बंद हो जाता है. नाव के सहारे रोज जाना संभव नहीं है. हमारे गांव तक सड़क का निर्माण कब होगा पता नहीं.
विपिन कुमार, छात्र
कई वर्षों से विधायक जी को वोट देते हैं. उनके लोग आकर कहते हैं कि अबकी बार तोहनी के रोड बना देवो. लेकिन, आज तक हमनी के रोड कोई भी विधायक, मुखिया नय बनवैलें. अब हम कभी भी भूल के भी वोट न देवे. हमनी के रास्ता न रहे से कितना बरसात में दिक्कत होवै है.
मनोज राजवंशी, ग्रामीण
बरसात के मौसम में रास्ता बंद हो जाता है. इससे बीमार पड़ने पर भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है. इमरजेंसी होने पर नाव या पहाड़ी के रास्ते होते हुए रजौली बाजार या नवादा जाना पड़ता है. इससे चार से पांच घंटे का समय लग जाता है. रास्ता में कभी भी कुछ भी हो सकता है. सरकार को रोड बनवा देना चाहिए. पिछले विधानसभा चुनाव में हम लोग ने विरोध भी किया था. लेकिन, उसका कोई भी असर नहीं दिख रहा है.
मुहम्मद फकरू, ग्रामीण
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