नालंदा : लोक आस्था का महापर्व छठ नहाय खाय के साथ रविवार को शुरू हुआ. इसके साथ ही चार दिवसीय बड़गांव का छठ मेला भी शुरू हुआ. मेले में आने वाले छठ व्रतियों के लिए बड़गांव सज धज कर तैयार है. सूर्य उपासकों और छठ व्रतियों का आना आज से शुरू हो गया है. सूर्य उपासना के पहले दिन छठ व्रतियों ने यहां के सूर्य तालाब में स्नान कर कद्दू भात का प्रसाद ग्रहण किया.
यहां के ऐतिहासिक सूर्य तालाब,उसके घाटों और परिक्रमा पथों की सफाई की गयी है. सूर्य घाटों की मरम्मत का काम अब तक नहीं किया गया है. बिजली पानी की आपूर्ति की व्यवस्था प्रशासन ने किया है. मेला क्षेत्र में पहली बार पीएचइडी ने शौचालय का निर्माण कराया है. इसके अलावा चलंत शौचालय की भी व्यवस्था है. बड़गांव के पौराणिक सूर्य तालाब के गंदे व हरे पानी को साफ करने के लिए रविवार को तालाब में चूना डाला गया. मेला क्षेत्र में एक अस्थायी थाना खोला गया है.
बेहतर विधि व्यवस्था संसाधन के लिए 38 दंडाधिकारी,इतने ही पुलिस पदाधिकारी और 400 जवान तैनात किये गये हैं. इनमें सशस्त्र बल,लाठी बल और महिला आरक्षी शामिल है. मेला क्षेत्र में छह जगहों पर ड्रॉप गेट बनाये गये है. मेला क्षेत्र में वाहनों के प्रवेश पर पूरी तरह से रोक लगायी गयी है. मेला क्षेत्र में कई स्थानों पर पुलिस वॉच टावर बनाये गये हैं. बड़गांव के सूर्य मंदिर और सूर्य तालाब के घाटों पर सीसीटीवी कैमरे लगाये गये हैं. इससे तमाम गतिविधियों पर नजर रखी जायेगी.
इस मेले में छठ व्रतियों के लिए प्रशासन की ओर से हर संभव बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने की कोशिश की गयी है. बड़गांव का पूरा इलाका छठ गीतों से गूंज रहा है. इससे संपूर्ण वातावरण छठ मय हो गया है. सूर्य पीठ बड़गांव में छठ करने के लिए केवल बिहार के कोने-कोने से ही नहीं बल्कि झारखंड,यूपी और बंगाल के छठ व्रती रेल,बस व निजी वाहनों से बड़ी संख्या में आते हैं.
खेतों में तंबू गाड़ कर रहते हैं छठव्रती:
छठ करने और अर्घ दान के लिए लाखों की संख्या में छठ व्रती और उनके परिजन प्रगैतिहासिक कालीन बड़गांव आते हैं. उनके प्रवास के लिए यहां धर्मशाला नहीं है. इतनी बड़ी जन संख्या के प्रवास की प्रशासनिक व्यवस्था भी संभव नहीं है. इस हालत में यहां आने वाले छठ व्रती और उनके परिजन कपड़ों और पॉलीथिन के तंबू बना कर खेतों में रहने के लिए मजबूर होते हैं. छठ में सूर्य तालाब के आस पास तंबूओं का गांव बस जाता है.
छठ में भी नहीं जलीं सभी सोडियम वेपर लाइट:
बड़गांव छठ मेला के मौके पर भी सड़क के किनारे लगे सभी सोडियम वेपर लाइट नहीं जलाये जा सके हैं. इससे प्रशासन ने पुख्ता रोशनी की व्यवस्था की पोल खुल रही है. नालंदा के सहायक विद्युत अभियंता राकेश कुमार ने इस वावत पूछे जाने पर बताया कि प्रशासन द्वारा उन्हें इस संबंध में कोई आदेश नहीं मिला है.
गंदे और हरे पानी में छठव्रती करेंगे अर्घ दान:
प्रागैतिहासिक कालीन इस तालाब का पानी प्रशासनिक उपेक्षा के कारण गंदा व हरा है. डीएम डाॅ त्याग राजन के कड़े हिदायत के बाद भी तालाब के पानी को साफ करने के लिए समय से पहल नहीं की गयी. नतीजा है कि सूर्य उपासक और छठ व्रती इस गंदे पानी में स्नान कर अर्घदान करेंगे. यह उनकी मजबूरी है.
तालाब का पानी नहीं हुआ साफ:
द्वापर कालीन इस तालाब के प्रतिबंध के बावजूद देवी-देवताओं की प्रतिमा का विर्सजन बेखौफ हो रहा है. जिस पर रोक लगाने में प्रशासन खुद असफल है. प्रतिमाओं की रंगाई और केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है. ऐसे सैकड़ों प्रतिमाओं का विसर्जन हर पर्व-त्योहार के मौके पर किया जाता है. जिससे तालाब का निर्मल जल हरा हो गया है. इस तालाब का पानी इतना गंदा है कि याचमन के लायक नहीं है.
कई विभागों के लगे शिविर:
सूर्य तालाब के पास स्वास्थ्य विभाग का शिविर लगाया गया है. जहां डॉक्टर सहित मेडिकल टीम तैनात किये गये हैं. इसके अलावा अस्थायी थाना,बिजली विभाग,पीएचइडी,आपूर्ति और सफाई विभाग का शिविर है. इस शिविर में पदाधिकारी और कर्मी तैनात हैं, जो जरूरत के अनुसार मूव करेंगे.