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ठंड में पशुओं की हिफाजत जरूरी

ठंड में पशुओं की हिफाजत जरूरी पशुपालन विभाग इलाज को लेकर कर रहा तैयारीपशुओं को बचाव के टीके लगाने व गरम रखने का करें उपायचारे का रखें विशेष ध्यानफोटो-2प्रतिनिधि, नवादा (नगर)बदलते मौसम के कारण पशुओं की देखभाल में सतर्कता बरतने की जरूरत है. ठंड की आहट शुरू होने के साथ ही दुधारू पशुओं में कई […]

ठंड में पशुओं की हिफाजत जरूरी पशुपालन विभाग इलाज को लेकर कर रहा तैयारीपशुओं को बचाव के टीके लगाने व गरम रखने का करें उपायचारे का रखें विशेष ध्यानफोटो-2प्रतिनिधि, नवादा (नगर)बदलते मौसम के कारण पशुओं की देखभाल में सतर्कता बरतने की जरूरत है. ठंड की आहट शुरू होने के साथ ही दुधारू पशुओं में कई प्रकार की बीमारियां शुरू हो जाती है. सर्दी व निमोनिया जैसे बीमारियों से बचाने के लिए पशुओं को रात में खुले स्थान में रखने से बचना चाहिए. साथ ही इस समय होने वाली बीमारियों से बचाव के लिए कुछ टीके भी जरूर लगावाने चाहिए. पशुपालन विभाग में पशुओं की देख-भाल के लिए डॉक्टर व दवा की उपलब्धता होने का दावा किया जा रहा है. लेकिन, डॉक्टरों की कमी व सही से इलाज व दवा की व्यवस्था नहीं होने के कारण पशुपालकों द्वारा बराबर भी इस संबंध में शिकायत की जाती है. तापक्रम में अचानक कमी होने का असर साफ तौर से देखा जा सकता है. पशुओं को सर्दी से बचाने के लिए रात में पशुओं को खुले में नहीं बांधे. पशुओं के बैठने वाले स्थानों पर बिछावन की व्यवस्था करें व उसे बिछावन ओढ़ाने की तैयारी भी पशुपालकों को करनी चाहिए. पशुओं का बिछावन सूखा रहे इसके लिए प्रतिदिन इसे साफ कर धूप में सूखने दें. टीका लगाना जरूरीमुहपका, खुरपका, गलघोंटू, बकरी चेचक, ठप्पा, फड़किया जैसे रोगों से बचाव के लिए टीके लगाये जाने चाहिए. यदि अभी तक टीके नहीं लगे हैं, तो डॉक्टरों से सलाह लेकर पशुओं को इन बीमारियों से बचने वाले टीके लगाये जाने चाहिए. थनैला रोग भी इस मौसम में अधिक होता है. इससे बचाव के लिए साफ सफाई जरूरी है. इस मौसम में पशुओं को परजीवी नाशक दवा या घोल दिया जाना चाहिए. यह सभी पशु चिकित्सा केंद्रों में उपलब्ध है.लवन मिश्रण युक्त खिलायें चारा पशुओं को जाड़े की मौसम में लवण मिश्रण युक्त चारा खिलाना चाहिए. हरे चारे के साथ ही सूखे कुट्टी की व्यवस्था पशुपालकों को करना चाहिए. जाड़े में चारा की कमी न हो इसके लिए सही समय पर चारे की खरीद फरोक्त कर संग्रहण करने पर भी जोड़ दिया जाना चाहिए. इस समय पशुपालक किसान को जानवारों को खिलाने के लिए खेतों में कई प्रकार के घास भी लगाये जा सकते हैं. इसमें मकई, जनेरा, वरसिम आदि प्रजाति के घास महत्वपूर्ण है. वरसिम प्रजाति का घास बड़ी आसानी से कम समय में हो जाता है. व इससे दूध भी काफी बढ़ता है. किसानों को ऐसे चारा खिलाने पर जोड़ देना चाहिए.कैसे होगा अस्पतालों में उपचार पशुपालन विभाग में डॉक्टरों का घोर अभाव है. जिले को 53 डॉक्टरों की आवश्यकता है. लेकिन, वर्तमान में 27 डॉक्टर ही कार्यरत हैं. इनमें से कई डॉक्टर अनुबंध पर बहाल हैं. जिनका कार्यकाल जनवरी माह में समाप्त हो रहा है. अनुबंध पर बहाल डॉक्टरों के चले जाने के बाद तो विभाग की स्थिति और बदतर होगी. एक-एक पशु चिकित्सकों पर तीन-चार अस्पतालों व अन्य कार्यों की जिम्मेवारी मिली है. इसके कारण पशुओं का इलाज प्रभावित होता है. बोले पशुपालकजानवरों के रख-रखाव के लिए स्थान व संसाधन कम होते जा रहे हैं. पशुपालन विभाग में डॉक्टर व दवा दोनों की कमी है. पशुओं का इलाज कराने के लिए काफी खर्च करना पड़ रहा है. गुड्डू यादव, नवीन नगरजाड़ा बढ़ने के साथ ही पशुओं में कई प्रकार की बीमारियां बढ़ जाती है. खासकर सर्दी व निमोनिया की शिकायत सबसे अधिक होती है. अस्पताल में एक-दो दवा देकर खानापूर्ति कर दिया जाता है.विमल यादव, पोस्टमार्टम रोडसावधानी बरतना जरूरी पशुपालन विभाग जाड़े में होने वाले पशु रोग से बचाव के लिए पशुपालकों को जागरूक करता है. अस्पतालों में कई प्रकार की दवा उपलब्ध है. एक डॉक्टर पर कई स्थानों का प्रभार है इस कारण थोड़ी बहुत समस्या आती है. पशुपालकों को इस मौसम में सावधानी बरतनी चाहिए.डाॅ सुनील कुमार, प्रभारी मोबाइल पदाधिकारी

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