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खुरी नदी के लिए जल संकल्प सत्याग्रह

अच्छी पहल. शहर की लाइफलाइन को बचाने के लिए जल पुरुष सहित सैकड़ों लोग आये आगे, भारी उत्साह हिमगिरी से निकल कर नदियां अविरल होकर धरती की प्यास बुझाते हुए गुजरे. इसके लिए जल सुरक्षा अधिकार सुनिश्चित करना होगा. नदियों के सीमांकन व अतिक्रमणमुक्त करने का अभियान चलाने के लिए जिला में शंखनाद किया गया. […]

अच्छी पहल. शहर की लाइफलाइन को बचाने के लिए जल पुरुष सहित सैकड़ों लोग आये आगे, भारी उत्साह

हिमगिरी से निकल कर नदियां अविरल होकर धरती की प्यास बुझाते हुए गुजरे. इसके लिए जल सुरक्षा अधिकार सुनिश्चित करना होगा. नदियों के सीमांकन व अतिक्रमणमुक्त करने का अभियान चलाने के लिए जिला में शंखनाद किया गया. सैकड़ों की संख्या में जुटे लोगों ने खुरी नदी के तट पर बैठ कर संकल्प लिया कि नदी को बचाने के लिए एकजुट होकर काम करेंगे.
नवादा (नगर) : नमामि गंगे मंत्र की गूंज व पारंपरिक रूप से नदी की पूजा-अर्चना व स्तुति के साथ रविवार को जल संकल्प सत्याग्रह शुरू किया गया. खुरी नदी के तट पर शुरू हुए सत्याग्रह को लेकर लोगों में जबरदस्त उत्साह दिखा. खुरी नदी अविरल होकर प्रवाहित हो सके, इसके लिए यह अभियान शुरू किया गया है. सुबह से बुधौल गांव में खुरी नदी के किनारे लोगों की भीड़ जुटने लगी. जल पुरुष के रूप में ख्याति पाये रमण मैग्सेसे पुरस्कार विजेता राजेंद्र सिंह जैसे ही नदी तट पर पहुंचे, लोगों ने बढ़-चढ़ कर उनका स्वागत किया.
लेकिन खुरी नदी के बदहाल स्थिति को देख कर जल पुरुष मर्माहत दिखे. आहर पाइन बचाओ अभियान के बैनर तले आयोजित सत्याग्रह में जुटे लोगों ने चिंता जतायी कि जिस प्रकार से नदी को अतिक्रमण का शिकार बनाया गया है. इससे इसके अस्तित्व ही खतरे में है. आजादी के बाद से अब तक नदियों का सीमांकन नहीं किया गया है.
यही वजह है कि अतिक्रमण के बाद होनेवाली कार्रवाई में लोग कमी का लाभ उठाकर कोर्ट में जीत भी जाते हैं. नदी को पुनर्जीवन देने के लिए शासन, प्रशासन के साथ ही जनसामान्य किस रूप में अपनी भूमिका निभाये इसके लिए भी तैयार होने का आह्वान किया गया.
बाढ़-सुखाड़ से मुक्ति के लिए है जरूरी : नदी, आहर, पइन बचाने की जरूरत स्वयं के लिए जरूरी है. इकोलॉजी व इंवायरमेंट को बचाने के लिए जल सुरक्षा करनी होगी. बाढ़ सुखाड़ से मुक्ति के लिए जरूरी है पानी, मिट्टी व हरियाली को बचाया जाये. नदी को बेहतर बनाने के लिए सत्याग्रह में शामिल लोगों ने संकल्प लिया. नदी की सुरक्षा के साथ ही जल संसाधनों को कैसे बेहतर सदुपयोग हो इसके लिए पर्यावरण विदों ने मिल कर चर्चा की. नदी पर अतिक्रमण, प्रदूषण व शोषण को रोकनेवाली नीति धरातल पर मूर्त रूप देने पर बल दिया गया. नदी का जल खेती के साथ वन संपदा व हरियाली को बढ़ावा देने में कैसे कारगर हो यह योजना भी बनायी गयी.
अभियान के तौर पर चलेगा कार्यक्रम : कार्यक्रम के प्रदेश संयोजक एमपी सिन्हा ने कहा कि खुरी नदी उदगम से लेकर अपने समागम तक निर्वाध रूप से प्रवाहित हो इसके लिए अभियान चलाया जायेगा. जिले में दो दिनों तक हुए जल पुरुष के कार्यक्रम ने समाज व प्रशासन की आंखें खोली है. कार्यक्रम में राज्य किसान आयोग के सदस्य मृत्युंजय सिंह, बांका के योगेंद्र यादव, जमुई के भावानंद, कैमूर के डाॅ अजय, जहानाबाद के सतेंद्र शांडिल्य, पटना के विनोद ओहदार, समाजसेवी रेणु सिन्हा, सेखोदेवरा आश्रम के प्रधानमंत्री अरविंद सिंह, स्थानीय उदय सिंह, प्रभाकर जी, वीणा मिश्रा, शंभु विश्वकर्मा, ब्रहम्देव प्रसाद सहित सैकड़ों सामाजसेवी व पर्यावरणविद के अलावे स्थानीय लोग भी बड़ी संख्या में मौजूद थे.

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