हिसुआ : हिसुआ-गया पथ एनएच-82 पर स्थित तिलैया नदी पुल काफी जर्जर स्थिति में रहने के कारण पुल को कई सालों से भारी वाहनों के आवागमन के लिए बंद कर दिया गया है. वाहनों का आवागमन अस्थायी डायवर्सन से काफी दिनों तक हुआ. स्थायी डायवर्सन भी बना था, लेकिन बेहतर नहीं बनाये जाने की वजह से जल्द ही बेकार हो गया. वर्ष 2015 के बरसात में डायवर्सन बह भी गया और आम यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा. अभी फिर से नया डायवर्सन बना है, लेकिन डायवर्सन कम ऊंचाई की बनायी गयी है.
नदी तल से पुल के अनुपात में काफी सटा हुआ है. पानी निकासी के लिए कम व्यास वाले मोटे सीमेंट पाइप लगाये गये हैं, जो उफनने पर पानी का समुचित निकासी नहीं कर पायेगा. लगभग एक दशक से यह पुल परेशानी का सबब बना हुआ है. 1932 में कुमार धुर्वी कंपनी द्वारा बना यह पुल काफी जर्जर है.
पुल को भारी वाहनों के आवागमन के लिए लगभग छह साल पहले ही वर्जित कर दिया गया था. लोहे के बैरियर लगते रहे, लेकिन उस बैरियर को भी तोड़ कर वाहनों का आवागमन शुरू हो जाता था. फिलवक्त फिर से पुल के दोनों मुहाने पर लोहे का बैरियर बना दिया गया है, जिससे केवल छाेटे वाहन गुजर सकते हैं. लेकिन बैरियर की नींव पुख्ता नहीं बनायी गयी है, जिससे रोक का खंभा कभी भी गिर सकता है.
फोरलेन बनने के पेच में फंसा पुल निर्माण गया-हिसुआ-बिहार फोरलेन बनने के पेच में पुल का निर्माण फंसा हुआ है. रोड डेपलपमेंट काॅरपोरेशन फोरलेन निर्माण के साथ ही पुल बनने की जानकारी देता रहा, लेकिन सालों गुजर गये. लेन का निर्माण शुरू नहीं हुआ और फजीहत आम यात्री व पर्यटक झेलते रहे. बौद्ध सर्किट से जुड़े होने की वजह से इस पथ से पर्यटकों का आना-जाना भी खूब लगा रहता है. यही पथ नवादा, नालंदा, शेखपुरा आदि को गया से जोड़ता है. माल ढुलाई व आयात-निर्यात की वजह से भी यह पथ काफी व्यस्त रहता है. फोरलेन बनने की कवायद काफी समय से चल रहा है. इधर फोरलेन की भूमि अधिग्रहण व उसकी राशि रैय्यतों को देने का काम शुरू हुआ है. क्या कहते हैं अधिकारी- फोरलेन बनने के साथ ही इसके बनने की उम्मीद है. जापान की जायका कंपनी के सहयोग से फोरलेन बनना है और उसके साथ ही पुल आदि का निर्माण कराया जायेगा. हिसुआ क्षेत्र में फोरलेने के लिए भूमि आदि की राशि देने का काम चल रहा है.पिंटू कुमार, सीओ