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छठ घाटों की सफाई अंतिम चरण में

छठ घाटों की सफाई अंतिम चरण में वारिसलीगंज लोक आस्था का चार दिवसीय छठ पूजा रविवार को नहाय-खाय के साथ शुरू हो जायेगा. सूर्य उपासना के इस प्रसिद्ध पर्व को देखते हुए छठ घाटों की साफ-सफाई का कार्य युद्ध स्तर पर की जा रही है. छठ पूजा के लिए पूजन सामग्री की खरीदारी की जा […]

छठ घाटों की सफाई अंतिम चरण में वारिसलीगंज लोक आस्था का चार दिवसीय छठ पूजा रविवार को नहाय-खाय के साथ शुरू हो जायेगा. सूर्य उपासना के इस प्रसिद्ध पर्व को देखते हुए छठ घाटों की साफ-सफाई का कार्य युद्ध स्तर पर की जा रही है. छठ पूजा के लिए पूजन सामग्री की खरीदारी की जा रही है. पवित्रता की इस महत्ता वाले पर्व को लेकर घर की साफ-सफाई की जा रही है. शहर के प्रसिद्ध घाट सूर्य मंदिर, तालाब व मटकोरवा घाट में व्रती नहाय- खाय से लेकर अर्घ देने का अनुष्ठान संपन्न करते हैं.प्रत्यक्ष देवता हैं सूर्य सूर्य को आधुनिक युग का प्रत्यक्ष देवता माना जाता है. कहा जाता है कि कश्यप ऋषि की पत्नी देवमाता अदिति से उत्पन्न पुत्र ही आदित्य हैं. उनके अनेक नाम हैं. ये प्रत्यक्ष देवता सतरंग में रंजीत रश्मि रथरूपी घोड़े पर सवार होकर ज्योति चक्र के संचालक हैं. उनकी कृपा से दिन-रात व ऋतु परिवर्तन होता है. असत्य से सत्य की ओर, अंधकार से प्रकाश की ओर एवं मृत्यु से अमरत्व की कामना सूर्य से की जाती है.सूर्य उपासना का महत्व पुराणों में वर्णित है कि जो उपासक सूर्य की उपासना करते हैं. वे निहाल हो जाते हैं. आनंद, सुख, समृद्धि के दाता व आरोग्यता के प्रतीक है. उनकी उपासना से कुष्ठ रोग समाप्त हो जाता है. पौराणिक कथा के अनुसार, मनु के पुत्र प्रियव्रत सूर्य की उपासना कर पुत्रवान हुए थे. उनकी पत्नी संज्ञा और पुत्र शनि है. द्वादश आदित्य के नाम से विख्यात सविता रूप उन्हीं का है. ऐसी मान्यता है कि जब तक पृथ्वी रहेगी तब तक सूर्य की उपासना लोग करेंगे.

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