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जानलेवा. वर्षा के बाद बजबजा रही नालियां, दवा का नहीं हो रहा छिड़काव मलेरिया, डेंगू, कालाजार आदि के मामले आने पर होता है डीडीटी का छिड़काव नगर पर्षद की अनदेखी से शहर में बढ़ गया मच्छरों का प्रकोप नवादा : बरसात के दिनों में बीमारियों का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है. इस मौसम में […]

जानलेवा. वर्षा के बाद बजबजा रही नालियां, दवा का नहीं हो रहा छिड़काव

मलेरिया, डेंगू, कालाजार आदि के मामले आने पर होता है डीडीटी का छिड़काव
नगर पर्षद की अनदेखी से शहर में बढ़ गया मच्छरों का प्रकोप
नवादा : बरसात के दिनों में बीमारियों का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है. इस मौसम में मच्छरों की संख्या भी बढ़ी है. लोग मच्छरों के काटने से बीमार हो रहे हैं. बावजूद जिला प्रशासन सहित स्वास्थ्य विभाग तथा नगर पर्षद के अधिकारी व जनप्रतिनिधि खामोश बैठे है़ं आलम यह है कि जब तक किसी क्षेत्र में मरीज नहीं मिलता, तब तक उस इलाके में न, तो डीडीटी का छिड़काव किया जाता है और न ही फॉगिंग होती है. मच्छरों का प्रकोप फैलने से पूर्व दवा का छिड़काव हो जाता, तो लोगों को बीमारियों से बचाया जा सकता था. स्वास्थ्य विभाग की यह कुव्यवस्था लोगों के लिए परेशानी पैदा कर रही है.नगर पर्षद की बात करें,
तो यहां सफाई को लेकर कोई हलचल नहीं है. माॅनसून के साथ डेंगू व मलेरिया का प्रकोप तेजी से फैलता है.मस्तिष्क ज्वर और जापानी इंसेफलाइटिस का डर बना हुआ है. मस्तिष्क ज्वर का शिकार हिसुआ निवासी कारू रविदास के पुत्र दीपू कुमार को गया जिले के मगध मेडिकल कॉलेज में एक दिन पूर्व भरती कराया गया है़ बता दें कि पिछले साल भी हिसुआ के दो बच्चे इस बीमारी का शिकार हो चुके हैं. स्वास्थ्य
विभाग के अनुसार तीन-चार साल पूर्व अकबरपुर व हिसुआ में एक-एक मरीज की मौत मस्तिष्क ज्वर से हो चुकी है़ हालांकि इन बीमारियों पर गंभीरता पूर्वक ध्यान नहीं देने पर यह जानलेवा भी साबित हो सकता है़ स्वास्थ्य विभाग ने कौआकोल, गोविंदपुर रजौली, सिरदला व काशीचक को मलेरिया क्षेत्र घोषित किया है़ स्वास्थ्य विभाग ने इसको लेकर आंकड़ा भी जारी किया है़ इसमें 1000 की आबादी पर चार केस से अधिक पाये जाने पर दवा का छिड़काव किया जाता है़ कालाजार के मरीजों को सहायता अनुदान के तहत 7100 रुपये दिये जाते हैं.
जून में मिले थे कालाजार के तीन मरीज : जिले के काशीचक महादलित टोले से जून माह में कालाजार के तीन मरीज मिले थे. इसमें 22 वर्षीय हीरा मांझी, 16 वर्षीय रमेश मांझी तथा तीन वर्षीय निशा कुमारी है़ं जिले में कालाजार के सबसे अधिक 40 मरीज वर्ष 2015-16 में पाये गये थे. वर्तमान में वित्तीय वर्ष 2017-18 के बीते हुए अभी तीन माह ही हुए हैं कि स्वास्थ्य विभाग के अनुसार कालाजार के पांच मरीजों की पहचान हो चुकी है. वैसे प्राइवेट नर्सिंग होम की बात करें, तो
अब तक कालाजार के कितने मरीज आ चुके होंगे़ इस बीमारी को लेकर स्वास्थ्य विभाग द्वारा कालाजार खोज सप्ताह भी चलाया जा रहा है़ प्रत्येक माह की पांच से 11 तारीख तक ऐसे रोगियों की खोज की जाती है. इसके साथ ही प्रत्येक पीएचसी को यह हिदायत दी गयी है कि किसी मरीज को अगर तीन या उससे अधिक सप्ताह तक बुखार रहे, तो उसे कालाजार की श्रेणी में रखा जाये. पूर्व में तीन सप्ताह तक मरीज को दवा दी जाती थी. अब स्वास्थ्य विभाग के पास नयी दवा ‘एंबीजोन’ उपलब्ध करायी गयी है. इसके सिंगल डोज से ही मरीज को लाभ मिल जाता है़
क्या कहते हैं अधिकारी
म के तहत वायरल बीमारियों के लिए स्वास्थ्य विभाग का कार्यक्रम चलाया जा रहा है़ इसके तहत चिह्नित इलाकों में स्क्वाॅयड टीम के द्वारा काम किया जाता है़ जेइ/एइएस के लिए छह बेड बनाये गये है़ं पीएचसी में अलग से तीन-तीन बेड के वार्ड बनाये गये है़ं ऐसे मरीजों के लिए स्वास्थ्य विभाग प्राइवेट नर्सिंग होम से भी रिपोर्ट लेने में जुटी है़ विशेष परिस्थिति में मरीजों को पटना व गया भेजा जाता है़ यह कोशिश होती है कि मरीजों को हर हाल में इलाज किया जा सके.
डॉ जगदीश शर्मा, डीवीडी कंट्रोल पदाधिकारी,सदर अस्पताल, नवादा
बीमारियों के वर्षवार आंकड़े
मलेरिया
साल मरीजों की संख्या
2014-15 193 मरीज
2015-16 146 मरीज
2016-17 64 मरीज
2017-18 जून तक 29 मरीज
कालाजार
2014-15 दो मरीज
2015-16 40 मरीज
2016-17 छह मरीज
2017-18 जून तक 5 मरीज
नोट: डेंगू के दो मरीज 2016 में मिले था. जेइ/एइएस के दो मरीज एक हिसुआ के बेलारु और एक मेसकौर के बांधी गांव में मिले है़ं काशीचक में चार व वारिसलीगंज में एक मरीज कालाजार के मिले हैं.
क्या हैं इन बीमारियों के लक्षण
कालाजार- दो या दो सप्ताह से अधिक बुखार रहना, भूख कम लगना, वजन घटना, लीवर बढ़ना़
मस्तिष्क ज्वर/जापानी इंसेफलाइटिस- तेज बुखार के साथ कंपकंपी तथा उल्टी
मलेरिया- तेज बुखार के साथ ठंड लग कर बुखार आना, 24 घंटे में एक बार बुखार कम जाना या बढ़ जाना, पसीने के साथ बुखार उतर जाना़
डेंगू- तेज बुखार के साथ सिरदर्द व उल्टी होना, हड्डी तोड़ बुखार, जोड़ों में बेतहाशा दर्द, खून में प्लेटलेस की कमी हो जाती है, जिससे स्कीन में लाल धब्बे हो जाते है़ं

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