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145 स्कूलों के स्टूडेंटस के लिए चलती-फिरती कक्षा

न जमीन का ठिकाना और न ही बिल्डिंग की हो रही पहल स्कूल खोलने के लिए चाहिए कम से कम 10 डिसमिल जमीन 33 स्कूलों के पास भूमि होने पर भी बच्चों को भवन का इंतजार नवादा नगर : जिले के 145 स्कूलों के बच्चों के लिए खुले आसमान के नीचे क्लास लगती है. शिक्षा […]

न जमीन का ठिकाना और न ही बिल्डिंग की हो रही पहल
स्कूल खोलने के लिए चाहिए कम से कम 10 डिसमिल जमीन
33 स्कूलों के पास भूमि होने पर भी बच्चों को भवन का इंतजार
नवादा नगर : जिले के 145 स्कूलों के बच्चों के लिए खुले आसमान के नीचे क्लास लगती है. शिक्षा में गुणवत्ता व सुविधायुक्त स्कूल की सरकारी घोषणा हवा-हवाई साबित हुई है.
शिक्षा के अधिकार कानून के तहत छह से 14 साल तक के सभी बच्चों को मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा देने की बात सरकार की ओर से कही गयी है. इसके उलट हकीकत यह है कि जिले के कुल 1693 स्कूलों में 145 स्कूलों के पास अपनी जमीन तक नहीं है. संख्या बल के आधार पर बिना संसाधन के ही स्कूल खोल कर पढ़ाई, तो शुरू कर दी गयी है, लेकिन उन बच्चों के भविष्य संवारने को लेकर सरकारी पहल नहीं हो रही है. नये स्कूल बनाने के लिए कम से कम 10 डिसमिल जमीन की जरूरत होती है. शिक्षा विभाग स्कूल भवन बनाने के लिए ग्रामीणों से दान में दी गयी जमीन या सरकारी जमीन पर निर्भर करता है. संबंधित स्कूलों के लिए जमीन नहीं मिल पाने के कारण इन स्कूलों में एडमिशन लेनेवाले बच्चों को या तो खुले आसमान के नीचे बैठ कर पढ़ना पड़ता है या दूसरे स्कूलों के नामित विद्यालय को मर्ज कर दिया गया है.
33 स्कूलों को मिली जमीन
भूमिहीन 145 में 33 स्कूलों के लिए जमीन आवंटित की गयी है. इस पर स्कूल बनाने के लिए राशि की डिमांड की जा रही है. विभाग से मिली जानकारी के अनुसार शुरुआती स्तर पर स्कूल भवन बनाने के लिए 20 लाख रुपये प्रति स्कूल की दर से दिये जायेंगे. संभव है कि बजट सत्र 2018-19 में भवन बनाने के लिए रुपये की उपलब्धता हो जाये. बिना भवनवाले स्कूलों को चलाने में आनेवाली परेशानी का सहज अंदाजा लगाया जा सकता है.

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