बिहारशरीफ : जिला न्यायालय के पाक्सो स्पेशल एडीजे प्रथम शशिभूषण प्रसाद सिंह महिला थाना दुष्कर्म कांड संख्या 15/16 के आरोपित नवादा विधायक राजबल्लभ के नियमित जमानत अरजी पर बहस सुनी. यह बहस अभी जारी है. शेष के लिए 30 मई की तिथि निर्धारित है. ज्ञात हो कि जमानत की अरजी इसी कोर्ट में 07 मई को दाखिल की गयी थी, जबकि इसे नॉट प्रेस अर्थात प्रचालित नहीं किया गया था.
पुन: तत्कालीन कोर्ट रश्मि शिखा के 17 मई को स्थानांतरण के पश्चात इंचार्ज कोर्ट वर्तमान प्रथम एडीजे के यहां सुनवाई के लिए 21 मई को बहस की गयी थी, जिस पर 28 मई की तिथि निर्धारित की गयी थी. अर्जीकार राजबल्लभ यादव के पक्ष से अधिवक्ता कमलेश कुमार व दीपक रस्तोगी ने जमानत सुनिश्चित करने हेतु बहस की. जिसके तहत उन्होंने घटना के तीन दिनों बाद विलंबित प्राथमिकी ,
164 के बयान के तहत आरोपित अर्जीकार का नाम न लिया जाना, पीड़िता का बिना विरोध घटनास्थल तक रात में घूमघाम कर जानकारी के बावजूद पहुंचना, लंबे समय दुष्कर्म के बावजूद कहीं कोई इंज्यूरी रिपोर्ट मेडिकल रिपोर्ट में न होना, अर्जीकार की ऐसी कोई आपराधिक इतिहास न होना तथा घटनास्थल का सही विवरण न होना. फोटो से पहचान कराना अर्जीकार के खिलाफ राजनीतिक षडयंत्र की तरफ इशारा करती है. अधिवक्ता संजय कुमार भी कार्रवाई के दौरान उपस्थित रहे.
दूसरी और सरकार से नियुक्त हाईकोर्ट के स्पेशल पीपी श्यामेश्वर लाल,स्पेशल पीपी कैसर इमाम व अधिवक्ता वीरेंद्र सिंह ने इनका विरोध करते हुए कहा कि पीड़िता ने शुरुआत में देखते ही आवास पर पहचान की थी. कोई लड़की इस प्रकार से अपने चीर हरण का वाद कोर्ट में नहीं ला सकती जब तक वह पीड़ित न हुई हो. मेडिकल का साक्ष्य विलंब होने से मिट सकता है. सुप्रीम कोर्ट तथा अन्य का हवाला देते हुए कहा कि किसी स्त्री या लड़की का यह स्वीकारोक्ति कि उसके साथ दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया गया ही पर्याप्त साक्ष्य है.