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बिजली की आंख-मिचौनी से लोग बेहाल हैं. पिछले तीन-चार दिनों से बिजली कटौती के कारण लोगों को तीन से चार घंटे बिजली ही मुश्किल से मिल पा रही है. तकनीकी खराबी व कम आपूर्ति लोगों के लिए आफत बनी हुई है. उमस भरी गरमी के कारण लोग परेशान हैं. बिजली की कमी से पेयजल संकट […]

बिजली की आंख-मिचौनी से लोग बेहाल हैं. पिछले तीन-चार दिनों से बिजली कटौती के कारण लोगों को तीन से चार घंटे बिजली ही मुश्किल से मिल पा रही है. तकनीकी खराबी व कम आपूर्ति लोगों के लिए आफत बनी हुई है. उमस भरी गरमी के कारण लोग परेशान हैं. बिजली की कमी से पेयजल संकट उत्पन्न हो गयी. लोगों को मोबाइल चार्ज करने में भी फजीहत उठानी पड़ रही है.
नवादा (नगर) : 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराने का दावा पूरी तरह से पूरे जिले में फेल हो गया है. पिछले कुछ दिनों से बिजली आपूर्ति में कमी और तकनीकी खराबी के कारण लोगों को तीन से चार घंटे बिजली ही मुश्किल से मिल पा रही है. गरमी के इस मौसम में बिजली की उपलब्धता नहीं रहने के कारण जिला मुख्यालय सहित ग्रामीण क्षेत्रों के लोग मुश्किल में रहने को विवश हैं.
विद्युत विभाग उपलब्धता में कमी और तकनीकी खराबी की बात कह कर अपना पल्ला झाड़ ले रहा है. जबकि, तकनीकी खराबी को दूर करने की दिशा में कोई सार्थक पहल नहीं दिखती है. बिजली नहीं रहने के कारण बच्चों व बुजुर्गों को सबसे अधिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. बिजली के आने का हालत यह है कि पूरी रात में दो से तीन बार केवल झलक दिखा कर बिजली कट रही है. खास कर एक नंबर फीडर व दो नंबर फीडर से जुड़े उपभोक्ताओं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. बिजली की कम उपलब्धता के कारण जहां आपूर्ति काफी कम हो रही है, वहीं तकनीकी खराबी इस उपलब्ध बिजली को भी सप्लाइ नहीं कर पा रही.
जरूरत से कम मिल रही बिजली
जिला में सुचारु रूप से बिजली व्यवस्था उपलब्ध कराने के लिए 65 से 70 मेगावाट बिजली की आवश्यकता है. लेकिन यह उपलब्धता घट कर 15 से 20 मेगावाट रह गयी है. जिले को बिजली की कम उपलब्धता के कारण शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में रोटेशन के आधार पर बिजली उपलब्ध करानी पड़ रही है. यही कारण है कि लोग इस उमस भरी गरमी में भी लाइट नहीं रहने के कारण बेहाल हो रहे हैं. जितनी बिजली उपलब्ध हो रही है. इसका भी इस्तेमाल सही से नहीं हो पा रहा. तकनीकी खराबी आपूर्ति को बेहतर बनाने में सबसे बड़ी बाधा बन रही है.
पानी के लिए परेशान हो रहे लोग
बिजली की कमी के कारण इलेक्ट्रोनिक उपकरण बेकार साबित हो रहे है. पानी भरने के लिए मोटर चलाने तक का समय लोगों को नहीं मिल पा रहा है. साथ ही फीडर नंबर एक व दो से जुड़े बाजार क्षेत्र में तकनीकी खराबी के कारण भी बिजली कम मिल पा रही है. बिजली आने पर ओवर लोड के कारण लोगों को लो वोल्टेज का सामना भी करना पड़ रहा. जिस समय बिजली आती है उस समय एक साथ लोग पानी भरने के लिए मोटर चलते हैं. इसका असर यह हो रहा है कि ट्रांसफॉर्मर या पावर सब स्टेशन में फोल्ट आ जा रहा है. पानी के लिए लोग भटकते दिखी रहे है. हद तो यह कि मोबाइल चार्ज करने के लिए लोग अब जेनेरेटर का सहारा ले रहे हैं.
पावर सब स्टेशन से होती है गड़बड़ी
जिला मुख्यालय के शहरी क्षेत्रों में ओल्ड पावर सब स्टेशन से बिजली की आपूर्ति की जाती है. लेकिन फीडर नंबर एक व दो में ओवर लोडेड के कारण अक्सर शट डाऊन व फोल्ट की समस्या आते रहती है. पावर सब स्टेशन को रोटेशन के आधार पर बिजली मिल रही है. बिजली मिलने के बाद इसकी सप्लाइ के लिए जब पावर दिया जाता है, तो अचानक फोल्ट आने की समस्या हो जाती है. यही कारण है कि अधिकतर समय फोल्ट को ठीक करने में ही बिजली बरबाद हो रही है.

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