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गाड़ियों में ठूंसे होते हैं बच्चे

अनदेखी. नियमों को ताक पर रखकर चलाये जा रहे स्कूली वाहन वाहन में जाते स्कूली बच्चे. जिले में 156 स्कूली वाहनों का परिचालन बिहारशरीफ : बच्चे देश के भविष्य होते है. लेकिन स्कूल संचालकों के द्वारा देश के भविष्य के साथ हर दिन खिलवाड़ किया जा रहा है. स्कूल तक पहुंचाने वाले वाहन नियमों को […]

अनदेखी. नियमों को ताक पर रखकर चलाये जा रहे स्कूली वाहन

वाहन में जाते स्कूली बच्चे.
जिले में 156 स्कूली वाहनों का परिचालन
बिहारशरीफ : बच्चे देश के भविष्य होते है. लेकिन स्कूल संचालकों के द्वारा देश के भविष्य के साथ हर दिन खिलवाड़ किया जा रहा है. स्कूल तक पहुंचाने वाले वाहन नियमों को ताक पर रखकर वाहन को संचालित कर रहे है. ऐसा नहीं है कि अफसरों की निगाह से बचकर वाहन का परिचालन हो रहा है, दिन में कई बार अफसरों की आंख के सामने से स्कूली वाहन गुजरती है. लेकिन फिलवक्त बिना नियम के वाहनों का संचालन हो रहा है. देश के नौनिहाल को स्कूलों तक पहुंचने के लिए कई नियम बनाये गये. नियम तो बनाये गये हैं, लेकिन पालन करने के मामले में जीरो है.
पीले रंग की होनी चाहिए स्कूली
नियम के अनुसार स्कूली बच्चों को ढोने वाले वाहनों के लिए रंग का निर्धारण किया गया है. स्कूली वाहन नियमत पीले रंग की होनी चाहिए. वाहन में कई तरह की नियम भी लागू होता है. पीले रंग की वाहन पर स्कूल का नाम और इमरजेंसी नंबर भी अंकित होनी चाहिए, ताकि अपातकाल में कॉल की जा सके. वाहन में फस्ट एंड की बॉक्स भी होनी चाहिए. घटना होने पर बच्चों की की सेवा की जा सके. वाहन में इमरजेंसी निकास द्वार भी होनी चाहिए. जिले के स्कूलों में संचालित स्कूली वाहनों में इन नियमों में का कितना पालन किया जाता है. इसका सहज आंकलन किया जा सकता है. जिले की विभिन्न निजी विद्यालयों के द्वारा 156 वाहनों का परिचालन किया जा रहा है. इसमें छोटे-बड़े सभी तरह के वाहन शामिल हैं.
सीट के अनुरूप ही होनी चाहिए बच्चे
परिवहन नियम के अनुसार जिस क्षमता की वाहन है. उसी अनुसार सीट के अनुसार टैक्स लिये जाते हैं. स्कूली वाहन हो या अन्य सभी पर यह नियम लागू होता है कि सीट से अधिक बच्चे नहीं होनी चाहिए. जिले में परिचालित अधिकतम वाहनों में इस नियम का पालन नहीं की जा रही है. सीट से अधिक बच्चे होना आम तो है कि बच्चों बोरे की भांति वाहनों में भरे होते हैं.
चालक व उपचालक के लिए भी नियम
स्कूली वाहनों को चलाने वाले चालक व कंडक्टर के लिए भी नियम बनाये गये हैं. दोनों के लिए ड्रेस कोड बनाया गया है. चालक के पास कर्मिशयल लाइसेंस होनी चाहिए. कंडक्टर के पास भी कंडक्टर का लाइसेंस होना अनिवार्य है.
बिना परमिट के भी चलाये जा रहे वाहन
स्कूली वाहनों का परिचालन करने के पहले पटना आरटीए कार्यालय से परमिट लिये जाने का प्रावधान है. रोड परमिट होने के बाद ही वाहन का परिचालन किये जाने का प्रावधान है. स्कूलों में परिचालित अधिकतम वाहनों के पास परमिट नहीं के बराबर है. वाहनों का फिटनेस सर्टिफिकेट भी होना चाहिए.
कितना सेफ हैं बच्चे अभिभावकों की जुबानी
जब तक स्कूल से घर लौटकर नहीं आता तब तक मन में संशय की भावना बनी रहती है. वाहनों में बच्चों की सुरक्षा की पर्याप्त व्यवस्था नहीं होता है.
दीपक कुमार, अभिभावक
स्कूली वाहनों में सीट के अनुसार ही बच्चों को बिठाया जाना चाहिए. अधिकांश वाहनों में नियमों का पालन नहीं होने से देश के भविष्य के साथ खिलवाङ किया जा रहा है.
रतन कुमार, अभिभावक
स्कूली वाहनों को परिचालन हो इसके लिए स्कूल संचालकों को समय-समय पर नोटिस दिये जाते है. नियमों का पालन नहीं करने वाले स्कूली वाहनों पर जुर्माना भी किये जाते है. नियमों का पालन नहीं करने पर वाहनों को जब्त भी किये जाते है. कूछ दिन पहले सभी स्कूली वाहन मालिकों को नोटिस देकर कागज ठीक रखने का आदेश दिया गया था. फिर से स्कूली वाहन मालिकों को नोटिस देकर नियमों के अनुसार वाहन परिचालन करने का आदेश दिया जा रहा है. नियमों का पालन नहीं करने वालों पर जुर्माना किया जायेगा.
शैलेंद्र नाथ,डीटीओ, नालंदा

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