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डायबिटीज जांच में कोताही नहीं बरतें टीबी मरीज

मरीज नियमित रूप करायें जांच शुगर निकलने पर टीबी के साथ ही चलेगी दवा बिहारशरीफ : स्वास्थ्य के प्रति वैसे तो सभी लोगों को बराबर सजग रहना चाहिए.स्वस्थ शरीर ही सुखमय जीवन है.यदि शरीर स्वस्थ नहीं है तो जीवन स्वस्थ नहीं हो सकता.अतएव हर मानव अपने स्वास्थ्य की जांच नियमित रूप से कराते रहें.जो लोग […]

मरीज नियमित रूप करायें जांच

शुगर निकलने पर टीबी के साथ ही चलेगी दवा
बिहारशरीफ : स्वास्थ्य के प्रति वैसे तो सभी लोगों को बराबर सजग रहना चाहिए.स्वस्थ शरीर ही सुखमय जीवन है.यदि शरीर स्वस्थ नहीं है तो जीवन स्वस्थ नहीं हो सकता.अतएव हर मानव अपने स्वास्थ्य की जांच नियमित रूप से कराते रहें.जो लोग रोगी हैं तो वैसे लोग तो और भी स्वास्थ्य के प्रति सजगता दिखायें.
यक्ष्मा के रोगी डायबिटीज जांच में कदापि कोताही नहीं बरतें. ताकी पता चल सके वे टीबी बीमारी के साथ-साथ ब्लड शुगर के मरीज तो नहीं हैं. यदि जांच ब्लड शुगर में पॉजिटिव रिपोर्ट आती है तो एेसी स्थिति में मरीजों को टीबी के साथ-साथ मधुमेह की भी दवा भी खानी पड़ेगी.
प्रभारियों को दिया गया निर्देश
इस कार्य को पूरी तरह से मूर्तरूप देने के लिए जिले के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र,रेफरल अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी,सदर अस्पताल,अनुमंडलीय अस्पतालों के उपाधीक्षकों को निर्देश दिया गया है कि ओपीडी में आने वाले टीबी के मरीजों को डायबिटीज जांच कराने की सलाह अवश्य दें.
जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ.रविन्द्र कुमार ने बताया कि इस व्यवस्था को हरहाल में सुनिश्चित करने को कहा गया है.जिले के हर अस्पताल में ब्लड शुगर जांच की सुविधा उपलब्ध है. यह सुविधा मरीजों को अस्पताल व स्वास्थ्य विभाग की ओर से नि:शुल्क उपलब्ध करायी जा रही है.जांच के दौरान जिन टीबी के रोगियों में मधुमेह होने की पुष्टि होती है तो उन्हें टीबी बीमारी के साथ ही ब्लड शुगर ठीक होने के लिए दवा उपलब्ध करायी जाय. डायबिटीज ठीक होने के लिए जिले के प्रत्येक हॉस्पीटल में भी इसकी दवा उपलब्ध है.डायबिटीज की दवा भी विभाग की ओर से नि:शुल्क उपलब्ध है.
एचआइवी जांच भी कराएं
जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ.कुमार ने बताया कि प्रभारियों को निर्देश दिया गया है कि टीबी के मरीजों को एचआईवी जांच करवाना सुनिश्चित करायें.इसकी जांच की भी सुविधा हर सरकारी अस्पताल में उपलब्ध है. यदि एचआईवी पॉजिटिव आता है तो टीबी के मरीजों के इलाज में और भी सतर्कता बरतने की जरूरत है.यानी की उसे बेहतर से बेहतर चिकित्सा सेवा प्रदान की जाय.एेसे मरीजों को एमडीआर की श्रेणी में रखकर उसकी चिकित्सा सेवा प्रदान की जाय. टीबी के मरीजों को सलाह दी जाय कि इलाज अवधि के दौरान बीच-बीच में डीएमसी या जिला यक्ष्मा केन्द्रों में जाकर बलगम की भी जांच करायें. ताकि पता चल सके कि इलाज शुरू होने के बाद मरीज में टीबी की जीवाणु की मात्रा कितनी है. मरीज नियमित रूप से चिकित्सीय सलाह के अनुसार दवा का सेवन करते रहें.

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