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खुले में शौच करने को विवश आधी आबादी

खुली स्वच्छता अभियान की पोल हाल बिंद प्रखंड मुख्यालय का बिहारशरीफ. अत्यंत पिछड़ा व उपेक्षित बिन्द प्रखंड में आधे से अधिक आबादी आज भी खुले में शौच करने को विवश है. सरकार की ओर से स्वच्छता अभियान के तहत खुला शौच मुक्त समाज बनाने के लिए घर-घर शौचालय निर्माण के लिए लोगों को जागरूक भी […]

खुली स्वच्छता अभियान की पोल
हाल बिंद प्रखंड मुख्यालय का
बिहारशरीफ. अत्यंत पिछड़ा व उपेक्षित बिन्द प्रखंड में आधे से अधिक आबादी आज भी खुले में शौच करने को विवश है. सरकार की ओर से स्वच्छता अभियान के तहत खुला शौच मुक्त समाज बनाने के लिए घर-घर शौचालय निर्माण के लिए लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है. शौचालय का निर्माण कराने वाले परिवारों को 12 हजार रुपये अनुदान भी दिया जा रहा है.
लेकिन बिंद प्रखंड के लोग सरकार द्वारा संचालित इस योजना से अनभिज्ञ और अनजान बने हैं,आज भी दलित,महादलित,अत्यंत पिछड़ा सहित अन्य आबादी के आधे से अधिक धरों में शौचालय नहीं है.
लोग आज भी खुले मैदान में शौच करने को विवश है. सबसे बुरा हाल बिंद प्रखंड मुख्यालय का ही है. मालूम हो कि यह गांव त्रिपुरा के पूर्व राज्यपाल प्रो सिद्वेश्वर प्रसाद का है. इस गांव में भी स्वच्छता अभियान सफलीभूत नहीं हो पा रहा है. इस गांव की करीब दस हजार आबादी है. इतनी बड़ी आबादी में कुछेक घरों में ही अब तक शौचालय बन सके है. गांव सहित अन्य गांवों को लोग भी रोजाना यहां पहुंचते हैं क्योंकि बिंद प्रखंड मुख्यालय है.
इसके अंतर्गत कुल सात पंचायत हैं. जब प्रखंड मुख्यालय का यह हाल है तो गांव कस्बों का कहना ही क्या है. खुले में शौच से निजात दिलाने की दिशा में सरकार द्वारा संचालित किये जा रहे स्वच्छता कार्यक्रम क्षेत्र के लोगों के लिए छलावा ही अब तक साबित हो रहा है. स्थानीय प्रखंड प्रशासन का भी इस ओर ध्यान नहीं जा पा रहा है.
जीविका कार्यकर्ता भी नहीं दिखा रहे दिलचस्पी
जमीनी कार्यकर्ता के रूप में अहम भूमिका निभा रही जीविका भी नहीं दिखा रही है. दिलचस्पी खुले में शौच से निजात दिलाने कि दिशा में सार्थक प्रयास नहीं किये जाने से शौचालय विहिन परिवारों को शौचालय निर्माण करने की ओर जागरूकता नहीं किये जाने से आज भी आधे से अधिक आबादी खुले में शौच त्याग करने को विवश हैं.

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